नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/विवेक तिवारी। दिल्ली में एक व्यक्ति के खाते से साइबर ठगों ने 50 लाख रुपये उड़ा दिए। ठगी के शिकार व्यक्ति का दावा है कि साइबर ठगों ने उसे फोन पर कई बार मिस्ड कॉल दी, जिसके बाद उसके खाते से पैसे गायब हो गए। ज्यादातर साइबर एक्सपर्ट्स का मानना है कि सिर्फ मिस्ड कॉल से ठगी संभव नहीं है। कहीं न कहीं आपकी एक छोटी-सी गलती ही आपको ठगी का शिकार बनाती है। कहीं ओटीपी पूछ कर ठगी की जा रही है तो कहीं एक लिंक भेज कर बैंक खाता खाली कर दिया जा रहा है। हमने ऑनलाइन ठगी को लेकर देश के 5 बड़े साइबर एक्सपर्ट्स से बात की। सामान्य तौर पर ऑनलाइन ठगी करने वाले इन 20 तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। अगर आप इनका ध्यान रखते हैं तो आप ठगी से बच सकते हैं।

(1) कॉल में उलझाकर खाते से निकाल रहे पैसे

विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ मिस्ड कॉल से खाते से पैसे गायब नहीं हो सकते। साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन कहते हैं कि ठग मिस्ड कॉल के जरिए आपका ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं। दरअसल वो आपको मैसज या मेल के जरिए कोई मालवेयर भेजते हैं, जिसके जरिए आपकी गोपनीय जानकारी चुरा लेते हैं। ये भी संभव है कि आपके सिम की क्लोनिंग की गई हो। खाते से ट्रांजैक्शन करते समय आपको बैंक की ओर से मैसेज आता है। आप वो मैसेज चेक न कर सकें इसके लिए ठग लगातार आपको मिस्ड कॉल या ब्लैंक कॉल करते हैं। आप उसमें उलझ जाते हैं और आपके खाते से पैसे गायब हो जाते हैं। साइबर मामलों के विशेषज्ञ मुकेश चौधरी कहते हैं कि मिस्ड कॉल के खाते से पैसे गायब होने की संभावना न के बराबर है। ये संभव है कि ठगों ने मेल या एसएमएस के जरिए कोई हैकिंग सॉफ्टवेयर उनके फोन या डिवाइस में डाल दिया हो । मिस्ड कॉल सिर्फ ध्यान भटकाने के लिए की जा रही हो।   

कैसे बचें

आपको लगातार कोई मिस्ड कॉल या कॉल कर रहा है इस बीच आए किसी भी मैसेज को नजरअंदाज न करें। अगर आपके खाते में कोई संदिग्ध ट्रांजैक्शन की आशंका लगती है तो तुरंत अपने बैंक को फोन कर अपने खाते को फ्रीज कराएं।

(2) जॉब देने के नाम पर साइबर अपराध

आगरा में नौकरी के नाम पर तीन साल के दौरान बेरोजगारों से ठगी करने वाले दिल्ली के साइबर गैंग के तीन सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। गिरोह के लोग ऑनलाइन जॉब पोर्टल से डाटा हासिल करके बेरोजगारों को कॉल करके अपने जाल में फंसाते थे। उन्हें मल्टी नेशनल कंपनी में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 30 से 50 हजार रुपये तक अपने खाते में जमा कराते थे। ढाई साल के दौरान दो सौ से ज्यादा लोगों से करीब ढाई करोड़ रुपये की ठगी कर चुके थे। कैथल में एक युवक को नौकरी दिलवाने के नाम पर धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया है। 27 अगस्त 2022 को पीड़ित के पास एक लड़की का फोन आया। लड़की ने कहा कि क्या आप कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव की नौकरी करना चाहते हैं। उसने नौकरी के लिए हां कर दी तो महिला ने कहा कि उसे हर रोज फोन से 100 संदेश भेजने का काम करना होगा।

कैसे बचें

  • अज्ञात स्रोतों से प्राप्त जॉब ऑफर पर कतई भरोसा न करें, पहले पूरी तरह सत्यापन कर लें।
  • नौकरी के एवज में सिक्योरिटी मनी, प्रोसेसिंग फीस व रजिस्ट्रेशन के नाम पर भुगतान करने के लिए कहा जाए, तो चौकन्ना हो जाएं।
  • नौकरी के लिए भेजे गए लिंक पर अपना व खाते से संबंधित ब्योरा नहीं भरें।

बल्क मैसेजिंग एप के जरिये साइबर अपराधी लोगों को मैसेज और ईमेल भेजते हैं। प्ले स्टोर पर बल्क एसएमएस के नाम से कई एप मौजूद हैं। इन्हें इंस्टॉल करने के बाद शुल्क लेकर मैसेज का ऑप्शन दिया जाता है। उसमें सैकड़ों नंबर एक साथ इंपोर्ट कर साइबर अपराधी मैसेज भेजते हैं। मैसेज भेजने वालों का जैसे-जैसे कॉल आता है, लोग ठगी के शिकार होते जाते हैं। इसी तरह बल्क ईमेल भी भेजे जा रहे हैं।केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही युवाओं को आगाह किया कि ऑनलाइन जॉब फ्रॉड के शिकार होने से बचने के लिए कुछ संकेतों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इनमें जल्दी से अप्वाइंटमेंट लेटर जारी होना, गैर-पेशेवर तरीके से ईमेल शामिल हैं। मंत्रालय ने कहा कि गलत ईमेल पाने पर लोग इसकी सूचना साइबर क्राइम विंग को दे सकते हैं। इसके लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल www.cybercrime.gov.in पर शिकायत की जा सकती है।

(3) सेक्सटॉर्शन

साइबर एक्सपर्ट मुकेश चौधरी के मुताबिक सेक्सटॉर्शन पिछले एक साल से ब्लैकमेलिंग का ऑर्गनाइज्ड क्राइम चल रहा है। इसमें वॉट्सऐप पर एक वीडियो कॉल आता है। उस कॉल में दूसरी तरफ एक न्यूड लेडी होगी। ये लेडी स्क्रीन रिकॉर्डर के जरिए आपके फेस के साथ एक वीडियो बना लेगी। बाद में इस वीडियो को इंटरनेट पर डालने की धमकी देकर आपके पैसे मांगे जाते हैं। सेक्सटॉर्शन दो शब्दों “सेक्स” और “एक्सटॉर्शन” से मिलकर बना है। इसका मतलब हुआ किसी के कंप्यूटर में सेंध लगाकर सेक्सी पिक्चर या वीडियो चुराना या फिर वेबकैम से ऐसा करना, फिर इस वीडियो या तस्वीर के जरिए विक्टिम को ब्लैकमेल करना, उससे फिरौती मांगना।

