नई दिल्ली, प्राइम टीम। अमेरिकी संस्थान फ्रीडम हाउस ने कुछ साल पहले 30 देशों में चीनी प्रचार तंत्र की पहुंच पर एक अध्ययन रिपोर्ट जारी की थी। उसमें आधे से अधिक देशों में चीनी मीडिया का प्रभाव ‘बहुत उच्च’ से ‘उच्च’ श्रेणी का पाया गया। रिपोर्ट में कहा गया था कि ‘चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) और उसकी तरफ से काम करने वाली एजेंसियां मीडिया नैरेटिव को आकार देने और आलोचनात्मक रिपोर्टिंग को दबाने के लिए अधिक शक्तिशाली तौर-तरीकों का इस्तेमाल कर रही हैं। कई देशों का मीडिया चीनी दबाव का मुकाबला कर लेता है, लेकिन चीन के तरीके ज्यादा जहीन और आक्रामक हो जाने से यह पहचान मुश्किल हो जाती है कि कौन-सी सामग्री चीनी प्रचार का हिस्सा है। हालांकि चीन ने इन सारी बातों को सिरे से खारिज कर दिया था, लेकिन बीते शनिवार को प्रकाशित अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) की रिपोर्ट ने चीन की मंशा पर फिर से सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इन सबके पीछे चीन के तीन मुख्य मकसद हैं- अपने पक्ष में नैरेटिव गढ़ना, साइकोलॉजिकल वॉरफेयर और फुलप्रूफ पॉलिसी बनाने के लिए जानकारी हासिल करना।

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