राष्ट्रीय महिला आयोग अध्यक्ष की अपील, ब्लैकमेलिंग से डरें नहीं, गलत करने वालों के खिलाफ खड़ा होना जरूरी
पिछले साल देश में फिरौती और ब्लैकमेलिंग के 11288 मामले दर्ज हुए यानी रोजाना 30 से ज्यादा। लेकिन ये वे मामले हैं जिनमें पीड़ितों ने शिकायत दर्ज कराई। विशेषज्ञों के अनुसार बमुश्किल 10% केस की रिपोर्ट दर्ज होती है वह मामला सार्वजनिक होने के बाद।
नई दिल्ली, कुमार जितेंद्र ज्योति। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार पिछले साल देश में फिरौती और ब्लैकमेलिंग के 11,288 मामले दर्ज हुए, यानी रोजाना 30 से ज्यादा। लेकिन ये वे मामले हैं जिनमें पीड़ितों ने शिकायत दर्ज कराई। विशेषज्ञों के अनुसार बमुश्किल 10% केस की रिपोर्ट दर्ज होती है, वह भी मामला सार्वजनिक होने या कोई अपराध हो जाने के बाद। ऐसे अनेक मामलों का अंजाम आत्महत्या, हत्या या किसी अन्य अपराध के रूप में होता है। चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के हॉस्टल में लड़कियों के वीडियो बनाने की कथित घटना भी कुछ ऐसी ही है। आरोपी लड़की ने किसी लड़के को सिर्फ अपने वीडियो भेजे या दूसरी लड़कियों के भी, इस पर विरोधाभासी बयान आ रहे हैं और पुलिस जांच भी कर रही है, लेकिन इस वारदात ने महिलाओं के साथ होने वाले इस तरह के अपराध पर नई बहस छेड़ दी है।
ऐसे लोग कम हैं जो ब्लैकमेलिंग की शुरुआत में ही पुलिस तक पहुंचते हैं, ज्यादातर मामलों में कोई गंभीर घटना होने पर ही शिकायत दर्ज कराई जाती है। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा कहती हैं,
“मुझे लगता है कि बहुत कम केस रिपोर्ट होते हैं। पहली बात तो इज्जत बचाने के लिए लड़कियां परिवार को नहीं बताती हैं। बता दिया तो घरवाले शिकायत दर्ज कराने से बचते हैं। फोटो-वीडियो वायरल हो जाए या कोई अन्य बड़ी वारदात हो जाए, तभी मामला खुलता है। मान सकते हैं कि 100 में 10 केस ही ऐसे होते होंगे।”
बिहार में IG पद से रिटायर हुए IPS प्राणतोष कुमार दास के अनुसार, “अधिकतम 10 प्रतिशत केस ही पुलिस रिकॉर्ड में आते हैं। जब तक बात पब्लिक प्लेटफॉर्म पर नहीं आ जाती, महिला या उसका परिवार शिकायत दर्ज कराने से बचता है।” छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड स्पेशल डीजी आर.के. विज की भी यही राय है। वे कहते हैं, “महिलाओं को ब्लैकमेल करने के बाद सुसाइड या फोटो वायरल करने जैसी 100 घटनाओं में मुश्किल से 10 रिपोर्ट होती हैं। ज्यादातर केस या तो दब जाते हैं या शोषण चलता रहता है। वारदात सार्वजनिक होने पर ही शिकायत होती है।”
जागरण प्राइम ने कई वरिष्ठ पुलिस अफसरों, वकीलों, साइकोलॉजिस्ट और सामाजिक कार्यकर्ताओं से इस विषय पर बात की। उनका कहना है कि अगर लड़कियां और उनके घरवाले शुरू में ही हिम्मत दिखाएं तो बुरे अंजाम से बचा जा सकता है। लड़कियां किस तरह ब्लैकमेलिंग की शिकार हो रही हैं, इसके कुछ उदाहरण देखिए-
1. वीडियो दिखाकर किया ब्लैकमेल
