एस.के. सिंह, नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2024-25 का अंतरिम बजट पेश करने से करीब महीने भर पहले कहा था कि इस बार किसी बड़ी घोषणा की उम्मीद न रखें। फिर भी 2019 के अंतरिम बजट में टैक्स ढांचे में बदलाव जैसे कई बड़े कदम उठाए जाने के कारण विशेषज्ञ तथा तमाम सेक्टर इस बार भी उम्मीद लगाए बैठे थे। वित्त मंत्री ने अपने कहे मुताबिक कोई बड़ा ऐलान तो नहीं किया, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यह बजट कई अहम संकेत देता है। इसमें विकास को समावेशी बनाने की कोशिश स्पष्ट झलकती है। बजट में आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश पर जोर दिया गया है तो निवेश तथा राजकोषीय अनुशासन (घाटा) के बीच संतुलन भी बनाया गया है। आधुनिक टेक्नोलॉजी के बढ़ते प्रभाव को स्वीकार करते हुए इनोवेशन पर फोकस है तो ग्रामीण विकास का भी ध्यान रखा गया है। पर्यटन जैसे क्षेत्र में राज्यों को साथ लेने की भी कोशिश की गई है। इसलिए विशेषज्ञ इसे ‘विकसित भारत’ की दिशा में कदम बढ़ाने वाला बजट मानते हैं।

उद्योग चैंबर फिक्की के अध्यक्ष डॉ. अनीश शाह के अनुसार, “यह बजट विकसित भारत की दिशा में है। इसमें विकास, जलवायु और समाज के सशक्तीकरण को साथ रखा गया है, तो मौजूदा निवेश की दर तथा राजकोषीय अनुशासन के बीच संतुलन भी बनाया गया है। शाह के अनुसार नीली अर्थव्यवस्था, इलेक्ट्रिक वाहन इकोसिस्टम को मजबूती तथा विस्तार, घरेलू पर्यटन और मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पर फोकस भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर करेंगे।” शाह के मुताबिक अंतरिम बजट में विकास के एक प्रमुख ड्राइवर के तौर पर इनोवेशन के महत्व को स्वीकार करते हुए एक लाख करोड़ रुपये का फंड बनाने की घोषणा की गई है, जिससे उभरते सेक्टर्स को आरएंडडी के लिए 50 साल का ब्याज मुक्त कर्ज दिया जा सकेगा।

एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ कहते हैं, “सरकार ने समावेशी विकास के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फोकस जारी रखा है। वर्ष 2024-25 के रोडमैप में ग्रामीण आवासीय योजना को विस्तार, रूफटॉप सोलर पावर को बढ़ावा, मध्य वर्ग के लिए आवास योजना और उभरते सेक्टर के लिए दीर्घकालिक सस्ता कर्ज शामिल हैं।”

निर्यातकों के संगठन फियो के नवनियुक्त अध्यक्ष इसरार अहमद के अनुसार, “बजट में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की संभावनाओं पर फोकस करते हुए आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश पर जोर दिया गया है। बजट में हर तरह के इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास, टैक्स का दायरा बढ़ाने, वित्तीय क्षेत्र और निवेश को मजबूत बनाने और महंगाई नियंत्रित करने की बात कही गई है।”

यस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पान कहते हैं, “बजट में बड़ी घोषणाएं भले न हों, यह समावेशी नीतियों से विकास को गति देने के सरकार के आशय को स्पष्ट करता है। इस संदर्भ में देखें तो यह उम्मीद की जा सकती है कि अगर यह सरकार दोबारा चुनी जाती है तो नीतियों में निरंतरता जारी रहेगी। एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि वित्त मंत्री ने इसमें 2025-26 तक 4.5% राजकोषीय घाटे का रोड मैप दिया है। साथ ही, पूंजीगत व्यय बढ़ाने की जिम्मेदारी भी निभाई है।”