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी दुबे कहते हैं कि सेक्सटॉर्शन एक खतरनाक अपराध है, जिसमें कोई व्यक्ति आपकी निजी और संवेदनशील जानकारी सार्वजनिक करने की धमकी देता है। यह जबरन वसूली का एक भयानक और अमानवीय अपराध है। सेक्सटॉर्शन ऑनलाइन ब्लैकमेल के समान है जिसमें ब्लैकमेलर पीड़ित से यौन गतिविधियों में भाग लेने की मांग करता है, जैसे नग्न तस्वीरें दिखाना या बड़ी राशि की मांग करना भी शामिल होता है।

दिल्ली पुलिस को मिली इतनी शिकायत

दिल्ली पुलिस को साल 2021 में सेक्सटॉर्शन की 409 और इस साल 31 अगस्त तक 1469 शिकायतें मिलीं, मगर उनमें से कुछ ही शिकायतें एफआईआर में तब्दील हो सकीं। पुलिस के डाटा के मुताबिक, पिछले साल सेक्सटॉर्शन की 409 शिकायतों में से केवल 24 मामलों में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। वहीं, इस साल कुल 1469 शिकायतों में से केवल 44 मामलों में ही एफआईआर दर्ज की गई हैं।

कैसे बचें

साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे ने कहा कि इंटरनेट पर जाते समय काफी सतर्क रहना चाहिए। लोग इंटरनेट को हल्के में लेते हैं, जबकि ज्यादा सतर्कता बरतनी चाहिए। ये ऐसी दुनिया है, जहां कौन व्यक्ति किस रूप में आपके सामने आ रहा वह पता नहीं चलता। सोशल मीडिया पर कनेक्ट होते समय विशेष रूप से सतर्कता बरतने की जरूरत है। वहां सब पर ट्रस्ट न करें। कोई रिक्वेस्ट आपके फ्रेंड के नाम से आया है, लेकिन हो सकता है कोई साइबर फ्रॉड आपके दोस्त के नाम प्रोफाइल बनाकर आपसे जुड़ने की कोशिश कर रहा हो।

(4) रैनसमवेयर

कमर्शियल संस्थानों पर सबसे ज्यादा हमले रैनसमवेयर के होते हैं। साइबर सिक्युरिटी वेंचर्स का अनुमान है कि रैनसमवेयर से कंपनियों को 2021 में 20 अरब डॉलर का नुकसान हुआ, जो 2017 में सिर्फ 5 अरब डॉलर था। यही नहीं, 2031 में यह नुकसान 265 अरब डॉलर तक पहुंच जाने का अंदेशा है। 2021 में बिजनेस प्रतिष्ठानों पर औसतन हर 11 सेकंड में रैनसमवेयर हमले हुए, 2031 में हर दो सेकंड में होंगे।

रैनसमवेयर एक तरह का साइबर हमला है। यह वायरस यूजर के कंप्यूटर पर पूरी तरह से कंट्रोल कर पेमेंट की डिमांड करता है। यह वायरस सिर्फ कंप्यूटर ही नहीं, बल्कि स्मार्टफोन को भी नुकसान पंहुचा सकता है। यह वायरस बिना आपकी जानकारी के कंप्यूटर या स्मार्टफोन को नुकसान पहुंचाने वाला सॉफ्टवेयर डाउनलोड कर लेता है, इसके जरिए ये यूजर की जानकारी को एन्क्रिप्ट कर लेता है। इस तरह हैकर के पास यूजर के डाटा पर पूरा-पूरा एक्सेस हो जाता है। फिर हैकर यूजर को उसका डाटा ब्लॉक करने की धमकी दे, उससे पैसे ऐंठता है।

कैसे बचें

डाटा का बैकअप रखें

रैनसमवेयर में यूजर का पर्सनल डाटा, फोटोज, डॉक्युमेंट्स आदि सभी पर अटैक होता है। इसलिए सबसे पहले आप अपने डाटा का पूरा बैकअप रखें। यह भी ख्याल रखें कि यह बैकअप आपने इंटरनेट का इस्तेमाल करके न किया हो। कोशिश करें कि बैकअप किसी हार्ड ड्राइव में रख लें। इससे कितना ही खतरनाक वायरस हो, आपके डाटा का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।

फाइल्स को अनलॉक करें और रैनसमवेयर को रिमूव करें

अगर आपके पीसी पर रैनसमवेयर का अटैक हो जाता है तो आपके डाटा को अनलॉक करने के लिए पैसे मांगे जाएंगे, लेकिन पैसे देने के बाद भी कोई गारंटी नहीं कि आपको आपका डाटा वापस मिल जाएगा।

  •  बिना पैसे दिए इस वायरस से निबटने के लिए सबसे पहले विंडोज डिस्क को इन्सर्ट कर पीसी को रिबूट करने की कोशिश करें।
  • आपकी मशीन को हार्ड ड्राइव की जगह डिस्क से बूट होना चाहिए।
  •  अगर ऐसा नहीं होता तो आप F8 प्रेस करें।
  • इसके बाद आपको ऑपरेटिंग सिस्टम को रिपेयर या दोबारा इन्स्टॉल करने का विकल्प मिलेगा।
  • -मशीन को रिपेयर या दोबारा इन्स्टॉल करने से वायरस चला जाना चाहिए।

एंटी वायरस है जरुरी

किसी भी कंप्यूटर या स्मार्टफोन में एंटी वायरस होना बेहद जरूरी है। एंटी वायरस रैनसमवेयर या किसी अन्य खतरनाक वायरस से भी बचने में आपकी मदद करता है। एंटी वायरस आसानी से पहचान लेता है कि आपकी डिवाइस में कौन-सा वायरस है।

(5) किसी भी ऐप या लिंक पर न करें क्लिक

रैनसमवेयर फाइल या डाटा को हैक करने के लिए सबसे पहले डिवाइस में कुछ ऐप डाउनलोड करता है| ऐसे में कई बार ब्राउज करते वक्त कुछ ऐसे पॉप-अप लिंक सामने आते हैं और हम ज्यादा ध्यान ना देते हुए क्लिक कर देते हैं। ऐसा बिल्कुल भी न करें। कोई भी ऐसा लिंक, ऐप या कुछ भी जिस पर जरा-सा भी संदेह हो, उस पर क्लिक न करें।