झांसी की 14 वर्षीय छात्रा राखी (बदला नाम) कुछ हफ्ते से घर में भी लंबी आस्तीन के ही कपड़े पहन रही थी। फिर अचानक गुमसुम रहने लगी तो एक रात मां ने आस्तीन सरका कर देखा। दोनों हाथों पर ब्लेड से कटे दर्जनों निशान थे। राखी को पता नहीं था कि जान देने के लिए कहां काटना पड़ता है, इसलिए हर जगह काट लिया था। जिस मकान में वे वर्षों से रह रहे थे, उसके मालिक के बेटे ने बाथरूम की खिड़की से बनाया एक वीडियो दिखाकर उससे कई बार दुष्कर्म किया था। आखिरकार घरवालों ने पुलिस की मदद ली। वह लड़का अब जेल में है।
2. ब्लैकमेल से तंग आकर सुसाइड का प्रयास
भोपाल की 10वीं की छात्रा नेहा (बदला नाम) की दोस्ती एक साल पहले उसकी सहेली के दोस्त से हुई। पहले फोन पर बातें हुईं, फिर दोनों मिलने भी लगे। मौका पाकर 10वीं में पढ़ रहे लड़के ने नेहा के कुछ फोटो-वीडियो ले लिए। जब नेहा को लड़के की कुछ बुरी आदतों का पता चला तो उसने बातचीत बंद कर दी। इसपर लड़का फोटो दिखाकर ब्लैकमेल करने लगा। कुछ फोटो में छेड़छाड़ कर सोशल मीडिया पर भी डाल दिए। इससे नेहा डिप्रेशन में चली गई। उसने दो बार सुसाइड की भी कोशिश की। घरवाले उसे साइकियाट्रिस्ट के पास ले गए तो बात खुली। तब उसका इलाज शुरू हुआ और लड़के के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई भी की।
3. घरवालों से नहीं मिला सहयोग
पटना की 20 साल की विनीता (बदला नाम) को हमउम्र ब्वॉयफ्रेंड ने अपनी तस्वीरें भेजीं तो उसने भी अपनी भेज दीं। इन्हीं तस्वीरों में छेड़छाड़ कर लड़के ने विनीता को दिखाया और ब्लैकमेल कर शारीरिक संबंध बनाना चाहा, पर उसने मना कर दिया। मां से बात की तो धमकी मिली- “तुम्हें ही मार देंगे और कुछ नहीं।” विनीता के मन में आत्महत्या के विचार आने लगे तो वह मशहूर क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. बिंदा सिंह से मिलने पहुंची। वह न महिला थाना जाना चाहती थी, न महिला आयोग के पास। डॉ. सिंह ने साइबर क्राइम सेल के एक अधिकारी से अनौपचारिक मदद ली। तब जाकर लड़के ने माफी मांगी और तस्वीरें भी लौटा दीं। विनीता अब उस ट्रॉमा से निकल रही है।
4. फोटो वायरल करने की धमकी पर सुसाइड का प्रयास
पुणे में 26 साल की एक युवती की दोस्ती सोशल मीडिया के जरिए 28 साल के युवक से हुई। लड़के ने शादी की बात कर उसे भरोसे में ले लिया। उसने युवती से उसके कुछ पर्सनल फोटो मंगवा लिए थे। कुछ समय बाद वह शादी से मुकरने लगा। जब उसने फोटो वायरल करने की धमकी दी तो युवती ने आत्महत्या का प्रयास किया। युवक के खिलाफ पुलिस में केस दर्ज कराया गया, लेकिन युवती लगातार डिप्रेशन में थी। परिजन उसे जगह बदलने के लिए भोपाल ले गए। उसका डिप्रेशन तो संभल गया है, लेकिन इसमें एक साल का समय लगा।
5. ब्लैकमेलिंग करने वाले युवक की हत्या