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा, “2024-25 में सरकारी प्रतिभूतियों के जरिए बाजार से ली जाने वाली कुल उधारी 14.13 लाख करोड़ और शुद्ध उधारी 11.75 लाख करोड़ रुपये होगी। यह दोनों 2023-24 की तुलना में कम है। केंद्र सरकार बाजार से कम राशि उधार लेगी तो निजी क्षेत्र के लिए बाजार में ज्यादा रकम उपलब्ध होगी।”

राजकोषीय घाटा कम होने से कर्ज सस्ता होने के आसार

बेहतर राजस्व के कारण मौजूदा वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा 5.9% से कम 5.8% हुआ है। अगले वित्त वर्ष के लिए 5.1% का लक्ष्य है। बाजार से सरकार के कम कर्ज लेने से कर्ज सस्ता होने और निवेश का वातावरण बेहतर होने की संभावना है।

2024-25 में राजकोषीय घाटे का 72.5% बाजार उधारी के जरिए पूरा किए जाने की उम्मीद है। यह महामारी से पहले के पांच वर्षों के औसत 72.4% के आसपास होगा। मौजूदा वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान में बाजार से उधारी राजकोषीय घाटे का 68.1% है, 2022-23 में यह 68.8% था। रकम के लिहाज से देखें तो राजकोषीय घाटा 17.35 लाख करोड़ से घटकर 16.5 लाख करोड़ रुपये रह जाएगा।

राजकोषीय घाटे में कटौती का ग्रोथ पर नकारात्मक असर पड़ने की संभावना नहीं है। मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार का पूंजीगत व्यय 21.5% बढ़ने (यानी ऊंचे बेस) के बाद अगले वर्ष इसमें 17.7% वृद्धि का प्रावधान है। राजकोषीय घाटे में कटौती से भारतीय रिजर्व बैंक के लिए कर्ज सस्ता करने की गुंजाइश बढ़ेगी। मई 2022 से फरवरी 2023 तक आरबीआई ने ब्याज दर 2.5% बढ़ाया था। तमाम विशेषज्ञ जून से इसमें कटौती की उम्मीद जाता रहे हैं। बैलेंस शीट मजबूत होने, क्षमता का इस्तेमाल बढ़ने और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम का फायदा मिलने से निजी क्षेत्र के निवेश में तेजी की जमीन भी मजबूत हो गई है।

राजकोषीय मजबूती कई कारणों से अहम है। भारत के कुछ सरकारी बांड जून 2024 में जेपी मॉर्गन के गवर्नमेंट बॉन्ड इंडेक्स इमर्जिंग मार्केट्स में शामिल किए जाएंगे। इस साल के अंत तक ब्लूमबर्ग इमर्जिंग मार्केट लोकल करेंसी इंडेक्स में भी भारत को शामिल किए जाने की उम्मीद है। इस तरह देखें तो ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट में भारत का इंटीग्रेशन बढ़ने से विदेशी निवेशकों की पैनी नजर रहेगी।

महामारी के समय सरकार का कर्ज़ काफी बढ़ गया था और अभी तक इसका स्तर ऊंचा है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 में केंद्र सरकार का कर्ज़-जीडीपी अनुपात 76.5% और 2020-21 में 90.7% पर पहुंच गया था। अभी यह 84.95% है जबकि एफआरबीएम एक्ट में 60% की सीमा तय की गई है। भारत के समान रेटिंग वाले देशों में देखें तो इंडोनेशिया का कर्ज और जीडीपी का अनुपात 39.79% और मेक्सिको का 45.49% है।

मजबूत ग्रोथ के बावजूद अभी तक ज्यादा राजकोषीय घाटे के कारण अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भारत को निवेश में सबसे निचले ग्रेड की रेटिंग (मूडीज ने बीएए3, एसएंडपी ग्लोबल ने बीबीबी-) दे रखी है। दिसंबर 2023 में एसएंडपी के एशिया-पैसिफिक क्षेत्र के एमडी किम एंग तान ने कहा था कि भारत राजकोषीय घाटे में कटौती करके रेटिंग सुधार सकता है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च में पारदर्शिता

बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए वित्त वर्ष 2023-24 के 9.5 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान की जगह 11.11 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। 3.85 लाख करोड़ रुपये की ग्रांट समेत पूंजीगत व्यय की कुल राशि 14.96 लाख करोड़ रुपये है। वर्ष 2023-24 के संशोधित अनुमान में यह 12.71 लाख करोड़ है।

क्रिसिल ने अपने विश्लेषण में लिखा है, 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में कटौती कई कारणों से संभव हो सकी है। एक तो राजस्व खर्च कम हुआ है, दूसरी तरफ राजस्व संग्रह में काफी वृद्धि हुई है। पूंजीगत खर्च बढ़ाने की दर कम की गई है। पूंजीगत खर्च में पारदर्शिता भी महत्वपूर्ण है। सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों जैसे ‘ऑफ बजट’ खर्च पर निर्भरता कम करते हुए सीधे आवंटन किया गया है। कुल पूंजीगत खर्च में पीएसयू का हिस्सा 2017-18 में 57% के आसपास होता था, यह 2024-25 में घटकर 18.6% रह गया है।

पूंजीगत व्यय की वृद्धि दर कम होने के बावजूद जीडीपी में इसका हिस्सा बढ़ा है। यह बताता है कि पूंजीगत व्यय में सरकार की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है। ग्रांट समेत कुल सरकारी पूंजीगत व्यय अगले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी का 4.6% रखा गया है, जो मौजूदा वित्त वर्ष में 4.3% है। पीएसयू के पूंजीगत व्यय को भी शामिल किया जाए तो यह जीडीपी का 5.6% हो जाता है। विभिन्न कारणों से 2024-25 में विकास की गति धीमी पड़ने के आसार हैं और निजी क्षेत्र का पूंजीगत खर्च अभी चुनिंदा क्षेत्रों तक सीमित है। ऐसे में सरकार की तरफ से इस मद में ज्यादा खर्च अर्थव्यवस्था को गति देगा।

बजट में तीन प्रमुख रेल कॉरिडोर बनाने की घोषणा है- पोर्ट कनेक्टिविटी कॉरिडोर, एनर्जी, मिनरल तथा सीमेंट कॉरिडोर और हाई ट्रैफिक डेन्सिटी कॉरिडोर। क्रिसिल के अनुसार विशेष आर्थिक कॉरिडोर बनाने से मौजूदा लाइनों पर भीड़ कम होगी, खासकर पूर्वी राज्यों में। सामान की ढुलाई तेज होगी और लॉजिस्टिक्स की लागत कम करने में भी मदद मिलेगी, जो अभी जीडीपी का 12% है। अमेरिका और जर्मनी में यह 8% तथा जापान में 9% है। लागत कम होने से पड़ोसी देशों की तुलना में हमारे मैन्युफैक्चरर्स की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ेगी।

विश्लेषण में लिखा है, सड़क से माल ढुलाई का खर्च प्रति किलोमीटर प्रति टन 2.5 रुपये है, जबकि रेलवे से यह खर्च 1.36 रुपये है। अभी माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी 26% है। नेशनल रेल प्लान में 2030 तक इसे पढ़कर 45% करने का लक्ष्य है। रेल कॉरिडोर से इस लक्ष्य को पाने में मदद मिलेगी।

लॉजिस्टिक्स कंपनी पोर्टर के सीईओ और को-फाउंडर उत्तम डिग्गा कहते हैं, “प्रस्तावित आर्थिक रेलवे कॉरिडोर कार्यक्रमों से लॉजिस्टिक्स की क्षमता बढ़ेगी, लागत में कमी आएगी, और हम सिंगल-डिजिट लॉजिस्टिक्स लागत के लक्ष्य की ओर बढ़ सकेंगे।” फियो के अहमद के अनुसार, “लॉजिस्टिक्स कॉरिडोर बनने से रेलवे की कार्गो हैंडलिंग बेहतर होगी। इससे ट्रेड ऑपरेशंस में भी सुधार आएगा, खासकर आयात और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।”

