“यूजर को रेगुलेटेड वेंडर का ऐप ही इस्तेमाल करना चाहिए, इंटरनेट पर जरूरत से ज्यादा जानकारी देना ठीक नहीं”
यूजर को रेगुलेटेड वेंडर के ऐप का ही उपयोग करना चाहिए तथा इंटरनेट और ऐप पर जरूरत से ज्यादा जानकारी साझा नहीं करनी चाहिए। क्या एआई लोगों की जगह लेगा इस सवाल पर राममूर्ति ने कहा कि एआई वैसे काम ही कर सकेगा जिसमें किसी क्रिया को दोहराया जाता है। लेकिन इसने डेटा क्लीनिंग डेटा एनोटेशन डेटा सेट की क्वालिटी बनाए रखने जैसे नए अवसर भी खोले हैं।
नई दिल्ली। ‘आपका डेटा आपका है, और इसे आपके लिए ही काम करना चाहिए,’ यह कहना है आईटी कंपनी जोहो की सहयोगी मैनेजइंजन में डायरेक्टर (एआई रिसर्च ) रामप्रकाश राममूर्ति का। एआई रेगुलेशन को महत्वपूर्ण मानते हुए उनका कहना है कि डेटा संग्रह और उसकी शेयरिंग पर नियंत्रण जरूरी है और शुरुआत यहीं से होनी चाहिए। उनका यह भी कहना है कि जिस गति से रेगुलेशन बन रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा गति से एआई तकनीक विकसित हो रही है। उनकी राय है कि यूजर को रेगुलेटेड वेंडर के ऐप का ही उपयोग करना चाहिए तथा इंटरनेट और ऐप पर जरूरत से ज्यादा जानकारी साझा नहीं करनी चाहिए। क्या एआई लोगों की जगह लेगा, इस सवाल पर राममूर्ति ने कहा कि एआई वैसे काम ही कर सकेगा जिसमें किसी क्रिया को दोहराया जाता है। लेकिन इसने डेटा क्लीनिंग, डेटा एनोटेशन, डेटा सेट की क्वालिटी बनाए रखने जैसे नए अवसर भी खोले हैं। उनसे बात की जागरण प्राइम के एस.के. सिंह ने। बातचीत के मुख्य अंश-
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते उपयोग के साथ प्राइवेसी की सुरक्षा एक प्रमुख समस्या बन गई है। आप इसका क्या समाधान देखते हैं?
हमें इसे दो तरीके से देखना चाहिए। पहला उपभोक्ता के स्तर पर और दूसरा एंटरप्राइज के स्तर पर। उपभोक्ता के तौर पर हम रिसर्च के लिए भुगतान नहीं करते हैं। इसके बजाय हम अपना व्यक्तिगत डेटा देकर मुफ्त में सेवाएं प्राप्त करते हैं। लेकिन कंपनी ऐसा नहीं कर सकती। उनका डिजिटल डेटा बिजनेस सीक्रेट होता है जिसे वह प्रतिद्वंद्वी या किसी और के हाथों में नहीं जाने दे सकती।
हमारे पास मजबूत प्राइवेसी-फर्स्ट नीति है। दरअसल, व्यक्तिगत उपयोगकर्ता की प्राइवेसी भी कंपनी की प्राइवेसी से ही सुनिश्चित होती है। मान लीजिए आपकी कंपनी में एक अनपैच्ड हिस्सा है। वह जानकारी बहुत संवेदनशील है। यदि किसी साइबर अपराधी को पता चल जाए कि आपके सिस्टम का 40% हिस्सा अनपैच्ड है, तो आप आसान लक्ष्य बन जाते हैं। इसलिए यहां कंपनी के स्तर पर एक सुरक्षा बाउंड्री की आवश्यकता होती है। फिर मालवेयर और रैंसमवेयर जैसी समस्याएं हैं। एक मालवेयर सबके लिए मालवेयर है।
- बार-बार कहा जाता है कि AI मनुष्य की जगह ले लेगा।
एआई वैसे काम कर सकेगा जिसमें किसी क्रिया को दोहराया जाता है। लेकिन इसने डेटा क्लीनिंग, डेटा एनोटेशन, डेटा सेट की क्वालिटी बनाए रखने जैसे नए अवसर भी खोले हैं।
- AI का रेगुलेशन यह कितना महत्वपूर्ण है?
