नई दिल्ली, विवेक तिवारी। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कई तरह के प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में ग्रीन एनर्जी पर जोर देते हुए देश में E20 पेट्रोल लॉंच किया गया है। इसे पेट्रोल में एथेनॉल मिला कर बनाया जाता है। इस पेट्रोल से देश का तेल आयात कम करने के साथ ही प्रदूषण पर भी लगाम लगाने में मदद मिलेगी। आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि E20 पेट्रोल का आपकी गाड़ी पर क्या असर होगा? माइलेज में क्या फर्क आएगा? किस तरह के फायदे मिलेंगे? आपके सवालों का सटीक जवाब तलाशने के लिए हमने ऑटो इंडस्ट्री के एक्सपर्ट टूटू धवन, सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर टेक्निकल रहे के.के. गांधी और आईआईटी रुड़की के केमिकल इंजीनियर राम प्रकाश भारती से बात की।

E20 पेट्रोल क्या है?

E20 पेट्रोल में ई का मतलब है इथेनॉल। E20 का मतलब है पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा 20 फीसदी है। फिलहाल देश में मिलने वाले पेट्रोल में 10 फीसदी तक इथेनॉल होता है।

कितने शहरों में E20 पेट्रोल मिलेगा?

पेट्रोलियम कंपनियां पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से E-20 पेट्रोल उपलब्ध कराएंगी। पहले चरण में, 11 राज्यों, दिल्ली, बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, दमन दीव और दादरा और नगर हवेली के 15 शहरों के लगभग 84 आउटलेट पर ये पेट्रोल उपलब्ध होगा। सरकार का लक्ष्य 2025 तक पूरे देश में E20 पेट्रोल उपलब्ध कराना है।

इथेनॉल क्या होता है?

इथेनॉल बायोमास से बनाया जाता है। ज्यादातर इथेनॉल मक्के और गन्ने से तैयार किया जाता है। भारत में गन्ना और मक्के की खेती बड़े पैमाने पर होती है। ऐसे में देश में एथेनॉल का उत्पादन तेजी से बढ़ाया जा सकता है।

पेट्रोल में एथेनॉल क्यों मिलाया जा रहा है?

भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर कच्चा तेल आयात करता है जिससे पेट्रोल और डीजल बनाए जाते हैं। ऐसे में पेट्रोल में 20 फीसदी तक एथेनॉल मिलाने से तेल के आयात में कुछ कमी आएगी और देश को आयात के लिए कम पैसे खर्च करने होंगे।

E20 पेट्रोल से क्या प्रदूषण में भी कमी आएगी?

E20 फसलों से तैयार किए गए एथेनॉल से बनाया जाता है। ये अल्कोहल बेस्ड फ्यूल है। इस पेट्रोल के इस्तेमाल से गाड़ी से निकलने वाले धुएं में 35 फीसदी तक कम कार्बन-मोनो-ऑक्साइड पैदा होती है। सल्फर-डाई-ऑक्साइड भी कम निकलती है।

E20 पेट्रोल से किसानों को क्या फायदा होगा ?

E20 पेट्रोल में एथेनॉल मिलाया जा रहा है। एथेनॉल का उत्पादन फसलों से होता है, खास तौर पर गन्ने से। ऐसे में मांग बढ़ने पर किसानों को उनकी फसलों के अच्छे दाम मिलेंगे।

पेट्रोल में एथेनॉल मिलाए जाने के कुछ फायदे मिले हैं क्या?

भारत सरकार ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए कई तरह के प्रयास कर रही है। सरकार के निरंतर प्रयासों के कारण 2013-14 से अब तक इथेनॉल उत्पादन क्षमता में छह गुना की बढ़ोतरी देखी गई है। पिछले आठ सालों में पेट्रोल में एथेनॉल मिलाए जाने से कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन में 318 लाख मीट्रिक टन की कमी और लगभग 54,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है। इसके परिणामस्वरूप 2014 से 2022 के दौरान एथेनॉल आपूर्ति के लिए लगभग 81,800 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है और किसानों को 49,000 करोड़ रुपये से अधिक का हस्तांतरण किया गया है।

भारत कितना कच्चा तेल आयात करता है?

भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी तेल फिलहाल आयात करता है। पिछले वित्त वर्ष में देश का तेल आयात बिल लगभग 119 अरब डॉलर पहुंच गया था। साल 2013-14 से अभी तक एथेनॉल का उत्पादन छह गुना बढ़ा है। इससे लगभग 54 हजार करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा बची है। सरकार ने साल 2025 तक देश में पूरी तरह E-20 ईंधन की बिक्री का लक्ष्य रखा है। पेट्रोल कंपनियां भी 2G और 3G एथनॉल प्लांट्स बना रही हैं।

EBP क्या है?

EBP यानी एथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम। ये भारत सरकार का प्रोग्राम है जिसके तहत साल 2018 में टारगेट रखा गया था कि साल 2030 तक देश में 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग वाला पेट्रोल सभी जगह मिल सकेगा। मगर साल 2021 में सरकार ने इस टारगेट की समय सीमा पांच साल कम कर दी। अब 2025 तक सभी जगह E20 पेट्रोल उपलब्ध कराने का टारगेट सेट किया गया है।

फ्लेक्स फ्यूल किसको कहते हैं?

