2023 के जाते-जाते बाजार में लौटी तेजी, ये नए साल में भी जारी रहने की उम्मीद, सोना और रियल एस्टेट भी भर सकते हैं झोली
विशेषज्ञ नए साल यानी 2024 को निवेश के लिहाज से बेहतर रहने की उम्मीद जता रहे हैं। इसके पीछे अलग-अलग वजहें हैं जो साथ मिलकर सकारात्मकता को बढ़ा रही हैं। शेयर बाजार सोना-चांदी और रियल एस्टेट तीनों सेगमेंट में निवेशकों को नए साल में बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना है। हालांकि महंगे लोन से मुक्ति नए साल में भी मिलना मुश्किल लग रहा है।
स्कन्द विवेक धर, नई दिल्ली। झंझावातों के साथ शुरू हुआ साल 2023 जाते-जाते निवेशकों के चेहरे पर मुस्कान दे रहा है। बात शेयर बाजार की हो, सोने में निवेश की या फिर रियल एस्टेट की, निवेशकों ने जहां भी पैसा लगाया उन्हें फायदा ही हुआ। निफ्टी ने इस साल में अब तक 15% का रिटर्न दिया है, तो सोने ने एक साल में 18% की तेजी दिखाई है। मकानों की कीमतों में भी औसतन 8-10% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। बाजार के जानकार, साल 2024 को भी निवेश के लिहाज से बेहतर रहने की संभावना जता रहे हैं। हालांकि, ऊंची ब्याज दरों से नए साल में भी राहत मिलती नहीं दिख रही है। जागरण प्राइम ने सात विशेषज्ञों से निवेश के विभिन्न विकल्पों के साल 2023 में प्रदर्शन और नए साल में उम्मीदों को लेकर बात की।
सभी विशेषज्ञ नए साल यानी 2024 को निवेश के लिहाज से बेहतर रहने की उम्मीद जता रहे हैं। इसके पीछे अलग-अलग वजहें हैं, जो इस समय साथ मिलकर सकारात्मकता को बढ़ा रही हैं। वित्तीय सेवा कंपनी आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के सीईओ रूप भूतड़ा कहते हैं, नया साल बाजार के लिहाज से बहुत दिलचस्प रहने की उम्मीद है। यह 2023 की तरह घटनापूर्ण होगा, लेकिन 2023 की तुलना में इसमें सकारात्मक पक्ष अधिक होगा।
भूतड़ा कहते हैं, वर्ष 2023 की शुरुआत मंदी के मूड में हुई, क्योंकि उस समय वैश्विक बाजार ऊंची महंगाई दर और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच थे। महंगाई के चलते बाजारों में पहले गिरावट आई और बाद में एक लंबा ठहराव आया। लेकिन अब लगने लगा है कि नीति निर्माता जीत रहे हैं। इक्विटी बाजारों ने इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है और हम आज 2023 के लिए काफी हद तक सकारात्मक हैं। निफ्टी-50 ही नहीं, नैस्डैक, निक्केई-225, सीएसी-40 जैसे अधिकांश वैश्विक सूचकांक सालाना आधार पर 15% से 37% ऊपर हैं।
साल के अंत में घरेलू शेयर बाजारों के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने से भी बाजार का सेंटिमेंट मजबूत हुआ है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की एवीपी स्नेहा पोद्दार कहती हैं, घरेलू बाजार 2023 में पॉजिटिव नोट पर बंद हो रहे हैं। निफ्टी 21 हजार अंक से ऊपर है, जबकि सेंसेक्स 70 हजार को पार कर गया है।
इसकी वजह बताते हुए पोद्दार कहती हैं, नवंबर में सेंटिमेंट्स को बड़ा बूस्ट मिला और वैश्विक और घरेलू दोनों संकेतों के सकारात्मक होने से बाजार को नई ऊंचाई छूने में मदद मिली। घरेलू मोर्चे पर, मजबूत त्योहारी मांग, बेहतर आर्थिक डेटा और मजबूत कॉर्पोरेट आय के साथ-साथ एफआईआई की वापसी ने बाजार को गति प्रदान की। दूसरी ओर, चार में से तीन राज्यों में भाजपा की प्रचंड जीत ने राजनीतिक स्थिरता के संबंध में बाजार में विश्वास पैदा किया है।
वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर बढ़कर 7.6% हो गई, जो उम्मीद से कहीं बेहतर है। आरबीआई ने भी अपनी आखिरी मौद्रिक नीति समीक्षा में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जीडीपी अनुमान को संशोधित कर 7% कर दिया है। दूसरी तिमाही में कॉर्पोरेट आय भी काफी अच्छी रही।
रूप भूतड़ा कहते हैं, विश्व अर्थव्यवस्था धीमी गति से सुधार के लिए तैयार है। महंगाई की आशंका कम हो गई है और हम अगले साल की दूसरी छमाही में नीतिगत दरों में कटौती देख सकते हैं। घरेलू मैक्रो इकोनॉमिक इंडीकेटर अच्छी स्थिति में हैं। सड़क, रेलवे, हवाई अड्डों, बंदरगाहों आदि जैसे बुनियादी ढांचे को समर्थन देने के लिए सरकार की ओर से काफी समर्थन मिला है। निजी पूंजीगत व्यय में भी धीरे-धीरे सुधार होना चाहिए क्योंकि कॉर्पोरेट बैलेंस शीट अब काफी स्वस्थ है। अगले साल की दूसरी छमाही तक दरों में बदलाव की उम्मीद से इसमें और सुधार आना चाहिए। भारत अगले साल भी सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा और कुल मिलाकर यह काफी बेहतर साल होगा।