हाल के वर्षों में निवेश मूल रूप से सरकार की तरफ से ही होता रहा है। इसको शेयर बाजार से जोड़कर देखें तो कोरोना के समय अप्रैल 2020 में बीएसई का कैपिटल गुड्स इंडेक्स 10,600 के नीचे आ गया था और अब यह 56,000 के पार पहुंच गया है। इस दौरान इसमें 430% की बढ़ोतरी हुई है। तुलनात्मक रूप से इस दौरान बीएसई सेंसेक्स लगभग 160% बढ़ा है। आर्थिक मामले विभाग के अनुसार वर्ष 2014-15 से अब तक सार्वजनिक क्षेत्र का पूंजीगत खर्च 5.6 लाख करोड़ से बढ़कर 18.6 लाख करोड़ हो गया है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर बढ़ा फोकस

अंतरिम बजट में ग्रामीण क्षेत्र पर फोकस फिर बढ़ाया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आय के लिए सीधे बजटीय प्रावधानों से मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी, जो हाल के महीनों में कम हुई है। क्रिसिल के अनुसार, चार प्रमुख योजनाओं मनरेगा, पीएम आवास योजना ग्रामीण, पीएम ग्राम सड़क योजना तथा पीएम किसान योजना के लिए बजटीय प्रावधान 13.2% बढ़ाया गया है। इससे पहले दो वर्षों के दौरान इसमें लगभग 10% की कमी की गई थी।

बजट में किसानों, महिलाओं, स्वयं-सहायता समूहों और युवाओं के लिए खर्च के प्रावधान बढ़ाए गए हैं। एफएमसीजी कंपनियों के लिए 80 करोड़ लोगों का ग्रामीण क्षेत्र विशाल बाजार है। देश में 30 से 40 प्रतिशत टीवी, फ्रिज और वाशिंग मशीन की बिक्री ग्रामीण इलाकों में ही होती है। पिछले साल ग्रामीण क्षेत्र में एफएमसीजी प्रोडक्ट की मांग तीन से पांच प्रतिशत घट गई थी। इस साल भी शहरों की तुलना में वहां रिकवरी धीमी है।

ग्रामीण क्षेत्र पर फोकस के बावजूद इस बजट को महंगाई बढ़ने वाला नहीं कह सकते, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में जो खर्च बढ़ाया गया है, वह संपत्ति निर्माण और रोजगार सृजन के लिए है। इनकम सपोर्ट स्कीम पीएम किसान योजना में आवंटन मौजूदा वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान के बराबर रखा गया है। यह मौद्रिक नीति के लिहाज से भी अनुकूल है, जिसमें हाल के महीनों में महंगाई नियंत्रित करने के लिए सख्ती की गई है।

मैन्युफैक्चरिंगः ऑटो सेक्टर को पीएलआई 600% बढ़ा

प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (पीएलआई) स्कीम के तहत 2023-24 के बजट में 8082 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, जिसे संशोधित कर 7955 करोड़ किया गया है। 2024-25 के अंतरिम बजट में संशोधित प्रावधान की तुलना में 74% अधिक 13917 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।

पीएलआई के प्रमुख प्रावधान देखें तो ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट के लिए इस बार 3500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जबकि 2023-24 के संशोधित अनुमान में यह राशि 484 करोड़ रुपये थी। MEITY के लिए 2023-24 के संशोधित अनुमान में 4560 करोड़ की जगह 6200 करोड़ का प्रावधान है। फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए 1444 करोड़ रुपये का प्रावधान है। 2023-24 के लिए 1530 करोड़ के बजट प्रावधान को संशोधित कर 1150 करोड़ रुपये किया गया है। फार्मा के लिए 2143 करोड़ रुपये का प्रावधान है, जबकि मौजूदा वर्ष के संशोधित अनुमान में यह राशि 1696 करोड़ है।

देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम डेवलपमेंट के लिए 2023-24 के 3000 करोड़ के बजट को संशोधित कर 1503 करोड़ किया गया, लेकिन अगले वर्ष के लिए इसे बढ़ाकर 6903 करोड़ किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी हार्डवेयर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 750 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। मौजूदा वित्त वर्ष में यह 700 करोड़ रुपये है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी में आरएंडडी के लिए 2023-24 की संशोधित राशि 1000 करोड़ रुपये है, इसे बढ़ाकर 1148 करोड़ रुपये किया गया है।