भारत में हुए यह छह बड़े रैनसमवेयर के हमले

1. तेलंगाना और एपी पावर यूटिलिटी

बीते साल तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के पावर यूटिलिटी सिस्टम पर एक खतरनाक हमला हुआ था। इस हमले की वजह से सर्वर पूरी तरह बैठ गए थे। जब तक इस हमले के बारे में पूरी तरह समझ पाते वायरस सारे सिस्टम में फैल गया था।

2. अर्बन रैनसम अटैक

उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम पर एक रैनसमवेयर हमला हुआ था।

3. वानाक्राई

वानाक्राई रैनसमवेयर के हमले से करीब दो लाख कंप्यूटर सिस्टम प्रभावित हुए थे। इसमें भारत के बैंक समेत तमिलनाडु और गुजरात के कुछ एंटरप्राइजेज इससे प्रभावित हुए थे।

4.मिराई बोटनेट मैलवेयर अटैक

यह मैलवेयर अटैक होम राउटर्स और आईओटी डिवाइस को टारगेट करता है। इससे करीब 2.5 मिलियन आईओटी डिवाइस प्रभावित हुई थी।

5. पेटया

पेटया रैनसमवेयर ने सीपोर्ट कंप्यूटर सिस्टम को प्रभावित किया था।

(6) केवाईसी अपडेट के नाम पर

कुछ दिनों पहले एक व्यक्ति से साथ मैसेज के द्वारा ठगी हो गई। मैसेज में लिखा था कि प्रिय ग्राहक, आपका आईसीआईसीआई बैंक खाते के केवाईसी को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके लिए नीचे दिए गए यूआरएल पर क्लिक करें और केवाईसी अपडेट करें। इससे आपपका खाता एक्टिव हो जाएगा। यूआरएल पर क्लिक करते ही व्यक्ति का पैसा हैकर ने चुरा लिया। देश में आम लोग लगातार इस प्रकार के मैसेज द्वारा साइबर ठगी के शिकार हो रहे हैं।

ग्लोबल टेक सपोर्ट स्कैम 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 51 फीसदी फ्रॉड पॉप अप ऐड या विंडो के जरिए हुए हैं। 42 फीसदी भारतीय अवांछित ईमेल, 48 फीसदी रिडायरेक्ट वेबसाइट के जरिए हैकर्स के झांसे में फंस गए। 31 फीसदी लोग अवांछित कॉल के जरिए फर्जीवाड़े के शिकार हो रहे हैं। पिछले साल के आंकड़ों से तुलना करने पर पता चलता है कि सबसे ज्यादा इजाफा अवांछित कॉल के जरिए धोखाधड़ी में हुआ है।

कैसे बचें

साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल कहते हैं कि अगर हमें साइबर ठगी से बचना है तो पहले हमें ये मानना होगा कि हम सुरक्षित नहीं हैं। मोबाइल या किसी डिवाइस पर अपनी संवेदनशील जानकारी सेव करके न रखें। अपनी साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाएं। अपने डिवाइस का बैकअप जरूर रखें। ऐप डाउनलोड करते समय सावधानी रखें। अनावश्यक वेबसाइट पर न जाएं। सावधान रहित, सतर्क रहित और जागरूक रहिए।

(7) फिशिंग

देश में फिशिंग अटैक यानी आनलाइन धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ी हैं। जालसाज वॉट्सऐप, टेलिग्राम, एसएमएस या ई-मेल के जरिये मैसेज भेजकर लोगों को प्रलोभन देते हैं और लोग उनके जाल में फंस अपनी महत्वपूर्ण वित्तीय जानकारी दे देते हैं। यह प्रलोभन लॉटरी जीतने, इनाम निकलने, कोई नई सुविधा मुफ्त मिलने, बैंक खाता बंद होने के रूप में हो सकते हैं।

ऐसे फंसाते हैं जालसाज

सबसे पहले जालसाज लोगों को एसएमएस या ई-मेल भेजते हैं। इन मैसेज में ठग अपने शिकार को उसके बैंक खाते के साथ अवांछित गतिविधि होने की जानकारी देते हैं। साथ ही समय पर कदम नहीं उठाने पर नुकसान होने की बात कही जाती है। इस मैसेज में एक नंबर दिया जाता है जिस पर फोन करने के लिए कहा जाता है।

बचाव

  • अपना मोबाइल नंबर और ई-मेल अपने बैंक के पास इंस्टेंट अलर्ट के लिए पंजीकृत करें।
  • आनलाइन बैंकिंग के लिए सुरक्षित और भरोसेमंद वेबसाइट्स का ही इस्तेमाल करें।
  • सार्वजिनक, खुले या फ्री इंटरनेट के जरिये ऑनलाइन बैंकिंग से बचें।
  • कभी भी अपना महत्पूर्ण बैंकिंग डाटा मोबाइल, ई-मेल या पर्स में ना रखें।
  • एटीएम कार्ड, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या प्रीपेड कार्ड के खोने या चोरी होने पर इसे तुरंत ब्लॉक कराएं।
  • अपने ऑनलाइन बैंकिंग पासवर्ड और पिन को नियमित अंतराल पर बदलते रहें।

(8) बिजली कटौती के नाम पर

आम लोगों को बिजली बिल जमा करने के नाम पर मैसेज और एसएमएस के जरिए लिंक भेजते हैं। इस मैसेज में बिल की जानकारी के साथ वो लिंक मौजूद होता है, जिस पर क्लिक करके पैसे जमा कराने के लिए कहा जाता है।

ये लिंक दरअसल बिजली का बिल जमा करने वाला नहीं होता है बल्कि हैकर्स इस लिंक के जरिए मोबाइल हैक कर लेते हैं। इस लिंक पर क्लिक करते ही लोगों के पैसे अकाउंट से कट जाते हैं। ये स्कैम बीते काफी वक्त से चल रहा है। हैकर्स इस फ्रॉड को वॉट्सऐप और एसएमएस के जरिए लिंक भेजकर अंजाम देते हैं। यूजर हैकर्स के बिछाए जाल में लिंक के जरिए फंस जाता है और अपनी गाढ़ी कमाई को गंवा बैठता है।

