सदीप राजवाड़े नई दिल्ली।

हमास के हमले के बाद इजरायल के सैन्य अधिकारियों को बंधक बनाए जाने का एक वीडियो क्लिप वायरल हो रहा है। यह क्लिप सोशल मीडिया के कई प्लेटफॉर्म पर है। अधिकतर फैक्ट चेकर एजेंसी की पड़ताल में यह सामने आया कि इस वीडियो क्लिप का पिछले शनिवार को हुए हमास के हमले से कोई संबंध नहीं है, न ही ये इजरायल के सैन्य अधिकारी हैं। यह दरअसल कुछ साल पहले अजरबैजान के सुरक्षा बलों की तरफ से हिरासत में लिए गए काराबाख अलगाववादियों का वीडियो है। इसे हमास समर्थक फेक अकाउंट की तरफ से गलत कंटेंट के साथ फैलाकर लोगों को भ्रमित किया जा रहा है।

इजरायल- फलस्तीन युद्ध में दोनों तरफ से सिर्फ जमीनी स्तर पर युद्ध नहीं लड़ा जा रहा, बल्कि लोगों की सोच और नजरिये को लेकर भी एक अलग तरह का युद्ध चल रहा है, जिसे साइबर वॉर कहा जाता है। फर्जी वीडियो-फोटो वायरल कर मिसइन्फॉर्मेशन यानी गलत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं। अपनी-अपनी कार्रवाई और हमले को सही ठहराने और दूसरे देश को गलत दिखाने के लिए ऐसे फेक वीडियो-फोटो बनाकर पूरी दुनिया में वायरल कराया जा रहा है। जबकि पड़ताल में सामने आ चुका है कि इनमें से अनेक वीडियो-फोटो किसी और हमले के हैं, जिन्हें इजरायल या हमास का बताकर लोगों को उकसाने की चाल चली जा रही है।

इजरायल- हमास हमले के दौरान पिछले हफ्तेभर के दौरान सोशल मीडिया में इस तरह के वीडियो की बाढ़ आ गई है, जिसे लेकर यूरोपियन संघ ने भी एक्स (ट्विटर) को चेताया है। इसके बाद उनकी तरफ से हमास के समर्थन में बनाए गए ऐसे सैकड़ों अकाउंट को हटाया गया। इतना ही नहीं, सोशल थ्रेट इंटेलिजेंस को लेकर काम करने वाली संस्था साइब्रा ने ऐसे फर्जी कंटेंट के लिए हमास के 30 हजार फेक अकाउंट की जानकारी दी, जिनके जरिए सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर फेक सूचनाएं प्रसारित की जा रही हैं।

भारत में रक्षा व साइबर क्राइम विशेषज्ञों का कहना है कि इस साइबर वॉर या हाइब्रिड वॉर का मकसद अपनी छवि को साफ-सुथरा दिखाने के साथ दूसरे देश की छवि को नुकसान पहुंचाना है, ताकि उसे कहीं से मदद न मिले। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे फेक वीडियो- फोटो की पहचान करना आम लोगों के लिए आसान नहीं है, लेकिन इसे बिना सोचे-समझे या पड़ताल के फॉरवर्ड करने से बचना चाहिए। इससे फर्जी सूचना- वीडियो बनाने वाले आंतकी संगठन या समूह का मकसद पूरा हो जाता है।

पुराने वीडियो, इजरायल से जनहानि और हमास की कार्रवाई के फेक न्यूज-वीडियो का ट्रेंड

फैक्ट चेक करने वाली वेबसाइट विश्वास न्यूज के अनुसार इजरायल-हमास हमले के बाद से दोनों की कार्रवाई को लेकर लगातार फेक वीडियो- न्यूज वायरल हो रहे हैं। इसमें एक-दूसरे को गलत बताने- दिखाने के साथ एक-दूसरे की छवि को नुकसान पहुंचाने वाले कंटेंट बनाकर वायरल किए जा रहे हैं। भारत में वायरल हो रहे ऐसे कंटेंट में तीन तरह के ट्रेंड देखे जा रहे हैं। पहला ट्रेंड यह है कि इजरायल- हमास हमले को लेकर वायरल वीडियो- न्यूज कई साल पुराने हैं। दूसरे देश के हमले या बंधक बनाए गए सैनिकों के वीडियो- फोटो को नए कंटेंट के साथ मौजूदा घटनाक्रम से जोड़कर फैलाया जा रहा है। दूसरा ट्रेंड यह मिला कि हमास द्वारा इजरायल के जवाबी हमले में उनके देश के आम नागरिकों, बच्चों-महिलाओं पर अत्याचार- क्रूरता बताकर मिसइन्फॉर्मेशन फैलाया जा रहा है। तीसरा ट्रेंड यह है कि हमास के समर्थन में वायरल किए जा रहे फेक-वीडियो में इजरायल में ज्यादा नुकसान, उनके सैन्य अधिकारियों को बंधक बनाने और अपनी कार्रवाई को सही बताने की कोशिश की जा रही है।