बिहार के लखीसराय में एक युवक ससुराल की बर्थडे पार्टी में आया और फिर गायब हो गया। परिवार वालों को कुछ पता नहीं चल रहा था। मोबाइल लोकेशन के आधार पर ससुराल आने की बात पता चली। पूछताछ हुई तो पुलिस भी चौंक गई। युवक ने अपनी चचेरी साली के कुछ प्राइवेट वीडियो-फोटो बना लिए थे। उन्हें दिखाकर संबंध बनाने के लिए ब्लैकमेल करता था। लड़की के घर वालों को जब पता चला तो उसे पार्टी के नाम पर बुलाया और मार डाला। शव को गंगा में फेंक आए, लेकिन मोबाइल लोकेशन ने हत्या की कहानी खोल दी।
ऐसी घटनाएं अक्सर पढ़ने-सुनने को मिलती हैं, लेकिन अपराध के सरकारी आंकड़ों से इसकी सही तस्वीर का अंदाजा नहीं मिलता है। सुप्रीम कोर्ट के वकील राजीव वर्मा के अनुसार सोशल मीडिया के दौर में साइबर अपराध पर लगाम लगाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी नियम-2021, सिनेमेटोग्रॉफ एक्ट-1952 और इंडीसेंट रिप्रजेंटेशन ऑफ वुमेन (प्रोहिबिशन एक्ट), 1986 कानून मौजूद हैं। आईपीसी की धारा 354 के तहत भी पहले के मुकाबले अब सख्त सजाएं दी जा रही हैं। लेकिन अभी फिरौती और ब्लैकमेलिंग का केस एक ही धारा में दर्ज होता है, NCRB भी इसका आंकड़ा एक साथ जारी करता है। इसलिए ब्लैकमेलिंग की असल और भयावह तस्वीर सामने नहीं आती है। वर्मा के मुताबिक ब्लैकमेलिंग की अलग धारा होनी चाहिए और इसकी उपधाराओं में साइबर क्राइम, ब्लैकमेल के जरिए दुष्कर्म या अन्य अपराधों को स्पष्ट करना चाहिए।
महिला आयोग की अध्यक्ष के अनुसार, “हम फोटो-वीडियो से ब्लैकमेलिंग तक के फेर से लड़कियों को बचाने के लिए ट्रेनिंग दे रहे हैं। साल में दो लाख लड़कियों को बताया जा रहा है कि कैसे इन चीजों से बचें और कोई दूसरी महिला भी कहीं फंसती दिखे तो केस रिपोर्ट कर उसकी मदद करें।” एडवोकेट वर्मा के अनुसार महिलाएं अगर सामने नहीं आएंगी तो गलत काम करने वालों का मन बढ़ता ही जाएगा।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े भी बताते हैं कि शिकायत होने पर अपराधी पकड़े तो जाते हैं। 2020 में साइबर अपराध से जुड़े निजता के हनन मामले में 672, अश्लील सामग्री फैलाने में 3858, महिलाओं या बच्चों के खिलाफ ई-माध्यम से धमकी में 619 गिरफ्तारियां हुईं। ब्यूरो के अनुसार 2020 में आईपीसी की धाराओं 506, 503 और 384 के तहत साइबर ब्लैकमेलिंग/धमकी के 303 मामले दर्ज किए गए। इन धाराओं तथा आईटी एक्ट के तहत महिलाओं के खिलाफ 74 मामले थे।
NCRB के अनुसार 2021 में महिलाओं के खिलाफ साइबर क्राइम के 10730 मामले दर्ज हुए। इनमें साइबर पॉर्नोग्राफी, होस्टिंग, अश्लील मैटेरियल को पब्लिश करने के सबसे ज्यादा, 1896 मामले हैं। इसी तरह साइबर स्टॉकिंग, साइबर बुलिंग, साइबर मॉर्फिंग, बदनाम करने के 1150 मामले दर्ज हुए हैं। महिलाएं ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग और फेक प्रोफाइल के जरिए भी शिकार हो रही हैं। महिलाओं के खिलाफ साइबर क्राइम के सबसे ज्यादा मामले कर्नाटक और महाराष्ट्र में सामने आए हैं। करीब 39 फीसदी केस इन्हीं दो राज्यों में दर्ज किए गए हैं। इनके बाद उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और असम हैं।
ब्लैकमेलिंग गंभीर अपराध