बचाव : साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल कहते हैं कि सबसे पहले आप खुद और घरवालों को साइबर ठगी, बैंक फ्रॉड या इस तरह की दूसरे धोखाधड़ी के बारे में जागरूक बनाएं। किसी भी अनजान व्यक्ति को केवाईसी या किसी भी बात के लिए ओटीपी शेयर न करें। किसी भी तरह के फोन या मैसेज को पहले जांच-परख लें साथ ही किसी भी तरह के लालच में न पड़े, जैसे सस्ता सामान,या छूट या पैसे दोगुना करने टाइप किसी झांसे में न आएं।

आपको ऐसे ईमेल, कॉल और संदेश मिले होंगे जो आपकी वित्तीय जानकारी का खुलासा करने के लिए आपको बरगलाने की कोशिश करते हैं। धोखेबाज एक बैंक कर्मचारी के रूप में आपके बैंक विवरण या कैशबैक, पुरस्कार आदि के नाम पर ओटीपी की मांग करते हैं। एक बार जब वे आवश्यक जानकारी प्राप्त कर लेते हैं, तो वे आपकी जानकारी के बिना आपके बैंक खाते तक पहुंच सकते हैं। इस कारण कभी भी ऐसे लिंक, फोन आदि का उत्तर नहीं देना चाहिए।

  • बिना परिचय के किसी की फ्रेंड रिक्वेस्ट ज्वाइन न करें
  • अचानक फेसबुक वॉट्सऐप पर वीडियो कॉल में शामिल न हों
  •  संदेशों से आए किसी भी लिंक को न खोलें
  • नौकरी के फर्जी ऑफर के झांसे में न आएं
  • आसान लोन जैसे ऑफर्स की पूरी जानकारी प्राप्त करना सुनिश्चित करें।

(9) लोन अप्रूवल या खारिज के नाम पर

नवंबर माह में बिहार के भागलपुर में पुलिस ने साइबर ठगी के बड़े गैंग का भंडाफोड़ किया है। पुलिस के मुताबिक, ये गिरोह अब तक सैकड़ों लोगों से ऑनलाइन लोन दिलाने के नाम पर लाखों रुपये की ठगी कर चुका है। पुलिस ने साइबर ठग के इस गिरोह के कथित मास्टरमाइंड को बिहार के नवादा से गिरफ्तार किया है। हिमाचल प्रदेश पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच ने लोन ऐप के संबंध में एडवाइजरी जारी की है। इससें कहा है कि कई ऐसे एप हैं, जो सस्ता लोन देने का लालच देकर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। ऐप बिना किसी ज्यादा औपचारिकताओं के कम ब्याज पर लोन देने का झांसा दे रहे हैं। साइबर अपराधी ऐसे लोगों की तलाश में रहते हैं, जिन्हें लोन की बहुत ज्यादा जरूरत होती है। ये लोग एप के डाउनलोड होने के बाद इन पर रजिस्ट्रेशन करवाने को कहते हैं। रजिस्ट्रेशन के दौरान ये ऐप मोबाइल फोन के डाटा में प्रवेश की परमिशन मांगते हैं। परमिशन देने के बाद एप प्रक्रिया को आगे बढ़ने देते हैं। शुरू में यह थोड़ा-थोड़ा पैसा देकर मोबाइल फोन उपयोगकर्ता को झांसे में लेते हैं और फिर भारी ब्याज लोन लेने वाले व्यक्ति पर डाल देते है। इस दौरान ये मोबाइल फोन से बैंक डिटेल व कॉन्टैक्ट लिस्ट तक पहुंच जाते हैं और उसको चोरी कर लेते हैं।

(10) स्‍पैम लिंक पर न करें क्लिक

हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्‍त पु‍लिस अधीक्षक साइबर क्राइम भूपिंदर सिंह नेगी का कहना है लोन लेने के लिए किसी भी मैसेज या स्पैम लिंक पर क्लिक न करें। लोन संबंधित अनजान काल पर पहले नजदीकी बैंक पर जाएं। केवल बैंक से ही लोन का आवेदन करें। मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें। किसी भी तरह का लोन लेने के लिए स्पैम लिंक पर क्लिक न करें।

इन बातों का रखें ध्यान

  • प्ले स्टोर से किसी मोबाइल एप पर लोन के लिए अप्लाई नहीं करें। ऐप आपके सभी नंबर, फोटो गैलरी, लोकेशन के साथ गतिविधियों पर नजर रखता है।
  • मैसेज के जरिए आए लोन आफर्स पर बिना जानकारी के क्लिक न करें।
  • लोन की दर हर हफ्त बढ़ाई जाती है और न देने पर धमकी भी दी जाती है।
  • आपके नंबर और डॉक्युमेंट में छेड़छाड़ करके अभद्रता, दुरुपयोग किया जाता है।
  • किसी भी तरह का लोन लेने के लिए अधिकृत बैंक से ही आवेदन करें।

(11) डिलीवरी देने के बहाने हो रहा है फ्रॉड

कैश ऑन डिलीवरी फ्रॉड के नाम पर भी एक फ्रॉड हो रहा है। कई बार एक पार्सल आपके घर लाने के लिए डिलीवरी ब्वॉय आपको फोन करता है। अब अहम यह है कि आपने तो कुछ ऑर्डर किया ही नहीं है तो ऐसे में आप उसे यही कहेंगे कि हमने कुछ नहीं मंगाया है। ऐसे में डिलीवरी ब्वॉय जिद करते हैं कि या तो पार्सल रिसीव करके वे पार्सल का पेमेंट करें या फिर ऑर्डर कैंसिल करें। जो लोग डिजिटली एक्टिव नहीं होते हैं, वे इसका ज्यादा शिकार बनते हैं, क्योंकि इसके अंतर्गत कहा जाता हैं। पार्सल न ले पाने की स्थिति में जब ऑर्डर कैंसिल करने की बात आती है तो यह कहा जाता है कि आपके मोबाइल पर ऑर्डर कैंसिल करने के लिए एक ओटीपी आया है। अहम बात यह है कि ओटीपी देने के साथ ही आपका अकाउंट खाली हो जाएगा।