हमदर्दी पाना व उकसाना मकसद- ले. जनरल (रि.) कादयान

लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) राज कादयान का कहना है कि हमास ने पूरी प्लानिंग के साथ इजरायल पर सात अक्टूबर को हमला किया, जिस दिन वहां शबात था (यहूदियों की धार्मिक छुट्टी का दिन)। इस दिन उनके अधिकतर सेना के जवान छुट्टी पर थे और लोग जश्न मना रहे थे। इजरायल- हमास दोनों ग्राउंड पर युद्ध लड़ने व मिसाइल हमले के साथ साइबर वॉर भी बड़े स्तर पर चला रहे हैं। इसका मकसद यही है कि फेक वीडियो या फोटो- कंटेंट दिखा लोगों की हमदर्दी पाएं। फर्जी या पुराने वीडियो के जरिए हमलावार देश की क्रूरता दिखाकर अपने लोगों को उकसाया जा सके और उनका समर्थन मिले। अकेले हमास ऐसा नहीं कर रहा, बल्कि इजरायल भी साइबर वॉर का सहारा ले रहा है। वह तकनीकी तौर पर हमास से कई गुना आधुनिक है।

ले. जनरल कादयान बताते हैं कि यह जो साइबर वॉर है, इसे साइकोलॉजिकल वॉर कहा जाता है, यह हमेशा से चलता रहा है। इसमें फेक वीडियो और फोटो के जरिए लोगों की सोच बदलने की कोशिश की जाती है। काफी हद तक इसमें वे सफल भी हो जाते हैं। वायरल फर्जी वीडियो को लोग सही मानकर बिना सोचे-समझे आगे फॉरवर्ड करते रहते हैं। साइबर वॉर के जरिए अपनी छवि को दुनिया के अन्य देशों में सही और साफ दिखाने के साथ दूसरे देश के हमले और आत्याचार को मानवीय संवेदना से जोड़कर नकारात्मक छवि पेश की जाती है। साइबर वॉर के जरिए प्रोपेगेंडा फैलाया जा रहा है, जिसका सबसे बड़ा माध्यम सोशल मीडिया है। वैसे भी इजरायल की तरफ से जो दावा किया जा रहा है कि हमास को खत्म कर देंगे, तो आप आंतकवादियों को खत्म कर सकते हैं, आतंक को नहीं। ओसामा बिन लादेन, बगदादी समेत कई लोगों को मारा गया लेकिन, आज भी अल कायदा और आईएसआईएस संचालित हो रहे हैं। यह हल नहीं है।

लोगों को प्रभावित करने के लिए फेक न्यूज- साइबर एक्सपर्ट दुग्गल

साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल के अनुसार, सोशल मीडिया के अलग-अलग माध्यम से फेक और मिसइन्फॉर्मेशन फैलाना रूस- यूक्रेन युद्ध के दौरान भी देखने को मिला था। आज हर जगह साइबर वॉर के लिए अलग फोर्स है। दुनिया में फेक वीडियो- सूचना की रोकथाम के लिए कोई अंतरराष्ट्रीय संधि नहीं है। दो देशों के बीच कोई भी युद्ध अपने-अपने सिंद्धातों को लेकर लड़ी जाती है। अपने आपको व सिद्धांतों को सही बताने के लिए इस तरह साइबर वॉर का सहारा लिया जाता है। हमास- इजरायल हमले में भी यही देखा जा रहा है।

पवन दुग्गल ने बताया कि दुनिया में इस तरह के साइबर वॉर का चलन बड़े पैमाने पर बढ़ गया है। फेक वीडियो और गलत सूचनाओं को अपने तरीके से बदलकर प्रजेंट करते हैं, जिससे देखने वालों को यकीन हो जाए कि जो दिखाई दे रहा है, वही सही है। चीन व पाकिस्तान की तरफ से साइबर वॉर के अटैक लगातार भारत में किए जाते हैं। भारत में होने वाली कई घटनाओं- आंदोलनों को गलत तरीके से दिखाकर फर्जी वीडियो व फोटो सोशल मीडिया में प्रसारित किए जाते हैं। लोग भी बिना सोचे-समझे उसे फॉरवर्ड करते रहते हैं। इस तरह से एक गलत सूचना लोगों के बीच बड़े स्तर पर फैल जाती है।