चंडीगढ़ प्रकरण के जिक्र पर हाईकोर्ट की पूर्व जस्टिस और अब सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहीं वरिष्ठ कानूनविद् अंजना प्रकाश कहती हैं, “अगर लड़की ने अपनी इच्छा से सिर्फ अपना वीडियो बनाकर लड़के को शेयर किया है तो उसे हिरासत में नहीं लिया जाना चाहिए। लेकिन, लड़का किसी लड़की को ब्लैकमेल कर उससे ऐसा वीडियो बनवाए तो वह गंभीर अपराध है।” वह कहती हैं, असल संकट संस्कार का है। सरकार कानून ही बना सकती है। संस्थान उसे फॉलो करें और अभिभावक संस्कारी बच्चों को ही बाहर भेजें- इस केस ने इस जरूरत को दिखा दिया है।
चंडीगढ़ केस में लड़की ने ब्लैकमेल होकर साथी छात्राओं का वीडियो बनाया हो या नहीं, लेकिन आजकल ऐसी खबरेंआम होती जा रही हैं। विख्यात क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. बिंदा सिंह कहती हैं, “लड़का हो या लड़की, खुलापन गलत तरीके से प्रचारित-प्रसारित हो रहा है। ऐसे में अगर कोई एक बार गलत चीज में इनवॉल्व हो जाता है तो वह दलदल में फंसता ही जाता है। लड़कियों के क्राइम में उतरने का प्रमुख रास्ता ब्लैकमेल ही है। ब्लैकमेल कर कमाई, गलत धंधे में धकेलने, ड्रग्स पैडलर बनाने के लिए इस तरह के वीडियो बहुत बनाए जा रहे हैं।”
डॉ. सिंह के अनुसार, “कुछ मां-बाप ज्यादा प्रोटेक्टिव रहते हैं तो कुछ पूरी छूट दे देते हैं। इसकी जगह बीच का रास्ता अपनाना बेहतर है, वर्ना बंदिशें तोड़ने वाले बच्चे साइकोपैथ के दायरे में पहुंच जाते हैं। माता-पिता को बेटियों और बेटों, दोनों के साथ खुले मन से बातचीत करनी चाहिए।”
पटना हाईकोर्ट में महिला मामलों की जानकार एडवोकेट अलका वर्मा चंडीगढ़ केस के बहाने एक नई जरूरत की ओर इशारा करती हैं। वह कहती हैं, “इस केस ने बड़ी बहस छेड़ दी है। जैसे रैगिंग के लिए शपथपत्र देना पड़ता है, अब तो उसी तरह विश्वास नहीं तोड़ने और इस तरह के कृत्य नहीं करने के शपथपत्र के साथ दाखिला देने की जरूरत है। इससे एक दबाव रहेगा। जहां तक चंडीगढ़ के केस की बात है तो ऐसे मामलों में मंशा देखी जाती है। आईटी एक्ट 66ई कहता है कि बिना इच्छा के इस तरह का फोटो-वीडियो ट्रांसमिट करना अपराध है और इसमें तीन साल कैद के साथ जुर्माना भी हो सकता है।”
राज्यसभा की पूर्व सांसद और बिहार राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष कहकशां परवीन घर में ही समाधान पर जोर देती हुई कहती हैं, “हम टीवी या मोबाइल से बच्चों को दूर नहीं कर सकते, लेकिन उन्हें यह सीख तो समय पर देनी ही चाहिए कि सही-गलत की पहचान कर सकें। सोशल मीडिया का जमाना है, इसलिए आपके न चाहते हुए भी बच्चे बहुत कुछ समय से पहले जान लेते हैं। इसलिए अभिभावकों को उनसे खुलकर बात करनी चाहिए। 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को संभाल लिया तो बड़ा टास्क पूरा हो जाएगा।”
एक्सपर्ट की राय
गलत करने वालों के खिलाफ खड़ा होना पड़ेगा