मुझे लगता है कि यह बहुत महत्वपूर्ण है। जिस गति से यह तकनीक विकसित हो रही है और जिस गति से रेगुलेशन विकसित हो रहे हैं, उनमें कोई मेल नहीं है। यूरोप में प्राइवेसी को लेकर 2018 में जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) आया, लेकिन उसमें मशीन लर्निंग या एआई का कोई उल्लेख नहीं था। हाल ही में वे यूरोपियन यूनियन एआई एक्ट लेकर आए, जिसमें AI को जोखिम के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। अगर यह हेल्थकेयर या क्रेडिट से जुड़ा AI है तो जोखिम अधिक है।
हमने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) एक्ट के साथ शुरुआत की है। इसमें बच्चों की प्रोफाइलिंग की बात है। यह निश्चित रूप से सही दिशा में कदम है। अकादमिक जगत, उद्योग और सरकार को मिलकर काम करना चाहिए ताकि चीजों को तेजी से आगे बढ़ाया जा सके, क्योंकि AI बहुत तेजी से हर जगह तैनात किया जा रहा है। रेगुलेशन इसे बेहतर बनाने में मदद करेगा।
- कौन सी चीजें प्रतिबंधित की जानी चाहिए?
मैं डेटा संग्रह और किसके हाथ में डेटा जाता है, इनसे शुरू करूंगा। मेरा फोन जानता है कि मेरे पास पैसे की कमी है, फिर भी यह मुझे नए गैजेट खरीदने के लिए प्रेरित करता है। अथवा, यह जानता है कि मुझे डायबिटीज है, फिर भी मुझे मिल्कशेक खरीदने के लिए कहता है। मेरे विचार से आपका डेटा आपका है, और इसे आपके लिए ही काम करना चाहिए। शुरुआत यहीं से होनी चाहिए, बजाय इसके कि AI ऐसा कैसे करेगा। इसके अलावा, किसी ऐप की हम प्राइवेसी पॉलिसी नहीं पढ़ते हैं। डेटा प्राइवेसी और एकत्रित डेटा के उपयोग पर जागरूकता होनी चाहिए।
- डेटा पर नियंत्रण रखना आम आदमी के हाथ में नहीं रह गया है। वह क्या कर सकता है?
हम जो कुछ भी करते हैं, उसका डिजिटल ट्रेल (सबूत) छोड़ते हैं। इसलिए पहली बात तो यह कि रेगुलेटेड वेंडर के ऐप का ही उपयोग करें। स्कैम बढ़ रहे हैं। साइबर अपराधी कहीं से आपका फोन नंबर लेते हैं, आपको फोन करते हैं और कहते हैं, मैं अमुक टेलीफोन केपनी से कॉल कर रहा हूं, अगर आपने इतना भुगतान नहीं किया तो आपका नंबर ब्लॉक कर दिया जाएगा। इसलिए आप जो डिजिटल ट्रेल बनाते हैं, उसके प्रति सतर्क रहें। अधिकृत वेंडर के ऐप भी डेटा एकत्र करते हैं, लेकिन वे अनधिकृत ऐप की तुलना में अधिक जिम्मेदारी बरतते हैं।
इंटरनेट और ऐप पर जरूरत से ज्यादा जानकारी साझा करना भी बंद करें क्योंकि आप नहीं जानते कि कहां किस जानकारी का दुरुपयोग होगा। हमारा स्मार्टफोन जानता है कि हम कहां रहते हैं, कितने बजे ऑफिस के लिए निकलते हैं आदि।
हमने अपने परिवार में एक कोड वर्ड तय किया है। मान लीजिए, मेरी मां को कॉल जाता है कि मैं एक दुकान में फंस गया हूं और मेरा फोन का चार्ज खत्म हो रहा है। आप इस UPI पर 5000 रुपये ट्रांसफर कर दीजिए। लेकिन मेरी मां बिना उस कोड वर्ड के कभी पैसे ट्रांसफर नहीं करेगी। मुझे लगता है कि सभी परिवारों को ऐसा करना चाहिए। आवाज की क्लोनिंग और डीप फेक के तरीके को देखते हुए यह जरूरी है। इसी तरह, बच्चे बहुत सारे स्मार्ट डिवाइस का उपयोग करते हैं। उन्हें डिवाइस देने से पहले प्राइवेसी के बारे में शिक्षित करें।
- आजकल बच्चे दिन-रात स्मार्टफोन का प्रयोग करते हैं। उनके लिए साइबर सुरक्षा एक गंभीर जोखिम है। आप इसके बारे में क्या कहेंगे?
