भारतीय सेना को मिलेंगे कई घातक हथियार, थिएटर कमांड के गठन की तैयारी तेज
भारतीय सेना हमेशा से अजेय निर्भीक और शत्रुजीत रही है पर बीते कुछ सालों में इसमें एक नया आयाम शस्त्रों के मामले में आत्मनिर्भरता भी जुड़ा है। बीते कुछ दशकों से भारत में नया डिफेंस इकोसिस्टम विकसित किया जा रहा है।
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/विवेक तिवारी। भारतीय वायु सेना का ध्येय वाक्य है 'नभस्पर्शं दीप्तम्'। इसका अर्थ है - गर्व से आकाश को छुओ। भारतीय सेना हमेशा से अजेय, निर्भीक और शत्रुजीत रही है पर बीते कुछ सालों में इसमें एक नया आयाम शस्त्रों के मामले में आत्मनिर्भरता भी जुड़ा है। बीते कुछ दशकों से भारत में नया डिफेंस इकोसिस्टम विकसित किया जा रहा है। वैश्विक मंचों पर भारत की छवि डिफेंस के मामले में सशक्त होती जा रही है। मेक इन इंडिया पर जोर देने से आज देश में ही स्वदेशी हथियार से लेकर लड़ाकू विमान तक बनाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से कहा था कि 75 साल बाद लाल किले से तिरंगे को सलामी देने का काम पहली बार भारत निर्मित तोप ने किया है। कौन हिंदुस्तानी होगा, जिसको यह बात और यह आवाज नई प्रेरणा और ताकत नहीं देगी। जिस तरह से सेना के जवानों ने आत्मनिर्भरता की इस जिम्मेदारी को संगठित तरीके और साहस के साथ निभाया है, उसे मैं सलाम करता हूं।
थिएटर कमांड
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस.सोढ़ी बताते हैं कि तीनों रक्षा बलों के साथ अपनी पहली बातचीत में नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने थल सेना, नौसेना और वायु सेना को एकीकृत थिएटर कमांड के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ने के लिए कहा है। तीनों सेनाओं (थल सेना, वायु सेना और नौसेना) की एक संयुक्त कमान को 'थिएटर कमांड' कहा जाता है। सीडीएस ने रक्षा बलों को थिएटर कमांड बनाने पर आगे बढ़ने के लिए कहा है, जो उनका प्राथमिकता क्षेत्र होगा। इस मुद्दे पर पहले ही बहुत सारी चर्चा हो चुकी है और अब आगे बढ़ने का समय आ गया है। सीडीएस जनरल चौहान के पदभार संभालने के साथ इन कमांडों के निर्माण में तेजी आने की संभावना है और इस संबंध में जल्द ही फैसले लिए जाने की उम्मीद है।
S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की तीसरी खेप मिलेगी
भारत को रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की तीसरी खेप अगले साल जनवरी-फरवरी से मिलनी शुरू हो जाएगी। भारत और रूस के बीच हुए S-400 मिसाइल सिस्टम का यह सौदा 35,000 करोड़ रुपये से अधिक का है। इस सौदे के तहत तीन सालों में भारत को रूस से रक्षा मिसाइलों के पांच स्क्वाड्रन हासिल करने हैं।
चीन और पाकिस्तान की सीमा पर तैनात होगी मिसाइल
रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सशस्त्र बलों के लिए लगभग 120 'प्रलय' बैलिस्टिक मिसाइलों की खरीद को मंजूरी दे दी है। इन मिसाइलों को चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर तैनात किया जाएगा। प्रलय' एक अर्ध-बैलिस्टिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है। इंटरसेप्टर मिसाइलों को हराने में सक्षम होने के लिए उन्नत मिसाइल को एक तरह से विकसित किया गया है। यह बीच हवा में एक निश्चित सीमा तय करने के बाद अपना रास्ता बदलने की क्षमता रखती है। 'प्रलय' एक ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटर और अन्य नई तकनीकों द्वारा संचालित है। इस मिसाइल को सबसे पहले भारतीय वायु सेना में शामिल किया जाएगा।