फियो के इसरार अहमद कहते हैं, “प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव के लिए आवंटन में वृद्धि, सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम का विकास, सोलर पावर ग्रिड और नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन स्वागत योग्य कदम हैं, लेकिन उनके लिए आसान और सस्ते कर्ज की जरूरत है।”

बजट में इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग और उनके एडॉप्शन के लिए राशि लगभग आधी, 2671 करोड़ कर दी गई है। मौजूदा वर्ष के बजट प्रावधान में यह राशि 5172 करोड़ और संशोधित अनुमान में 4807 करोड़ थी। क्षमता निर्माण और स्किल डेवलपमेंट के लिए 2023-24 के बजट में 538 करोड़ के प्रावधान को संशोधित कर 454 करोड़ किया गया। अगले साल के लिए भी 538 करोड़ का प्रावधान है। एमएसएमई की परफॉर्मेंस सुधारने के लिए मौजूदा वित्त वर्ष के 1000 करोड़ के संशोधित प्रावधान को बढ़ाकर 1170 करोड़ किया गया है। यह मौजूदा वर्ष के बजट प्रावधान के बराबर है। ग्रीन ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए बजट में बायो मैन्युफैक्चरिंग और बायो फाउंड्री की नई स्कीम की घोषणा की गई है।

रियल एस्टेटः नई स्कीम और ग्रामीण आवास योजना से बढ़ेगी मांग

बजट में रियल एस्टेट के लिए दो प्रमुख घोषणाएं हैं। एक तो प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत अगले पांच वर्षों में दो करोड़ और घर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। दूसरा, मध्यवर्गीय लोगों के घर बनाने या खरीदने के लिए नई स्कीम लाई जाएगी। यह स्कीम किराये के घरों, झुग्गी बस्तियों और अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वालों के लिए होगी। नए घर बिकेंगे तो टीवी-फ्रिज जैसे होम अप्लायंसेज की मांग भी बढ़ेगी।

पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के लिए मौजूदा वर्ष का बजट प्रावधान 50487 करोड़ रुपये था। संशोधित अनुमान में इसे घटाकर 28174 करोड़ किया गया है। अगले वित्त वर्ष का प्रावधान 80% बढ़ाकर 50650 करोड़ किया गया है। पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत मौजूदा वित्त वर्ष के बजट में 25103 करोड़ का प्रावधान था, जिसे संशोधित कर 22103 करोड़ किया गया है। अगले वित्त वर्ष के लिए 26171 करोड़ रुपये का प्रावधान मौजूदा वित्त वर्ष के संशोधित प्रावधान 18% अधिक है।

वर्ष 2022 तक सबको अफोर्डेबल घर उपलब्ध कराने के मकसद से 2015 में पीएम आवास योजना शुरू की गई थी। बाद में ग्रामीण योजना के लिए अवधि बढ़ाकर 2024 और शहरी के लिए 2025 तक की गई। अगले 5 वर्षों के दौरान और 2 करोड़ घर बनने से सीमेंट तथा बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन सेगमेंट को फायदा होगा। क्रिसिल के अनुसार इससे हर साल कम से कम 1.5 करोड़ टन सीमेंट की अतिरिक्त मांग निकलने की उम्मीद है।

रियल एस्टेट कंसल्टेंट एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी के अनुसार, अंतरिम बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी सुधारने पर फोकस से बड़े शहरों के साथ टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी रियल एस्टेट को फायदा होगा। इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च से रियल एस्टेट के विकास में मदद मिलेगी। स्टार्टअप को टैक्स छूट एक साल बढ़ाने का ऑफिस रियल एस्टेट को फायदा मिलेगा। बजट में कहा गया है कि बड़े शहरों में मेट्रो रेल और नमो भारत का विस्तार किया जाएगा या शुरू किया जाएगा। पुरी के अनुसार, इससे शहरों में घरों की मांग बढ़ सकती है। हालांकि इससे आवासीय प्रॉपर्टी के दाम भी बढ़ेंगे। महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्रों को विकसित करने से होटल और रेस्तरां सेक्टर को फायदा होगा।