बचाव

साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल कहते हैं कि साइबर ठगी के इस तरीके से सावधान रहे और किसी को भी ओटीपी देने से बचें. कोई पार्सल लेकर आए भी तो उसे लेने से इनकार कर दें और आगे किसी भी तरह की निजी जानकारी ना दें। आपको बता दें कि आजकल साइबर अपराधी नए-नए तरीके से लोगों को ठग रहे हैं। कभी लोग बैंक कर्मचारी तो कभी एसएचओ बनकर भी लोगों को फोन करते हैं और किसी ना किसी बहाने से पैसे लूटने की कोशिश करते हैं। ऐसे में कॉल में किसी को भी निजी जानकारी देने से बचना चाहिए।

कस्टमर केयर में फोन लगाने से पहले जांच लें नंबर, हो सकता है साइबर फ्रॉड

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद क्षेत्र के निवासी किशोर कांत बाजपेई ने साईबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई कि मेरे मोबाइल नंबर पर एयर लाइन्स कस्टमर केयर से काल आई। कॉल करने वाले अज्ञात व्यक्ति ने बताया कि तुम्हारी फ्लाइट कैंसिल हो गयी है। इसके बाद उसने मदद के बहाने मुझसे मेरे मोबाइल फोन में ऐनीडेस्क ऐप डाउनलोड कराकर मेरे बैंक खाते से तीन लाख पचास हजार रुपये निकाल लिए। कुछ ऐसा ही मामला आजमगढ़ में भी सामने आया। आजमगढ़ में पकड़े गए अभियुक्तों ने बताया कि सोशल मीडिया पेज पर विभिन्न कंपनियों के कस्टमर केयर नंबर फीड कर देते हैं. जिससे जब लोग गूगल पर कंपनियों के कस्टमर केयर नंबर सर्च करते हैं तो इनके द्वारा फीड नंबर लोगों को सबसे पहले दिखते हैं. इसके बाद ये सब कस्टमर की हेल्प करने के बहाने रिमोट सपोर्ट ऐप्स (एनीडेस्क,टाइमवीवर) लोगों से डाउनलोड कराकर उनके बैंक खातों से रूपये दूसरे किसी के बैंक खातों में ट्रांसफर कर निकाल लेते हैं।

बरतें सावधानी

  • किसी भी कंपनी का कस्टमर केयर नंबर जानने के लिए उसकी वेब साइट पर जाकर सर्च करें।
  • किसी के कहने पर अपने मोबाइल में रिमोटली एक्सिस एप डाउनलोड न करें।
  • गूगल से कस्टमर केयर नंबर सर्च करने के लिए सावधानी बरतें।
  • एड्रेस बार में कंपनी की स्पेलिंग जरूर देख लें, अगर स्पेलिंग गलत है तो वेबसाइट भी गलत है
  • वेबसाइट सही होने पर आपको बाईं तरफ कांटेक्ट अस, हेल्पलाइन या सपोर्ट लिखा मिलेगा
  • इन वेबसाइट पर आप ई-मेल आईडी या लाइव चैट के माध्यम से नंबर ले सकते हैं
  • कंपनी से संपर्क करने पर बैंक से जुड़ी जानकारी साझा न करें
  • ठगी होने पर गूगल को ट्वीट करके दिए गए फर्जी नंबर के साथ शिकायत करें

साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञ दीपक कुमार के अनुसार सभी फर्जी मोबाइल नंबर प्रायः गूगल पर परोसे जाते हैं और इनका कॉलगर्ल, मनीलॉन्ड्रिंग, सेक्स्टॉर्शन, जॉब, लॉटरी, शादी के साथ साथ आतंकवादी जैसी गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता है। सरकार और राज्यों की पुलिस को हर सप्ताह सर्च कर ऐसे नंबर और सोशल अकाउंट को बंद कर देना चाहिए। साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट रक्षित टंडन का कहना है कि सभी नामी कंपनियों ने अपनी वेबसाइट बनाई हुई हैं। इसमें कस्टमर केयर नंबर और हेल्प लाइन नंबर दिए गए हैं। कंपनी की वेबसाइट पर जाकर इन नंबरों पर काल कर सकते हैं। सर्च इंजन गूगल पर हेल्प लाइन नंबर खोजने से बचें। क्योंकि इसमें ठगी की संभावना है।

(12) कार्ड क्लोनिंग और कार्ड स्वैपिंग

हाल में उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ आईएस अधिकारी के साथ ठगी का मामला सामने आया। उनके क्रेडिट कार्ड की क्लोनिंग कर पचास हजार रुपये निकाल लिए गए। ठगों ने अधिकारी की मेल आईडी और कई महत्वपूर्ण जानकारियां वेबसाइट से हासिल की।

कार्ड क्लोनिंग

जालसाज एटीएम मशीन में छुपाकर कैमरे की तरह एक डिवाइस लगा देते हैं। जिससे आपके कार्ड की और पासवर्ड आदि की जानकारी उन्हें मिल जाती है। इसके बाद ठग आपके कार्ड की सारी डिटेल कंप्यूटर या अन्य तरीकों के जरिए खाली कार्ड में डालकर कार्ड क्लोन तैयार कर लेते हैं। इसका इस्तेमाल कर ठग दूसरी जगह से पैसे निकाल लेते हैं। फ्रॉड के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीनों में ऐसे सॉफ्टवेयर होते हैं, जिसमें 3 हजार कार्ड तक की जानकारी रखी जा सकती है।

बचाव

  • एटीएम में पैसे निकालने से पहले मशीन के कार्ड डालने वाली स्लॉट को देखें, यदि आपको यह स्लॉट थोड़ा ढीला लगता है तो इसमें अपना कार्ड बिल्कुल ना डालें।
  • EMV चिप-बेस्ड कार्ड का उपयोग ही करें, ईएमवी कार्ड में माइक्रोचिप्स होती है जब कोई जालसाज इस कार्ड को स्कैन करने की कोशिश करता है तो सिर्फ एन्क्रिप्टेड जानकारी ही मिलती है।

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(13) क्यूआर कोड स्कैन करना आपको पड़ सकता है भारी

हिसार के आदमपुर लेडीज मार्केट में गारमेंट्स के दुकानदार हनुमान प्रसाद के साथ कुछ दिन पहले क्यूआर कोड के माध्यम से ठगी हो गई। उनके मोबाइल पर एक व्यक्ति का फोन आया। फोन करने वाले ने कहा कि वह उनका जानकार बोल रहा है तथा पेमेंट भेज रहा है। वह फोन-पे से पैसे रिसीव कर ले। कुछ समय बाद दुकानदार के वॉट्सऐप पर पांच रुपये भेजने के साथ ही एक क्यूआर कोड आया, जिसे स्कैन करने के लिए कहा गया। क्यूआर कोड स्कैन करने के बाद उनके खाते से दो हजार रुपये कट गए।