माता-पिता का नियंत्रण बहुत महत्वपूर्ण है। मैं व्यक्तिगत रूप से बहुत चिंतित हूं। हम अपने बच्चों को किस तरह का बचपन दे रहे हैं? इंटरनेट पर जो भी आप कहते हैं, वहां उसकी सराहना करने वालों की एक भीड़ होती है, भले ही आपने बहुत सामान्य बात कही हो। मेरे माता-पिता को पता रहता था कि मैं किसके साथ खेलता था, कहां जाता था, किस दोस्त के साथ बातचीत करता था। लेकिन आज आप यह नहीं जान सकते कि आपके बच्चे किसके साथ बातचीत कर रहे हैं।
- साइबर सुरक्षा में नया क्या है?
एडेप्टिव ऑथेंटिकेशन को नया कह सकते हैं। इसमें सिस्टम आपका व्यवहार देखता है। मान लीजिए आप पैसे का लेन-देन हमेशा दिन में करते हैं, रात में नहीं। अब अगर आपका फोन हैक हो गया और कोई ट्रांजैक्शन रात में हो रहा है, तो (बैंकिंग) सिस्टम अतिरिक्त ऑथेंटिकेशन की मांग कर सकता है। इसी तरह, अगर आपके क्रेडिट कार्ड को किसी दूसरे देश में स्वाइप किया गया है तो सिस्टम उसे ब्लॉक कर सकता है।
हालांकि इन सबके बावजूद स्कैम हो रहे हैं। सबसे ज्यादा स्कैम सोशल फिशिंग के जरिए होते हैं। साइबर अपराधी आपको किसी लिंक पर क्लिक करने या बैलेंस चेक करने के लिए यूपीआई पिन डालने के लिए कहते हैं। इन्हें रोकने के लिए कदम उठाए गए हैं, लेकिन सोशल इंजीनियरिंग हमले लगातार बढ़ रहे हैं, और साथ में डीपफेक भी। हम व्याकरण या किसी अन्य अशुद्धि से फिशिंग मैसेज को पहचान सकते हैं, लेकिन अब एलएलएम की मदद से बेहद प्रोफेशनल ईमेल लिखे जा रहे हैं।
-निश्चित रूप से AI के अनेक लाभ हैं। आपको इसके नुकसान क्या लगते हैं?