रिसर्च और डेवलपमेंट में निजी क्षेत्र के आगे बढ़ने में मदद

टेक्नोलॉजी के विकास के लिए एक लाख करोड़ रुपये का फंड बनाया जाएगा, जिससे 50 साल तक का ब्याज मुक्त या बहुत कम ब्याज पर कर्ज दिया जाएगा। फियो के इसरार अहमद के अनुसार, इससे उभरते सेक्टर में रिसर्च और इनोवेशन के क्षेत्र में निजी क्षेत्र को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।

भारत में रिसर्च और डेवलपमेंट पर जीडीपी का सिर्फ 0.65% खर्च होता है, जर्मनी में यह 3.1% और चीन में 2.4% है। नया फंड बनने से जीडीपी के अनुपात में रिसर्च-डेवलपमेंट पर खर्च बढ़ेगा। इससे ग्लोबल इनेवेशन इंडेक्स में भारत की रैंकिंग में भी सुधार हो सकेगा। 2023 में 132 देश की सूची में भारत 40वें स्थान पर था।

डायरेक्ट टैक्स, इनडायरेक्ट टैक्स और कस्टम ड्यूटी में कोई बदलाव अंतरिम बजट में नहीं किया गया है। इसका मतलब है कि नई टैक्स व्यवस्था में सात लाख रुपये तक की आमदनी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों पर 15% और अन्य पर 22% कॉरपोरेशन टैक्स की दर जारी रहेगी। पुराने टैक्स विवाद खत्म करने के लिए वित्त मंत्री ने घोषणा की कि वित्त वर्ष 2009-10 तक 25,000 रुपये और 2010-11 से 2014-15 तक 10,000 रुपये तक डिमांड वाले विवाद वापस ले लिए जाएंगे। इससे करीब एक करोड़ लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है।

बजट प्रावधानों के अनुसार, महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्रों को विकसित करने और विश्व स्तर पर उनकी मार्केटिंग करने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित किया जाएगा। एचडीएफसी बैंक के बरुआ के अनुसार “इससे रोजगार सृजन में भी मदद मिलेगी।” विनिवेश के लक्ष्य को वास्तविक के करीब रखने की जरूरत है। पिछले 10 वर्षों में सिर्फ 2017-18 और 2018-19 में विनिवेश के लक्ष्य को हासिल किया जा सका।

रूफ टॉप सोलर पावर योजना में हिस्सा लेने वाले परिवारों को हर महीने 300 यूनिट बिजली मुफ्त मिल सकती है। योजना से इस सेगमेंट में निवेश बढ़ने की संभावना है। क्रिसिल के अनुसार, इस स्कीम से आवासीय रूफटॉप सेगमेंट में 20 से 22 गीगावॉट की उत्पादन क्षमता बढ़ सकती है और 91 हजार से 1.10 लाख करोड़ रुपये के निवेश की संभावना है। दिसंबर 2023 में सोलर रूफटॉप क्षमता सिर्फ 11 गीगावॉट थी। सरकार ने रूफटॉप सोलर से 40 गीगावॉट की क्षमता का लक्ष्य रखा है। अगर यह योजना पूरी तरह लागू होती है तो लक्ष्य का 80% से 85% हासिल हो जाएगा।

विशेषज्ञों के अनुसार, चुनावी साल में भी इस बात का ध्यान रखा गया है कि राजकोषीय घाटा अधिक न हो। केंद्र ने वर्ष 2024-25 में पूंजीगत खर्च के लिए राज्यों को 1.3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज देने का प्रावधान किया है। इससे पिछड़े राज्यों को भी आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। अगर चुनिंदा राज्यों के बजाय सभी राज्य योगदान करें तो भारत के विकास की गति काफी तेज होगी और यह जल्दी विकसित राष्ट्र भी बन सकता है। वित्त मंत्री ने कहा भी है कि जुलाई के पूर्ण बजट में विकसित भारत का विस्तृत रोडमैप पेश किया जाएगा।