हैकर्स ऐसे करते हैं फर्जीवाड़ा

हैकर्स सबसे पहले ग्राहक का नंबर हासिल करता है। फिर वह एक ऐप के जरिए क्यूआर कोड बनाता है। क्यूआर कोड बनाने के बाद फिर एसएमएस या वाट्सएप के जरिए भेज उसे सर्कुलेट करता है। फ्रॉड करने वाले लॉटरी या अन्य कोई लालच के जरिए लोगों को फंसाने की कोशिश करते हैं। उन्हें जैसे ही किसी उपभोक्ता की ओर से रिस्पॉन्स मिलने लगता है, वैसे ही जालसाज सक्रिय हो जाते हैं।

इसके बाद वह वे कई तरह की प्रक्रिया को कराते हैं, जब यूजर्स पूरी तरह से फ्रॉड के झांसे में आ जाता है तो अंत में वाट्सएप के जरिए क्यूआर कोड को स्कैन करने के लिए कहते है, जैसे ही क्यूआर कोड स्कैन किया जाता है, अकाउंट के रकम गायब हो जाती है।

रिमोट एक्सेस देना: साइबर विशेषज्ञों की मानें तो कोई अनवेरिफाइड ऐप डाउनलोड करने पर डिवाइस का रिमोट एक्सेस उसे मिल जाता है। इसका इस्तेमाल जालसाज यूपीआई के जरिए पैसे चुराने के लिए कर सकते हैं।

बी फिशिंग घोटाले : कुछ अनवेरिफाइड पेमेंट लिंक एसएमएस से मोबाइल पर भेजे जाते हैं। लिंक पर क्लिक करने पर मोबाइल यूजर अपने फोन में मौजूद यूपीआई पेमेंट ऐप पर पहुंच जाते हैं। यह आपको ऑटो डेबिट के लिए किसी भी ऐप का चयन करने के लिए कहेगा। अनुमति देने के बाद रकम आपके खाते से तुरंत कट जाएगी। इसलिए ऐसे मैसेज से बचें।

ओटीपी और पिन साझा करना: आरबीआई द्वारा यह बार-बार चेतावनी दी जाती है कि ग्राहकों को अपना पिन या ओटीपी किसी के साथ साझा नहीं करना चाहिए। इसके बावजूद कुछ जालसाज ग्राहकों को अपने फोन पर आए ओटीपी को शेयर करने का झांसा देने में सफल हो जाते हैं। इसे साझा करने के बाद जालसाज नाजायज लेनदेन को प्रमाणित कर सकते हैं और पैसे चुरा सकते हैं।

फेक हैंडल : कुछ स्मार्ट हैकर्स अपने यूपीआई सोशल पेज पर BHIM या SBI जैसे नामों का उपयोग करके यह आभास देते हैं कि यह एक विश्वसनीय यूपीआई प्लेटफॉर्म है। इसलिए, यूपीआई यूजर को इन झांसों से सावधान रहना चाहिए।

बचाव

अगर कोई क्यूआर कोड भेजकर आपसे भुगतान मांग रहा है, तो इससे बचें।

  •  बैंक ग्राहक को कॉल करने के लिए मोबाइल नंबर का इस्तेमाल नहीं करता है।
  • अगर वेबसाइट पर पे लॉग इन करते हैं तो लॉगआउट जरूर करें।
  • साइबर कैफे में इंटरनेट बैकिंग का प्रयोग कभी ना करें।
  • गूगल पर हेल्पलाइन नंबर न सर्च करें। पायरेटेड सॉफ्टवेयर से सावधान रहें।
  •  सोशल मीडिया पर दोस्तों से मिले लिंक पर क्लिक करने से पहले जरूर सोचें।

(14) पैन कार्ड और आधार से फ्राड

अगर आप खुद को साइबर अपराध से सुरक्षित रखना चाहते हैं, आप चाहते हैं कि आपकी मेहनत की कमाई को जालसाज न उड़ा पाए तो आपको भूलकर भी अपनी निजी जानकारी किसी के साथ शेयर नहीं करनी चाहिए। पिन नंबर और डेबिट-क्रेडिट कार्ड की जानकारी किसी के साथ शेयर न करें।

बचाव

आज के समय में जालसाज लोगों के पैन कार्ड और आधार कार्ड के जरिए लोगों के साथ फ्रॉड कर रहे हैं। लोगों के पैन और आधार कार्ड के जरिए खाते से पैसे उड़ाने से लेकर इन पर लोन भी ले रहे हैं, जिससे बाद में लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए आधार और पैन कार्ड नंबर या इसकी कॉपी किसी के साथ शेयर न करें।

(15) यूपीआई से साइबर फ्रॉड

हैकरों से अपने खाते को बचाने के लिए आपको अपने यूपीआई आईडी या एटीएम पिन को बदलते रहना चाहिए। साथ ही मोबाइल पासवर्ड को भी समय-समय पर बदलते रहना चाहिए। पासवर्ड आप 2 से 3 महीने के अंतराल में चेंज कर सकते हैं। इसके साथ ही आपको एक स्‍ट्रॉन्ग पासवर्ड बनाना चाहिए, जिसमें नंबर, लेटर, स्‍पेशल कैरेक्‍टर आदि शामिल हों और यह पासवर्ड आपको किसी के साथ भी शेयर नहीं करना चाहिए।

नेट बैंकिंग के लिए पब्लिक कंप्यूटर का न करें उपयोग

कभी भी नेट बैंकिंग संबंधी कार्य के लिए पब्लिक कंप्यूटर जैस- साइबर कैफे का उपयोग नहीं करना चाहिए। यहां से हैकर्स आपके खाते संबंधी जरूरी जानकरी चुरा सकते हैं और आपका अकाउंट हैक कर खाते से पैसा निकाल सकते हैं।