भारतीय सेना में 5 बड़े बदलाव हो सकते हैं
जनरल मनोज पांडे ने कहा- हमने भारतीय सेना में परिवर्तन करने का फैसला लिया है। और यह बदलाव 5 डोमेन में होगा। जिसमें फोर्स की रिस्ट्रक्चरिंग, ऑप्टिमाइजेशन, मॉडर्नाइजेशन, टेक्नोलॉजी इन्फ्यूजन और ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट फिलॉसफी जैसे डोमेन शामिल हैं।
नए साल में मिलेंगे ये घातक हथियार
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस.सोढ़ी कहते हैं कि 2023 में नाग मार्क-2 आ जाएगा। इसकी तैनाती टैंकों में की जाएगी। इससे सैन्य शक्ति में ईजाफा होगा। वहीं हैंड हेल्ड रेडियो सेट भी 2023 में आ जाएंगे। इससे कम्युनिकेशन में बहुत आसानी हो जाएगी। इससे सैनिक में आपस बात कर सकेंगे। डिजिटल इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम से नेविगेशन सिस्टम आसान होगा। विदेशी सैटेलाइट आसानी से ट्रैक हो सकेंगे। अल्फा लॉयटरिंग म्यूनिशंस का भी बेहतर तरीके से इस्तेमाल हो सकेगा।
अस्त्र एमके-2 मिसाइल
ये मिसाइल बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल हैं। यानी कि जहां पायलट की नजर नहीं जाती, वहां पर भी ये दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में सक्षम हैं। सबसे बड़ी बात इनके ऊपर शत्रु देश के रडार भी काम नहीं करेंगे। यानी ये रडार को भी चकमा देने में भी माहिर है। MK-2 मिसाइल लगभग 300 किमी तक अचूक निशाना लगा सकती है। सबसे बड़ी ताकत जो इस मिसाइल की है, वह यह कि ये अपने फाइटर जेट को स्टैंड ऑफ रेंज प्रदान करते हैं। स्टैंड ऑफ रेंज का मतलब होता है कि दुश्मन की तरफ मिसाइल फायर करके खुद उसके हमले से बचने का सही समय मिल जाए। अस्त्र MK-2 मिसाइल की लॉन्चिंग 2023 में होगी।
रक्षा सेक्टर में मेक इन इंडिया
भारतीय वायुसेना को तेजस लड़ाकू विमानों से लैस करने के लिए सरकार ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ बड़ा करार किया है। सरकार ने 83 तेजस हल्के लड़ाकू विमान खरीदने के लिए एचएएल को 48 हजार करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया है। ये रक्षा क्षेत्र में सबसे बड़ा 'मेक इन इंडिया' ऑर्डर है। भारतीय वायुसेना को तेजस एलसीए की आपूर्ति मार्च 2024 से शुरू हो जाएगी। कुल 83 विमानों की आपूर्ति पूरी होने तक सालाना करीब 16 विमानों की आपूर्ति की जाएगी। भारत के अलावा दुनिया के कई दूसरे मुल्कों ने भी तेजस विमान खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है।
आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य
लेफ्टिनेंट कर्नल जे. एस. सोढ़ी कहते हैं कि अगले कुछ वर्षों में भारत ने अपने तीनों सेनाओं को दुनिया की आधुनिक हथियारों से लैस करने का लक्ष्य रखा है। मेक इन इंडिया के तहत रक्षा उत्पादन के मामले में देश को आत्मनिर्भर भी बनाने का मिशन है। मौजूदा समय में देश रक्षा उपकरणों के निर्यातक के मामले में शीर्ष 20 में आ चुका है।
सोढ़ी कहते हैं कि वर्तमान में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का फोकस है- भारत को डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। साथ ही भविष्य में भारत खुद एक बड़ा रक्षा साजो सामान का निर्यातक देश बने यह सुनिश्चित करना है। वह कहते हैं कि एक दौर था, जब हम रक्षा उपकरणों के साजो-सामान को आयात करते थे, लेकिन अब शीर्ष निर्यातक बन गए हैं।
