COP27 से पहले यूएन महासचिव की चेतावनी, विकसित देश नहीं माने तो महाविनाश से बचना नामुमकिन
2000-09 के दौरान हर साल उत्सर्जन औसतन 2.6% बढ़ रहा था जबकि 2010-19 में हर साल औसतन 1.1% वृद्धि हुई लेकिन यह सदी के अंत तक ग्लोबल वार्मिंग 1.5 डिग्री तक नियंत्रित रखने के लिए नाकाफी है। मौजूदा हालात में तापमान प्री-इंडस्ट्रियल स्तर से 2.6 डिग्री तक ज्यादा होगा।
नई दिल्ली, एस.के.सिंह। जलवायु संकट पर मिस्र के शर्म-अल-शेख में COP27 सम्मेलन शुरू होने से पहले संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि विकसित और विकासशील देशों के बीच बढ़ती खाई से जलवायु संकट पर चर्चा बेमानी होती जा रही है। अगर दोनों पक्ष ऐतिहासिक समझौता करने पर सहमत नहीं हुए तो हम महाविनाश से नहीं बच सकेंगे। गुटेरेस के अनुसार जलवायु असमानता अब बिल्कुल स्पष्ट है। अमीर देश ज्यादातर उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं और गरीब देश उसका असर झेल रहे हैं। आपात स्थिति को समझते हुए उत्सर्जन घटाने के अपने लक्ष्यों को कई गुना बढ़ाना पड़ेगा। इसके लिए उत्तर और दक्षिण (अमीर और गरीब देशों) के बीच भरोसा कायम करना जरूरी है। गुटेरेस यह भी कह चुके हैं कि विकासशील देश काफी नाराज हैं और इस बात को कमतर नहीं आंकना चाहिए।