एक तो AI के इर्द-गिर्द फैले हाइप को मैं एक ड्रामा मानता हूं। क्योंकि तकनीक को देखें तो यह न आर्टिफिशियल है, न इंटेलिजेंस। लेकिन इसे काफी हाइप दिया गया है। यह हाइप ही इसे आगे नीचे लेकर जाएगी। साल 2017 में एक मजाक चलता था कि रेडियोलॉजिस्ट अप्रासंगिक हो जाएंगे, हम सभी सेल्फ-ड्राइविंग कारों में चलेंगे। लेकिन 2024 में रेडियोलॉजिस्ट खुद अपनी कारों में अस्पताल जा रहे हैं।
महत्वपूर्ण यह है कि आप क्या अपेक्षा करते हैं। जिस तरह से हमने इस तकनीक का इस्तेमाल मनुष्य की जगह किया है, वहां यह महत्वपूर्ण है। मुझे अच्छा लगा जब ओपन AI ने इसे अलेक्सा या सिरी नहीं कहा, बल्कि इसे Chat GPT जैसा रोबोटिक नाम दिया।
और फिर शब्दावली की भ्रांतियां हैं। मैं भ्रांति कर सकता हूं क्योंकि मैं सोच सकता हूं। लेकिन जब आप कहते हैं कि कोई (एआई) मॉडल भ्रांति करता है, तो ऐसा लगता वह मॉडल सोचने में सक्षम है। कोई भी मॉडल बस पैटर्न की मैचिंग मात्र है। आप किसी डेटाबेस को लीजिए। हम लाखों रिकॉर्ड्स के बीच किसी एक रिकॉर्ड को कुछ सेकंड में नहीं खोज सकते, लेकिन डेटाबेस ऐसा कर सकता है। लेकिन इससे डेटाबेस सुपरह्यूमन नहीं हो जाते।
इसलिए सही अपेक्षाएं रखना महत्वपूर्ण है। टेस्ला की सेल्फ-ड्राइविंग कार का एक सामान्य उदाहरण लें। यह अमेरिका में 80% मौकों पर सही काम करती है। भारत लाएंगे तो यह काम नहीं करेगी। यह AI की वजह से नहीं है, बल्कि यहां वैसा इकोसिस्टम नहीं है। हमें देखना पड़ेगा कि यहां सड़कों की स्थिति कितनी अच्छी है, यातायात अनुशासन कैसा है?
- अपनी कंपनी के बारे में बताइए।
मैनेजइंजन ज़ोहो का एंटरप्राइज आईटी मैनेजमेंट डिवीजन है। भारत वर्तमान में हमारा तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। बहुत जल्द यह अमेरिका और ब्रिटेन के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा। पिछले 3 वर्षों में हमारी वृद्धि लगभग 50% सालाना रही है। हमारा क्लाउड डिवीजन सालाना 70% की दर से बढ़ रहा है। हम मुख्य रूप से IT सेवाएं देते हैं। हम ऐसे प्रोडक्ट बनाते हैं जो किसी भी क्लाउड वातावरण में तैनात किए जा सकते हैं। हम ग्लोबल सिस्टम इंटीग्रेटर्स के साथ भी काम करते हैं ताकि बड़े उद्यमों को सेवा प्रदान की जा सके। हम पहले दिन से प्रॉफिट में हैं। हमने बाहर से कोई फंडिंग नहीं ली है। हमने 1996 में शुरुआत की थी। 2026 में हम 30 साल के हो जाएंगे।
- आप अपनी सेवाएं किस प्रकार के ग्राहकों को दे रहे हैं?
भारत में, शीर्ष चार क्षेत्र BFSI (बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा), हेल्थकेयर, मैन्युफैक्चरिंग और शिक्षा हैं। UPI आने के बाद BFSI बहुत तेजी से बढ़ रहा है।
- उनकी तरफ से किस प्रकार की मांग आ रही है?
आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर अब एक गंभीर आवश्यकता बन गई है। कोई भी व्यक्ति ऐसा बैंक नहीं चाहता जिसकी वेबसाइट डाउन हो या बार-बार फेल हो रही हो। आरबीआई भी बैंकिंग सेवाओं को लेकर बहुत सख्त है। आईटी सिर्फ ग्राहक के लिए नहीं बल्कि कर्मचारी के लिए भी महत्वपूर्ण है। अगर आपके डिजिटल टूल्स के साथ कर्मचारी का अनुभव अच्छा नहीं है, तो आपके लिए कर्मचारी को रोक कर रखना मुश्किल हेगा।
- ये साइबर सुरक्षा को लोकर कितने तत्पर हैं?