हाइब्रिड वॉर बड़ा हथियार, लोगों की साइकोलॉजी से खेला जाता है- साइबर एक्सपर्ट विजयंत

मिसइन्फॉर्मेशन, फेक न्यूज की घटनाएं आज से नहीं बल्कि महाभारत के समय से चलती आ रही हैं। किसी भी घटना या हादसे को अपने नजरिए से दिखाने-बताने की कला। आज यह जरूर है कि हाइब्रिड वॉर फोर्स से बड़ी आसानी से फेक वीडियो- फोटो व कंटेंट के जरिए लोगों की साइकोलॉजी से खेला जा रहा है। इसे साइकोलॉजिकल वॉर कहा जाता है। इसका असर भी बड़े पैमाने पर होता है। जब तक यह फर्जी सूचना वायरल होती है, उसकी सच्चाई जांचने का समय तक नहीं मिल पाता है। यूक्रेन- रूस युद्ध के साथ अब इजरायल- हमास हमले में भी अपने हिसाब से कंटेंट- वीडियो वायरल किए जा रहे हैं। इसका मकसद दूसरे देश की छवि को नुकसान पहुंचाना है ताकि उस देश को अन्य देशों से मिलने वाली मदद को रोका जा सके।

साइबर एक्सपर्ट विजयंत ने बताया कि किसी भी फेक या मिसइन्फॉर्मेशन को दो तरीके से दिखाया जाता है। एक पॉजिटव दूसरा नेगेटिव। पॉजिटिव इस तरीके से की हमारी तरफ से की जा रही कार्रवाई हमारे देश की सुरक्षा के लिए है। जबकि दूसरे में यह दिखाया जाता है कि सामने वाले देश की तरफ से आम नागरिकों के ऊपर क्रूरता के साथ हमला या कार्रवाई की जा रही है। पूरा प्रोपेगेंडा तैयार किया जाता है, इसके लिए ट्रेंड व जानकार लोगों को लगाया जाता है। किसी भी फेक वीडियो- फोटो को बनाकर दो लोगों से दो करोड़ लोगों तक पहुंचाने का काम आम लोग करते हैं, जो बिना सोचे-समझे किसी भी फेक इन्फॉर्मेशन या वीडियो को एक ग्रुप से दूसरे ग्रुप में शेयर करते रहते है। जब तक उसकी सच्चाई पता लगती है, वह फेक सूचना- खबर अपना असर या प्रभाव छोड़ चुकी होती है।

30 हजार फर्जी अकाउंट से प्रसारित किए जा रहे फेक वीडियो- फोटो

न्यूज वेबसाइट इजरायल 21सी के अनुसार इजरायल-हमास हमले के पहले दिन से ही हमास झूठ फैलाने और खुफिया जानकारी जुटाने के लिए इजरायल के खिलाफ एक साइबर वॉर चला रहा है। अपनी कार्रवाई को सही ठहराने और इजरायल को गलत दिखाने के उद्देश्य से ऑनलाइन अभियान भी चलाया जा रहा है। उनकी तरफ से करीबन 30 हजार फेक अकाउंट का उपयोग एक्स, टिकटॉक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किया जा रहा है। तेल अवीव की साइबर पड़ताल कंपनी साइब्रा ने इजरायल पर हमले के बाद दो मिलियन वीडियो, फोटो और पोस्ट की जांच की। इसमें पाया गया कि अधिकतर अकाउंट के जरिए फर्जी व आधा-अधूरा सच या नए सिरे से फेक वीडियो- कंटेंट तैयार कर पेश किया जा रहा है। इनमें से कई ऐसे वीडियो और फोटो हैं, जो पूरी तरह से झूठी हैं। किसी अन्य देश व हमले की सामग्री को यहां इजरायल द्वारा बताते हुए वायरल किया जा रहा है। इसके पीछे उनका उद्देश्य गाजा के अंदर हमास के प्रति लोगों का समर्थन बढ़ाना है।

एक्स ने हटाए सैकड़ों फेक अकाउंट

इजरायल पर हमास हमले के बाद से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में सैकड़ों अकाउंट के जरिए फेक वीडियो- फोटो- कंटेंट फैलाए जा रहे थे। इसे लेकर यूरोपियन यूनियन ने एक्स के सीईओ एलन मस्क को चेताया था कि फेक कंटेंट हटाए जाएं। इसके बाद एक्स की तरफ से सीईओ लिंडा याकारिनो ने जानकारी दी कि आपत्तिजनक कंटेंट हटा लिया गया है और इसकी रोकथाम के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। एक्स की तरफ से कहा गया कि हमले के बाद से हमारी तरफ से हमास से जुड़े सैकड़ों फेक अकाउंट की पहचान कर उसे हटा दिया गया है। आंतकी संगठन व हिंसक चरमपंथी समूह के लिए एक्स पर कोई जगह नहीं है।