सोढ़ी के अनुसार, IANS विक्रांत देश में बना एयरक्राफ्ट करियर है। यह वास्तव में गर्व की बात है कि भारत दुनिया के उन चंद देशों में शुमार है, जो यह एयरक्राफ्ट बना चुका है।
समुद्री परीक्षण वागीर कमीशन:प्रोजेक्ट-75 की पांचवीं पनडुब्बी वागीर का समुद्री परीक्षण चल रहा है। पनडुब्बी को 2023 में भारतीय नौसेना में शामिल करने की योजना है।
डिफेंस एक्सपोर्ट : नवंबर 2022 में पहली बार एक भारतीय कंपनी - भारत फोर्ज को होवित्ज़र तोपों के निर्यात का कॉन्ट्रैक्ट मिला। इससे पहले सितंबर में भारत ने आर्मेनिया की सेना को पिनाका रॉकेट्स देने का कॉन्ट्रैक्ट भी मिला था।
INS अरिघात
INS अरिघात खुफिया पनडुब्बी के ट्रायल्स पूरे हो चुके हैं। फिलवक्त इसकी कोई तस्वीर कहीं भी मौजूद नहीं है।
लाइट टैंक प्रोटोटाइप होगा तैयार
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, भारत 354 लाइट टैंकों के लिए एक मेगा स्वदेशी अधिग्रहण परियोजना शुरू करने के लिए तैयार है। दरअसल, पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ मौजूदा टकराव के दौरान उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए हल्के वजन वाले टैंकों की जरूरत महसूस की गई है, ताकि इन्हें 8 से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर ले जाया जा सके। डीआरडीओ का पहला लाइट टैंक प्रोटोटाइप 2023 तक तैयार हो जाएगा।
सामरिक नेतृत्व हुआ मजबूत
लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) मोहन भंडारी कहते हैं कि अगर आधुनिक हथियारों की बात करें तो हर सेना में जरूरत और स्थिति को ध्यान में रखते हुए आधुनिक हथियार मंगाए ही जाते हैं, लेकिन हमेशा हथियार ही जीत की गारंटी नहीं होती हैं। पिछले कुछ समय में भारत का सामरिक नेतृत्व काफी मजबूत हुआ है। 2023 में इसके और बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे। चीन हो या पाकिस्तान या कोई अन्य देश कोई भी आज भारत को आंख दिखाने की हिम्मत नहीं करेगा। भारत से चीन का तीन मार्चों पर विवाद है। पहला - लद्दाख में, दूसरा - उत्तराखंड में और तीसरा - अरुणाचल प्रदेश है। 2023 में चीन कोई नया विवाद शुरू करने के बारे में नहीं सोचेगा। हालांकि, ये भी सच है कि वो इन जगहों पर विवाद को बना कर रखने की पूरी कोशिश करेगा, लेकिन आज भारत किसी भी गुस्ताखी का मजबूती से जवाब देने में सक्षम है।
आतंकवाद से बखूबी मुकाबला कर रही भारतीय सेना
मेजर जनरल पी.के.सहगल कहते हैं कि भारतीय सेना ने आतंकवाद से बखूबी मुकाबला किया है। जिससे आतंकवादियों के हौसले पस्त हुए हैं। वैश्विक पटल पर इसकी काफी तारीफ हुई है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी भारतीय सेनाओं के आतंकवाद से लड़ने के पराक्रम को सराहा है।
देश में ही बनेगी ब्रह्मोस मिसाइल, बन रहे हैं डिफेंस कॉरिडोर
रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में डिफेंस कॉरिडोर का खासा महत्व है। डिफेंस कॉरिडोर सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। जिसमें कई शहर शामिल होते हैं। इन शहरों में सेना के काम आने वाले सामानों के निर्माण के लिए इंडस्ट्री विकसित किया जाता है, जहां कई कंपनियां हिस्सा लेती हैं। इस कॉरिडोर में पब्लिक सेक्टर, प्राइवेट सेक्टर और एमएसएमई कंपनियां हिस्सा लेंगी। इस कॉरिडोर में वो सभी औद्योगिक संस्थान भी शामिल होते हैं, जो कि सेना के सामानों का निर्माण करते हैं। आसान भाषा में समझें तो डिफेंस कॉरिडोर एक ऐसा रूट है जिसमें कई शहरों को शामिल किया गया है। उन शहरों में सेना में इस्तेमाल होने वाले सामानों का निर्माण होगा। जैसे- उत्तर प्रदेश में आगरा, अलीगढ़, चित्रकूट, झांसी, कानपुर और लखनऊ शामिल है। वहीं, तमिलनाडु में चेन्नई, होसुर, सलेम, कोयंबटूर और तिरुचिरापल्ली शहर शामिल किया गया है।
दुनिया मांग रही भारत से हथियार
लेफ्टिनेंट कर्नल जे. एस. सोढ़ी कहते हैं कि दुनिया के कई देश भारत से हथियार मांग रहे हैं। आर्मेनिया, फिलीपींस और वियतनाम जैसे देशों में मेक इन इंडिया हथियारों की मांग बढ़ी है। यह हमारे डिफेंस सेक्टर की मजबूती को दिखाता है।
आधुनिकीकरण पर अधिक खर्च करना होगा
लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) मोहन भंडारी कहते हैं कि सरकार को आने वाले दिनों में भारत को अपनी सेनाओं के आधुनिकीकरणऔर रिसर्च पर अधिक खर्च करना होगा। आत्मनिर्भर भारत अभियान को और तेज करना होगा साथ ही अर्थव्यवस्था को और मजबूत करने पर जोर देना होगा। जिस देश की अर्थव्यवस्था जितनी मजबूत होती है, वो देश अपनी सेनाओं पर उतना बेहतर खर्च कर पाता है। चीन की पूरी दुनिया में जो स्थिति है उसको देखते हुए भारत के सामने अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का काफी अच्छा अवसर है।
साइबर वारफेयर से लड़ना एक चुनौती
मेजर जनरल पी.के.सहगल कहते हैं कि साइबर वारफेयर, लेजर बेस वीपन सिस्टम से निपटना भारत के लिए बड़ी चुनौती है। वहीं, एसिमिट्रिक युद्ध के लिए भी हमें तैयारी पुख्ता करनी होगा। ड्रोन हमले से भी निपटना भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है। भारत में लगातार साइबर हमले हो रहे हैं, जो कि मौजूदा स्थिति में काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। हालांकि, इस दिशा में काफी काम हुआ है, लेकिन अभी इस पर ज्यादा तत्परता और सघन तरीके से काम करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) नरेंद्र कुमार कहते हैं कि हमें ड्रोन अटैक और डिफेंस दोनों के लिए बेहतर उपकरण तैयार करने होंगे। वहीं ,साइबर वॉर और एआई तकनीक के बेहतर इस्तेमाल की रणनीति पर भी काम करना होगा।
ड्रोन वार से निपटना चुनौती
ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) नरेंद्र कुमार कहते हैं कि सेना को आधुनिकीरण पर अपने खर्च को बढ़ाना होगा। पिछले कुछ समय से ड्रोन एक बड़ा रणनीतिक हथियार बन के उभरा है। पाकिस्तान आए दिन हथियार और ड्रग्स की खेप पहुंचाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है। ऐसे में भारत को 2023 में ड्रोन तकनीक पर खास तौर पर निवेश करना होगा।
छद्म युद्ध के लिए रहना होगा तैयार
ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) नरेंद्र कुमार कहते हैं -आज के समय में सीधे तौर पर युद्ध अंतिम विकल्प है। पर इसे नकारा नहीं जा सकता। रूस और युक्रेन युद्ध, आर्मेनिया और अजरबैजान युद्ध इसके उदाहरण हैं, लेकिन आज के समय में सीधी तौर पर युद्ध में जाने से पहले एक देश दूसरे देश के खिलाफ साइबर वॉर,इन्फॉर्मेशन वॉर रहित कई अन्य तरह के युद्ध करता है। ऐसे में हमें पारंपरिक युद्ध के लिए तैयारी करने के साथ ही छद्म युद्ध के लिए भी तैयार रहना होगा।