स्नेहा पोद्दार की मानें तो इतनी ऊंचाई पर आकर भी घरेलू बाजार महंगे नहीं हैं। स्नेहा कहती हैं, निफ्टी 12 महीने के फॉरवर्ड पी/ई अनुपात 18.5x पर कारोबार कर रहा है, जो कि इसके 10 साल के औसत 20.1x से 9% कम है।
स्नेहा कहती हैं, वैश्विक स्तर पर निवेशक आश्वस्त हो रहे हैं कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व नीतिगत दरों में कटौती कर सकता है। तेल की कीमतों में तेज सुधार भी एक वरदान है, क्योंकि अगर यह कायम रहता है तो कॉर्पोरेट की लाभप्रदता में सुधार होगा। हमें उम्मीद है कि बाजार की धारणा और मजबूत होगी, क्योंकि चुनाव पूर्व चल रही तेजी जारी रहने की संभावना है। हमें उम्मीद है कि बीएफएसआई, इंडस्ट्रियल्स, रियल एस्टेट, ऑटो और कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी आगे चलकर अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
शेयर बाजार की तरह ही साल 2023 रियल एस्टेट के लिए भी शानदार रहा। 2023 के पहले नौ महीनों में आवासीय मकानों की बिक्री नए शिखर पर पहुंच गई। साल के पहले नौ महीनों में टॉप-7 शहरों ( दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई और पुणे) में 3.49 लाख से अधिक मकानों की बिक्री देखी गई। यह ब्याज दरों और मकान की कीमतों, दोनों में वृद्धि के बावजूद पूरे 2022 में दर्ज की गई कुल बिक्री का 96% है। मकानों की मांग अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भी जारी रही।
एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी कहते हैं, यदि हम गहराई से देखें तो 2023 की तीसरी तिमाही में मकानों की बिक्री ने पिछले दशक में लगभग एक नया शिखर बनाया। इस दौरान शीर्ष 7 शहरों में 1,20,300 मकान बिके। यह बताता है कि घर के स्वामित्व की भूख कम नहीं हुई है। 2024 में भी आवासीय मांग मजबूत बनी रहने की उम्मीद है। हम नए साल में आवासीय मकानों की कीमतों में 12% तक की बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं।
अफॉर्डेबल हाउसिंग में काम करने वाली फिनटेक बेसिक होम लोन के को-फाउंडर एंड सीईओ अतुल मोंगा कहते हैं, होम लोन सेक्टर ने 2023 में चुनौतियों का सामना किया और विजेता के रूप में उभरा। रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि मार्च 2023 में होम लोन की बकाया राशि 19,36,428 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जो साल-दर-साल 15 प्रतिशत की वृद्धि है। 2022-23 की चौथी तिमाही के दौरान अखिल भारतीय गृह मूल्य सूचकांक (एचपीआई) में सालाना आधार पर 4.6 फीसदी की वृद्धि देखी गई।
हालांकि, होम लोन के लिए 2023 का अनुभव मिलाजुला रहा। अतुल मोंगा कहते हैं, एक तरफ शहरीकरण, कम ब्याज दरों और सरकारी पहल जैसे कारकों के कारण मकानों की मांग मजबूत बनी रही, दूसरी तरफ बढ़ती निर्माण लागत और किफायती आवास इकाइयों की कमी जैसी चुनौतियों ने इस क्षेत्र पर नकारात्मक असर डाला।
मोंगा ने कहा कि होम लोन आवेदनों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जो कि आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद एक मजबूत बाजार का प्रदर्शन करता है। हालांकि, कड़े पात्रता मानदंडों और वित्तीय संस्थानों द्वारा अपनाए गए सतर्क रवैये के कारण लोन के डिस्ट्रीब्यूशन में बाधाओं का सामना करना पड़ा।
मोंगा ने कहा कि 2024 में होम लोन सेगमेंट को नया आकार देने के लिए कई रुझान तैयार हैं। इसमें सबसे बड़ी उम्मीद किफायती आवास पर जारी फोकस जारी रहने की है। उम्मीद है कि सरकार और वित्तीय संस्थान पहली बार खरीदारों के लिए होम लोन तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने के उपाय अपनाएंगे। अफॉर्डेबल हाउसिंग तैयार करने के लिए डेवलपर्स को प्रोत्साहित करने वाली योजनाओं को भी प्रमुखता मिल सकती है।