नकली करुणा, हमला और अफवाह फैलाकर खेल रहे माइंड गेम

वेबसाइट की तरफ से हमास द्वारा कुछ पोस्ट की पहचान की गई, जिसमें फेक वीडियो- फोटो के जरिए लोगों की सोच बदलने की कोशिश की गई। एक पोस्ट में टूटी-फूटी अंग्रेजी में हमास द्वारा इजरायली बंदियों के साथ दया-करुणा व्यवहार करते दिखाया जा रहा है। पोस्ट में लिखा है कि फलस्तीनी सैनिक- यहूदी महिलाओं को कोई नुकसान न पहुंचाएं, उनकी रक्षा करें। उनके भी बच्चे हैं, हम इंसानियत के लोग हैं, हम इंसान की कीमत जानते हैं। इजरायल की तरह नहीं हैं। इसमें एक भयभीत महिला और उसके दो छोटे बच्चों का संपादित वीडियो भी शेयर किया गया है। इसे कुछ समय के अंदर ही 2,83,000 से अधिक व्यूज मिल गए थे। साइब्रा ने जांच में पाया कि यह वीडियो फेक अकाउंट से पोस्ट किया गया। एक अन्य फर्जी अकाउंट के जरिए हमले के बाद दो दिनों में 616 बार पोस्ट किया गया कि गाजा को बढ़ावा देना, इजरायल के इस हमले की तुलना यूक्रेन से करना। इस पोस्ट को 1,70,000 से अधिक बार देखा गया।

इजरायल की अलोचना से नहीं बल्कि फेक अकाउंट से लड़ रहे हैं- साइब्रा सीईओ

साइब्रा के सीईओ डैन ब्राह्री ने न्यूज वेबसाइट इजरायल21सी को बताया कि इस तरह फर्जी- झूठे वीडियो- फोटो सामग्री में बहुत सारा पैसा लगा हुआ है। इसके पीछे अनेक लोगों की टीम लगी हुई है। उन्होंने कहा कि हमारी कंपनी की तरफ से फेक वीडियो- कंटेंट की जांच की जाती है, उसके आईपी एड्रेस की नहीं। हिंसा को प्रायोजित किए जाने वाले पोस्ट गाजा या ईरान कहां से पोस्ट किए जा रहे हैं, यह स्पष्ट नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि हम इजरायल की आलोचना या नकारात्मकता से नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि हम उन फेक अकाउंट से लड़ रहे हैं, जो लोगों को गुमराह करने के लिए बनाए जा रहे हैं। सीईओ ब्राह्री ने कहा कि जो भी जानकारी ऑनलाइन या सोशल मीडिया पर उपलब्ध है, उसे लेकर सावधान रहने की जरूरत है।

विश्वास न्यूज के फैक्ट चेक में सामने आई हकीकत

- 2012 में नबी सालेह में विरोध प्रदर्शन के दौरान फलस्तीनी लड़की के इजरायली सैनिक से भिड़ने की घटना के वीडियो को हालिया इजरायली-हमास संघर्ष से जोड़कर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। यह वायरल वीडियो वर्ष 2012 का है, जब 12 वर्षीय फलस्तीनी बच्ची इजरायली सैनिक के साथ भिड़ गई थी।

- सोशल मीडिया के विभिन्न प्‍लेटफार्म पर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें उन्हें अपने बेटे के साथ देखा जा रहा है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि नेतन्याहू अपने बेटे को हमास के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए सेना में भेज रहे हैं। विश्‍वास न्‍यूज की जांच में यह दावा भ्रामक निकला। यह तस्वीर वर्ष 2014 की है, जब नेतन्याहू के बेटे अवनेर को दिसंबर 2014 में इजरायली सेना में शामिल किया गया था। इजरायली सुरक्षा सेवा कानून के तहत, 18 वर्ष के होने वाले सभी इजरायलियों के लिए सैन्य सेवा में भर्ती अनिवॉर्य है।

- सोशल मीडिया पर एक वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह हमास-इजरायल के बीच चल रहे युद्ध का है। वीडियो के अनुसार, हमास के लड़ाकों ने हमला कर इजरायल का हेलीकॉप्टर ध्वस्त कर दिया। विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। असल में यह वीडियो इजरायल और हमास के युद्ध का नहीं, बल्कि एक वीडियो गेम का है, जिसे युद्ध से जोड़कर शेयर किया जा रहा है।