वेरिफाइड ऐप या वेबसाइट का उपयोग

केवल उन्‍हीं वेबसाइट या ऐप का उपयोग करना चाहिए, जो सत्‍यापित हों। जैसे ट्रेन टिकट बुक करना चाहते हैं तो आप आईआरसीटीसी की ऑफिशियल वेबसाइट या ऐप का चयन करें। हालांकि, ट्रेन टिकट के लिए कुछ अन्‍य वेरिफाइड वेबसाइट का भी उपयोग कर सकते हैं। वहीं अगर आप बिना वेरिफाइड वाले वेबसाइट या ऐप का चयन करते हैं तो आपके खाते संबंधी जानकारी लीक हो सकती है और आपके खाते से पैसा निकाला जा सकता है।

सिक्‍योर इंटरनेट कनेक्‍शन

फ्री वाईफाई इंटरनेट और पब्लिक इंटरनेट का उपयोग आपके डेटा को चुरा सकता है। इस कारण उन्‍हीं इंटरनेट का उपयोग करें, जिनसे आप परिचित हैं।

(15) वॉट्सऐप कॉल के जरिए ठगी

आपसे कोई वॉट्सऐप कॉल कर पैसे की मांग करता है तो एक बार सावधान हो जाइये। दअरसल हाल ही में साइबर ठगी का एक मामला सामने आया, जिसमें पटना से वॉट्सऐप कॉल कर कहा- आपके बेटे का कनाडा में एक्सीडेंट हो गया है। और इलाज के लिए तुरंत डेढ़ लाख भेजने की बात कही। फोन करने वाले ने अपने को बेटे के दोस्त का पिता बताया और एक लाख 40 हजार रुपये अपने खाते में मंगवा लिए। ये घटना पंजाब के पटियाला के रहने वाले शमशेर सिंह के साथ घटी। बेटे के एक्सीडेंट की घटना के बारे में सुनते ही पिता ने तुरंत डेढ़ लाख रुपये बताए गए खाते में भेज दिए। ठगी का पता तब चला जब बेटे ने पिता को फोन किया। उसने बताया कि उसके साथ कोई एक्सीडेंट नहीं हुआ है। मामले की शिकायत पटना के शास्त्री नगर थाने में की गई। पुलिस ने बैंक से डिटेल निकाली तो ठगों के मोबाइल नंबर के आधार पर उनके पते पर पहुंच गयी और उन्हें गिरफ्तार किया।

ऐसे बचें

आपको कोई फोन करता है और कोई चौकानें वाली जानकारी दे कर पैसे मांगता है तो एक बार जानकारी को अच्छे से जांचने के बाद ही पैसे भेजें।

(16) मालवेयर डाउनलोड करने से बचें

ऑनलाइन ठगी करने वाले लोग किसी लिंक या एसएमएस के जरिए या ऑनलाइन आपको मालवेयर भेजते हैं। जिस पर क्लिक करते ही आपकी पूरी गोपनीय जानकारी ठगों के हाथ लग जाती है। इसके जरिए वो आपका बैंक खाता पूरी तरह से खाली कर देते हैं। ऐसे में इस तरह के मालवेयर को डाउनलोड करने से बचें। मालवेयर को मुख्य तौर पर सिस्टम में घुसकर उसमें स्टोर की गई जानकारी को एक्सेस करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

ऐसे करें बचाव

मालवेयर से बचने के लिए आप फायरवॉल का इस्तेमाल कर सकते हैं। किसी भी लिंक या मैसेज पर क्लिक करने के पहले एक बार सोचें। किसी वेबसाइट या सोशल मीडिया साइट पर बेवजह आने वाली पॉप-अप विन्डो में दिए गए पासवर्ड, कार्ड डिटेल्स और कोड को नहीं डालें। बिना जाने समझे ऐसे किसी सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल नहीं करें, जो ई-मेल या वेब प्रमोशन के जरिए अटैचमेंट के तौर पर आया हो। अपने कंप्यूटर पर बार-बार स्पायवेयर चेक रन करें. हफ्ते में एक बार स्कैन करना बेहतर है। कभी भी किसी अनाधिकृत, बिना लाइसेंस वाले या बिना मंजूरी वाले सॉफ्टवेयर को अपने कंप्यूटर पर डाउनलोड नहीं करें।

यहां करें ऑनलाइन ठगी की शिकायत

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साइबर क्राइम या ऑनलाइन ठगी की घटनाओं को रोकने और इनकी शिकायत दर्ज कराने के लिए एक नेशनल हेल्पलाइन नंबर (155260) जारी किया है। आप धोखाधड़ी की शिकायत इस नंबर पर दर्ज करा सकते हैं। आप Cyber Dost (@Cyberdost) ट्विटर हैंडल पर ट्वीट करके भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। आप गृह मंत्रालय के साइबर पोर्टल https://cybercrime.gov.in/ पर भी इसकी शिकायत कर सकते हैं।

(17) बॉस के नाम पर ठगी

बीते कुछ महीनों में बॉस के नाम पर ठगी के मामले सामने आए हैं। इसमें आपके बॉस के फोटो का इस्तेमाल किया जा सकता है। तमिलनाडु के पुलिस प्रमुख, डीजीपी सी सिलेंद्र बाबू, घोटालेबाजों का शिकार बन गए, ठगों ने वॉट्सऐप पर उनकी तस्वीर को डिस्प्ले पिक्चर के रूप में इस्तेमाल किया, इस नम्बर से उन्होंने पुलिस कर्मियों को संदेश भेजकर उन्हें अमेज़न उपहार कार्ड भेजने के लिए कहा। डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) कार्यालय के अधिकारियों ने इस मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि सभी पुलिस कर्मियों को इस संदेश के झांसे में न आने के लिए अलर्ट भेजा जा रहा है। ग्रेटर चेन्नई पुलिस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट्स में पोस्ट किया, "कृपया अमेज़न उपहार कार्ड भेजने के लिए डीजीपी, टीएन होने का दावा करने वाले कि किसी अज्ञात नंबर से एसएमएस और वॉट्सऐप संदेश का जवाब न दें। यह जाली है। कृपया इसे अनदेखा करें।"

ऐसा ही एक वाकया सीरम इंडिया के प्रमुख अदार पूनावला के नाम पर किया गया। कंपनी के डायरेक्टर सतीश देशपांडे की ओर से बूंद गार्डन पुलिस थाने में केस दर्ज करवाया गया है। उन्होंने बताया कि मेरे पास एक वॉट्‌सऐप मैसेज आया, जिसमें शख्स ने खुद को अदार पूनावाला बताया। मैसेज में एक 1 करोड़ रुपए मांगे गए। मैंने जब पैसे ट्रांसफर कर दिए गए तो पता चला कि मेरे साथ ठगी हुई है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि मैसेज पर आने वाला नंबर अदार पूनावाला का ही था।