E20 पेट्रोल को ही फ्लेक्स फ्यूल या फ्लेक्सिबल फ्यूल कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसे किसी भी गाड़ी में यूज किया जा सकता है।

क्या डीजल में भी एथेनॉल मिलााया जाता है?

नहीं, डीजल में एथेनॉल नहीं मिलाया जाता है। डीजल में बायो डीजल की ब्लेंडिंग की जाती है। बायो डीजल जेट्रोफा जैसे पौधे से बनाया जाता है।

क्या सभी तरह की गाड़ियों में E20 पेट्रोल का इस्तेमाल हो सकता है?

जी हां, सभी पेट्रोल गाड़ियों में E20 पेट्रोल का इस्तेमाल हो सकता है। भारत में ज्यादातर गाड़ियों के इंजन ‌BS-4 और BS-6 स्टेज के हैं। इंजन बनाने वाली कंपनियों को पहले ही E20 पेट्रोल के लायक इंजन बनाने के निर्देश दिए गए थे। सरकार का लक्ष्य है कि 1 अप्रैल 2023 तक सभी गाड़ियों के इंजन E20 पेट्रोल के लिए फेवरेबल हों।

E20 पेट्रोल क्या सामान्य पेट्रोल से सस्ता होगा?

एथेनॉल पेट्रोल की तुलना में सस्ता है। अब तक पेट्रोल में केवल 10% एथेनॉल मिलाया जाता है। ऐसे में उम्मीद है कि E20 पेट्रोल की कीमत पहले मिल रहे पेट्रोल से कुछ कम होगी।

E20 पेट्रोल किन गाड़ियों में डलवाया जा सकता है?

E20 पेट्रोल किसी भी गाड़ी में डलवाया जा सकता है। लेकिन जिन गाड़ियों में कार्बोरेटर का इस्तेमाल किया गया है उनमें कुछ बदलाव करने की जरूरत होगी।

गाड़ियों में E20 पेट्रोल पेट्रोल डलवाने पर क्या माइलेज पर असर होगा?

गाड़ी में E20 पेट्रोल डालने पर आपकी गाड़ी का माइलेज कुछ घट सकता है। पेट्रोल की तुलना में एथेनॉल से मात्र 66 फीसदी ऊर्जा मिलती है। ऐसे में आपके माइलेज में 6 से 7 फीसदी तक की कमी आ सकती है।

E20 पेट्रोल से गाड़ी को कुछ नुकसान हो सकता है क्या?

जिन गाड़ियों का इंजन पुराना है या जिनमें कार्बोरेटर लगा हुआ है उनमें E20 पेट्रोल डलाने पर इंजन के पुर्जों को नुकसान पहुंच सकता है। इंजन के पाइप्स और प्लास्टिक पार्ट्स को भी नुकसान संभव है।

दुनिया के किसी अन्य देश में पेट्रोल में एथेनॉल मिलाया जाता है क्या?

कई देशों में पेट्रोल में एथेनॉल मिलाया जा रहा है। ब्राजील में 85 फीसदी तक एथेनॉल की ब्लैंडिंग की जाती है। वहां पेट्रोल पंप पर एथेनॉल अलग से भी मिलता है। ब्राजील में लगभग 40 प्रतिशत गाड़ियां सौ फीसदी एथेनॉल पर चल रही हैं। स्वीडन और कनाडा में भी एथेनॉल पर गाड़ियां चल रही हैं। कनाडा में तो एथेनॉल के इस्तेमाल को बढावा देने के लिए सरकार की तरफ से सब्सिडी दी जाती है।

फिलहाल कितने एथेनॉल का उत्पादन हो रहा है?

वर्तमान में देश में एथेनॉल की उत्पादन क्षमता लगभग 1,037 करोड़ लीटर है। इसमें 700 करोड़ लीटर गन्ना आधारित और 337 करोड़ लीटर अनाज आधारित है। वहीं, 2022-23 के लिए पेट्रोल-एथेनॉल वाले ईंधन की आवश्यकता 542 करोड़ लीटर है। यह 2023-24 के लिए 698 करोड़ लीटर और 2024-25 के लिए 988 करोड़ लीटर है।

E20 पेट्रोल से किसानों की आय कितनी बढ़ी?

एथेनॉल का उत्पादन गन्ने, मक्का या अन्य फसलों से होता है। एथेनॉल की मांग बढ़ने से किसानों को इसका फायदा मिलेगा। पिछले आठ साल के आंकड़ों पर ध्यान दें तो एथेनॉल आपूर्तिकर्ताओं ने इससे 81,796 करोड़ रुपये कमाए हैं, जबकि किसानों को 49,078 करोड़ रुपये मिले हैं।

E-20 पेट्रोल से किसी तरह का प्रदूषण भी होगा?

फिलहाल इस्तेमाल हो रहे पेट्रोल की तुलना में E20 पेट्रोल से कम प्रदूषण होगा। पहले की तुलना में कम कार्बन मोनो ऑक्साइड और सल्फर डाई ऑक्साइड निकलेगी। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि एथेनॉल के जलने से एल्डिहाइड निकलते हैं। ब्राजील जैसे देशों में हवा में एल्डिहाइड के स्तर को भी नापा जाता है। भारत में भी इसे नापने के लिए मानक बनाए जाने चाहिए।