सोने में निवेश करने वालों के लिए भी साल 2023 अच्छा साबित हुआ। सोने की कीमत में एक साल में 18.20% फीसदी का अच्छा खासा उछाल आया है। इससे पहले, 2022 के अंत और 2023 की शुरुआत में सोने की कीमत में 14% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई थी।
कमोडिटी एडवायजरी फर्म केडिया एडवायजरी के निदेशक अजय केडिया कहते हैं, 2023 में सोने ने निवेश के एक विकल्प के रूप में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है। बाजार की अनिश्चितताओं से निपटने और लंबी अवधि में लगातार रिटर्न देने वाले एसेट के रूप में निवेशक इस कीमती धातु का रुख कर सकते हैं।
केडिया ने कहा कि भू-राजनीतिक तनावों का सोने की कीमतों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने का इतिहास रहा है। इज़राइल-हमास संघर्ष कोई अपवाद नहीं था। ये संघर्ष वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता पैदा करते हैं, जिससे निवेशक सोने जैसी सुरक्षित संपत्ति की तलाश करते हैं। जब तक दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भू-राजनीतिक तनाव रहेगा, सोना एक आकर्षक निवेश बना रहेगा।
इन वजहों से बढ़ेगी सोने की मांग
फेडरल रिजर्व दर में कटौती की भविष्यवाणियों ने भी सोने की कीमत बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। केडिया कहते हैं, जब फेड ब्याज दरों को कम करने पर विचार करता है, तो निवेशक आर्थिक अनिश्चितता के खिलाफ बचाव के लिए सोने की ओर रुख करते हैं। डॉलर में कमजोरी भी सोने को मजबूत करती है, क्योंकि डॉलर कमजोर होने पर सोना विदेशी खरीदारों के लिए अधिक किफायती हो जाता है। इससे सोने की अंतरराष्ट्रीय मांग बढ़ जाती है, जिससे इसकी कीमत और बढ़ सकती है।
दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जारी भू-राजनीतिक तनाव, फेडरल रिजर्व की दर में कटौती की उम्मीदें, कमजोर डॉलर, व्यापक राजकोषीय नीतियां और सकारात्मक पूर्वानुमान सभी 2024 में सोने में निवेश के लिए अनुकूल माहौल बना रहे हैं। ऐसे में 2-3 साल की अवधि के लिए सोने में निवेश पर विचार किया जा सकता है। जो निवेशक अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाना चाहते हैं और आर्थिक अस्थिरता की स्थिति में अपने धन की रक्षा करना चाहते हैं, उन्हें अपने पोर्टफोलियो में सोने को शामिल करने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
एचडीएफसी सिक्युरिटीज के कमोडिटी और करेंसी प्रमुख अनुज गुप्ता कहते हैं, निवेशकों को ब्याज दरों पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसले का इंतजार है। निवेशक ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। इसका सोने और चांदी की कीमतों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। केंद्रीय बैंकों की ओर से सोने की खरीदारी भी इन धातुओं के लिए सहायक होगी। वैश्विक अनिश्चितता और युद्ध का तनाव भी सोने और चांदी को समर्थन प्रदान कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि नए साल में सोना 65000 से 67000 रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच सकता है। जबकि चांदी 80 हजार से 82 हजार के स्तर तक जा सकती है।
इन तमाम सकारात्मक उम्मीदों के बीच एक परेशान करने वाली बात ये हो सकती है शायद नए साल में भी हमें महंगे लोन से छुटकारा न मिले। दरअसल, अमेरिकी फेड के ब्याज दरों में कटौती करने की पूरी उम्मीद है, लेकिन देश में ब्याज दरें कम होने की संभावना कम है।
बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं, दिसंबर माह की मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर की टिप्पणियों पर ध्यान दें तो 2024 ब्याज दर के लिए सावधानीपूर्वक आशावादी कहा जा सकता है। ब्याज दरों में कटौती तभी होगी जब महंगाई दर में अच्छी खासी कमी आ जाएगी। महंगाई दर अक्टूबर में 4.9% तक भले ही आ गई, लेकिन यह अब भी चिंता का विषय है। नवंबर में खुदरा महंगाई 5.5% दर्ज हुई है। दिसंबर में भी इसमें वृद्धि की संभावना है। यह अब भी रिजर्व बैंक के लक्ष्य 4.0% से अधिक है। हमें उम्मीद है कि यदि जरूरी हुआ तो आरबीआई महंगाई से निपटने में अधिक आक्रामक रणनीति अपनाने में संकोच नहीं करेगा।