बचाव

साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल कहते हैं कि किसी भी अनजान व्यक्ति और एकदम से आए मैसेज पर रिएक्ट न करें। पैसे मांगने की सूरत में किसी भी व्यक्ति से फिजिकली या फोन पर संपर्क जरूर कर लें। साइबर क्राइम से बचने का यह सबसे आसान तरीका है। वहीं, वॉट्सऐप पर अनजान नंबर पर रिएक्ट न करें। आपके पास सीनियर का नंबर सेव होगा ऐसे में किसी अन्य नंबर से कॉल संदेहास्पद हो सकता है।

(18) सेल के नाम पर ठगी

दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने अगस्त में नामी ब्रांड के नाम पर नकली ई-कामर्स वेबसाइट बना ग्राहकों से ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ कर दो लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरोह देशभर के लोगों से 60 लाख रुपये से अधिक ठग चुका है। पुलिस ने 13 मोबाइल फोन, तीन लैपटाप और 10 डेबिट कार्ड जब्त किए हैं। अगर आप ऑनलाइन शॉपिंग के शौकीन हैं तो सिर्फ बड़ी और प्रतिष्ठित ई-कॉमर्स वेबसाइटों से ही शॉपिंग करें। कई मामले सामने आए हैं जिन्में ठग ऑनलाइन वेबसाइट बना कर उस पर ऐसे आकर्षक ऑफर देते हैं, जिनके लालच में लोग फंस जाते हैं। इन वेबसाइटों पर सामान के लिए पेमेंट करने के बाद सामान की डिलीवरी या तो नहीं होती है या नकली सामान की डिलीवरी की दी जाती है।

बचाव

वॉट्सऐप पर मिले लिंक के जरिए शॉपिंग से बचें। अक्सर लोग एक थर्ड पार्टी लिंक वॉट्सऐप ग्रुप में भेज देते हैं, जिसमें लकी ड्रॉ और बंपर ऑफर्स को लेकर आकर्षित किया जाता है। लिंक पर क्लिक करते ही ऑटोमैटिक ऐप इंस्टॉल हो जाता है, जो आपके सारे पासवर्ड हैक कर लेता है। कई बार लोग अपने ऑनलाइन पेमेंट से जुड़ी सारी जानकारी शॉपिंग साइट्स या लिंक द्वारा खुलने वाली विंडो पर सेव कर देते हैं। ऐसे में आपकी सारी डिटेल्स दूसरों के पास पहुंच जाती हैं और इसके बाद इसका इस्तेमाल करके जालसाज आपके अकाउंट से पैसे निकाल लेते हैं। आप कभी ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान अपना वास्तविक पासवर्ड शेयर न करें। इसकी जगह आप ओटीपी वाले ऑप्शन का चयन कर सकते हैं। इसके अलावा आप ऑनलाइन शॉपिंग सिर्फ भरोसेमंद साइट्स से ही करें।

(19)सब्सक्रिप्शन के नाम पर ठगी

हाल ही में मुंबई के एक बुजुर्ग से Netflix सब्सक्रिप्शन को रिन्यू करने के नाम पर ठगी की गई। स्कैमर्स ने एक मेल के जरिए बिजनेसमैन को नेटफ्लिक्स रिन्यूअल की जानकारी दी। 499 रुपये के रिन्यूअल चार्ज के लिए उन्हें एक लिंक भेजा गया। इस लिंक पर क्लिक करने पर बुजुर्ग को 1.22 लाख रुपये की चपत लग गई। वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक बुजर्ग से वीडियो स्ट्रीमिंग ऐप को सस्ते में देने के चक्कर में फर्जीवाड़ा हो गया। उन्हें स्कैमर ने एक लिंक भेजा जिसके माध्यम से उन्हें चपत लगा दी गई।

बचाव

साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे कहते हैं कि किसी भी गैर प्रमाणिक बेवसाइट से सब्सक्रिप्शन न लें। किसी भी सस्ती डील के चक्कर में लिंक पर क्लिक न करें। ऑफर की आड़ में धोखेबाजी से बचें।

(20) एटीएम कार्ड के नाम पर ठगी

'आपका एटीएम या क्रेडिट कार्ड एक्सपायर हो गया है या केवाईसी न कराने पर ब्लॉक कर दिया जाएगा' इस तरह का कोई फोन अगर आपको आता है तो आप सावधान हो जाइये। क्रेडिट कार्ड बनवाने या एटीएम कार्ड रेन्यू करने के नाम पर बड़े पैमाने पर साइबर ठग लोगों को शिकार बना रहे हैं। ऐसा ही ठगी रोहतक के कृपाल नगर के रहने वाले युवक के साथ हुई। युवक के खाते से 90575 रुपये निकाल लिए गए। पुलिस को दी गई शिकायत में कृपाल नगर के रहने वाले युवक ने बताया कि उसे एक फाइनेंस कंपनी की ओर से कॉल आया। फोन करने वाले ने खुद को कंपनी का एग्जीक्यूटिव बताया और कहा कि वह वह कंपनी का क्रेडिट कार्ड बनवा देगा। उमेश कुमार ने कार्ड बनवाने के लिए सहमति जता दी। दूसरे दिन उसके पास वैरिफिकेशन के लिए काल आई। जिसके बाद उसने सभी दस्तावेज वाट्सएप पर मंगवा लिए। वैरिफिकेशन पूरी करने के लिए वाट्सएप पर लिंक भेज दिया। तब जाकर उस लिंक को भरने के लिए बोला। उसने भरने के बाद एक रुपये पे करने के लिए कहा। जैसे ही उस पर क्लिक किया तो पीड़ित के खाते से 90575 रुपये निकाल लिए गए। पीड़ित ने तभी बैंक में फोन कर इसकी शिकायत की। साथ ही साइबर को भी इसकी शिकायत की।

बचाव

फोन पर किसी अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड से जुड़ी कोई भी जानकारी साझा न करें। अगर आपको कोई लिंक भेज पर उसमें डीटेल डालने को कहा जाता है तो ऐसे लिंक पर क्लिक न करें। आपका फोन हैक कर आपकी गोपनीय जानकारी चुरायी जा सकती है।