लड़कियों को सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करना नहीं आता है। डूज और डोंट्स को समझना जरूरी है। प्राइवेट तस्वीर-वीडियो को शेयर करने से बचना चाहिए। कई बार तो परिवार-रिश्तेदार, यहां तक कि पति भी गलत इस्तेमाल कर डालता है। इसलिए, जमाने के हिसाब से खुद को अपडेट करना होगा। जहां तक चंडीगढ़ की घटना की बात तो इसमें आरोपी लड़की दबाव की बात कह रही है, लेकिन भावनाओं में बहकर उसपर सीधे यकीन नहीं करना चाहिए। प्रेशर क्या और कैसे है, यह जानना चाहिए। उसने अगर दूसरी लड़कियों के वीडियो बनाकर शेयर किए हैं तो उसपर भी सख्ती होनी चाहिए। प्रेशर या ब्लैकमेल जैसी बातें आज तो नहीं की जानी चाहिए। इतने प्लेटफॉर्म हैं, शिकायत कीजिए। गलत करने वालों के खिलाफ खड़ा होना होगा। डरने से और बुरा होगा।
रेखा शर्मा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग
स्कूल में भी साइबर क्राइम पढ़ाएं
सोशल मीडिया में फोटो और वीडियो डालने का क्रेज बहुत बढ़ गया है, यह साइबर क्राइम को आमंत्रण देने जैसा है। बच्चों को मोबाइल या नेट की दुनिया तो पता है, लेकिन इसके जरिए होने वाले क्राइम को लेकर जागरूकता नहीं है। छोटे बच्चों के हाथ में मोबाइल दे दिया गया है तो उन्हें अब स्कूल में साइबर क्राइम के बारे में बताना भी जरूरी है। साइबर क्राइम में ब्लैकमेल होने से बचने के लिए आईटी एक्ट में कई धाराएं हैं। इनमें शिकायत करने वाले की पहचान भी गोपनीय रखी जाती है, इसलिए सामने आएं और पुलिस की मदद लें।
पवन दुग्गल, मशहूर साइबर एक्सपर्ट
सार्वजनिक जगहों पर हिडन कैमरे से बचें
हिडन कैमरे जिन जगहों पर छिपाए जा सकते हैं, उन्हें ढूंढ़ना मुश्किल नहीं। नई या सार्वजनिक जगह पर कपड़े बदलने, नहाने, वाशरूम के उपयोग से पहले बेसिन के नीचे, विंडों के पीछे, गीजर के किनारे जैसी जगहों पर एक बार जरूर देख लें। अब तो कैमरे की जगह मोबाइल का दुरुपयोग ज्यादा होता है, इसलिए उसे देखना चाहिए। डिवाइस के मालिक तक पहुंचना असंभव नहीं है, क्योंकि गूगल सबकुछ पकड़ रहा है। इसलिए, ब्लैकमेल करने वालों के खिलाफ शिकायत जरूर करें।
राजेश कुमार, साइबर एक्सपर्ट
बच्चे-किशोर भी हो रहे ब्लैकमेल
सेक्सटॉर्शन के लिए एक साल से ब्लैकमेलिंग का ऑर्गनाइज्ड क्राइम ज्यादा चल रहा है। वाट्सएप पर एक वीडियो कॉल आता है, जिसमें दूसरी तरफ एक न्यूड लेडी होती है। वह स्क्रीन रिकॉर्डर के जरिए आपके फेस के साथ वीडियो बना लेगी। बाद में उस वीडियो को इंटरनेट पर डालने की धमकी देकर आपसे पैसे मांगे जाते हैं। सेक्सटॉर्शन के शिकार ज्यादातर कम उम्र वाले होते हैं। पीड़ित शर्म की वजह से चुप रह जाते हैं।
मुकेश चौधरी, साइबर एक्सपर्ट
अनजान लोगों से कुछ साझा न करें
ब्लैकमेलिंग में स्कूल के बच्चे ज्यादा फंस रहे हैं, हालांकि बड़ों के केस भी सामने आ रहे हैं। सोशल मीडिया में दोस्ती, वायरल फोटो-वीडियो के साथ फर्जी आईडी बनाकर धमकाने-पैसा मांगने के कारण लोग डिप्रेशन में आ जाते हैं। कुछ तो सुसाइड अटैम्प्ट भी कर रहे हैं। इससे बचना है तो सोशल मीडिया पर अनजान लोगों से दोस्ती और उन्हें निजी जानकारी या फोटो-वीडियो शेयर करने से बचें।
डॉ. समीक्षा साहू, साइकियाट्रिस्ट, भोपाल