विशेष रूप से महामारी के बाद इसमें वृद्धि हुई है। हमने देखा है कि रैनसमवेयर और मालवेयर हमले आम हो गए हैं। क्योंकि एलएलएम से कोड लिखना आसान हो गया है। आप एक मालवेयर लेकर एलएलएम को उसका एक अलग वर्जन देने के लिए कह सकते हैं। इसलिए हम बहुत सारे स्टील्थ मालवेयर भी देख रहे हैं। यह आपके सिस्टम में कुछ दिनों तक चुपचाप बैठता है और फिर आपके डेटा को दूसरे डोमेन पर भेजने लगता है। हमने ऐसे अनेक हमले देखे हैं। दरअसल कंपनियों पर इस प्रकार के हमले सामान्य हो गए हैं। इससे बचने के लिए हमने एंडप्वाइंट सेंट्रल नाम का प्रोडक्ट बनाया है जो किसी संस्थान के सभी एंडप्वाइंट पर नियंत्रण रखता है। इस टूल को बहुत अच्छा रेस्पांस मिला है।
- AI कॉरपोरेट जगत में किस तरह के बदलाव ला रहा है?
हम 2011 से AI पर काम कर रहे हैं। इसका अच्छा या बुरा पहलू यह है कि यह लगातार बदलता रहता है। जब हमने AI शुरू किया था, तो यह मुख्य रूप से एक कंज्यूमर टूल था। मेरा काम यह देखना था कि यह एंटरप्राइज (कंपनी) में कैसे फिट होगा। हमने छोटे-छोटे कामों से शुरू किया जैसे कि गड़बड़ी (एनॉमली) पकड़ना या भविष्यवाणी। पहले ये काम स्टैटिस्टिकल तकनीक का उपयोग से किए जाते थे। लेकिन अब मशीन लर्निंग के साथ हम पुराने डेटा को देख सकते हैं और किसी खास ट्रेंड या फिर अचानक होने वाली घटना को समझ सकते हैं।
हमारे पास तीन मुख्य डिवीजन हैं- स्टैटिस्टिकल मशीन लर्निंग, कंप्यूटर विजन और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग। स्टैटिस्टिकल मशीन लर्निंग में एनॉमली कम करने, किसी आउटेज की भविष्यवाणी करने जैसे कार्य शामिल हैं। कंप्यूटर विजन में दस्तावेज स्कैनिंग जैसे उपयोग के मामले हैं। नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग में लार्ज लैंग्वेज मॉडल से लेकर बुनियादी ग्रामर त्रुटि सुधार, विभिन्न भाषाओं में अनुवाद तक सब कुछ शामिल हैं।
एंटरप्राइज में एआई को अपनाने में दो पड़ाव कहे जा सकते हैं। पहला कोविड के दौरान था। अचानक संवेदनशील एंटरप्राइज जानकारी, जो केवल ऑफिस नेटवर्क से एक्सेस की जाती थी, वह बाहर के नेटवर्क पर भी उपलब्ध होने लगी। इसके साथ सुरक्षा के खतरे भी आए। हालांकि हमारे पास पहले से AI सुविधाएं थीं, लेकिन 2020 में इसे बड़े पैमाने पर कंपनियों ने अपनाया। फिर 2022 में चैट GPT आया। उसके बाद फिर से अनेक कंपनियां AI को अपनाने लगीं। आज हमारे लगभग 30% ग्राहक रोजाना AI का उपयोग करते हैं। उन्होंने इसके आधार पर अपने वर्कफ्लो बनाए हैं और यह तेजी से बढ़ रहा है।
- क्या यह केवल एआई है या जेनरेटिव एआई है?
यह समग्र है, एआई और जेनरेटिव दोनों मिलाकर। आईटी क्षेत्र में जेनरेटिव एआई के उपयोग के मामले बहुत सीमित हैं। जेनरेटिव एआई पूरे एआई स्टैक का केवल 5% है।