जगत प्रकाश नड्डा : जन-जन के बीच लोकप्रिय हो चुका प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रेरक और परिवर्तनकारी कार्यक्रम ‘मन की बात’ एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच रहा है। इसके सौ एपिसोड पूरे हो रहे हैं। देश ने ‘मन की बात’ को हर नुक्कड़ और हर कोने में गूंजते देखा है। जहां भारत के जन-जन के मन की बात हो, वहां की प्रेरणा ही कुछ और होती है। यह भारत की और भारत के मन की बात है। यह जनभागीदारी की अभिव्यक्ति का एक अद्भुत प्लेटफार्म है। इसमें आज तक प्रधानमंत्री ने न कोई राजनीतिक बात की और न ही राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस मंच का कभी उपयोग किया। देश और समाज को एक कार्यक्रम के माध्यम से एक सूत्र में कैसे पिरोया जा सकता है, ‘मन की बात’ इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

मैं राजा राममोहन राय, महात्मा गांधी, ईश्वरचंद विद्यासागर, ज्योतिबा फुले, बाबा साहब भीमराव आंबेडकर और जयप्रकाश नारायण जी को पढ़ते हुए बड़ा हुआ हूं। किस तरह उनके आह्वान समाज में परिवर्तन के उत्प्रेरक बने और किस तरह उन्होंने हाशिये पर खड़े लोगों को आवाज दी, हम सबने इसका अनुभव किया है। मुझे लंबे समय तक मोदी जी के साथ काम करने का अवसर मिला है। मैंने अनुभव किया है कि उनका बहुआयामी व्यक्तित्व है। वह समाज सुधारक भी हैं, बच्चों के अभिभावक भी हैं, शिक्षक भी हैं, कठोर प्रशासक भी हैं, निर्णायक व्यक्तित्व भी हैं, प्रेरक विश्व नेता भी हैं, मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं, संवेदनशील स्टेट्समैन भी हैं, सांस्कृतिक पुनर्जागरण के अग्रदूत भी हैं और देश को विकास पथ पर आगे ले जाने वाले महानायक भी। जब वह हिंदुस्तान के ‘मन की बात’ करते हैं तो जन-जन पर इसका व्यापक और गहरा असर होता है और जमीन पर इसका सकारात्मक प्रभाव भी दिखाई देता है। चाहे खेल की बात हो या खिलौने की, योग की बात हो या वैक्सीनेशन की - ‘मन की बात’ लोगों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने का कारक बनी।

प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ में संस्कृति, खेल, कला, परीक्षा, जल संरक्षण, वन संरक्षण और अपने जीवन को दीपक की तरह जला समाज की बेहतरी के लिए पुरुषार्थ करने वाले लोगों की चर्चा कर आम जन में प्रेरणा का संदेश दिया। उन्होंने प्राकृतिक खेती, श्री अन्न यानी मिलेट्स, नई नीतियों, मातृ सशक्तिकरण, स्वच्छता अभियान, स्वयंसेवा, फिट इंडिया मूवमेंट, बेटी बचाओ-बेटी बढ़ाओ, खेलो इंडिया, विभिन्न महापुरुषों, हर घर तिरंगा, युवाओं के इनोवेशन, स्टार्ट-अप्स, स्वास्थ्य एवं रक्षा क्षेत्र में भारत के बढ़ते कदम आदि के बारे में विस्तार से चर्चा की।

नरेन्द्र मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और कच्छ से लेकर पूर्वोत्तर तक, हर जगह की संस्कृति से लोगों का परिचय कराया है। उन्होंने इस कार्यक्रम के माध्यम से अलग-अलग क्षेत्रों के त्योहारों से भी परिचित कराया है। प्रधानमंत्री पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन के बारे में भी चर्चा करते हैं और सचेत भी। उन्होंने ‘मन की बात’ में कई बार स्वंय सहायता समूह और महिला उद्यमियों के बारे में चर्चा की है, जिससे हमें पता चलता है कि वे किस तरह विषम परिस्थितियों में भी सरकार की योजनाओं से लाभ लेते हुए देश के आर्थिक उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

चाहे कर्नाटक की हुलसूर मिलेट प्रोड्यूसर कंपनी की बात हो, श्रीरंगपटट्नम में स्वच्छता अभियान के तहत प्राचीन वीरभद्र स्वामी शिवा मंदिर की युवा ब्रिगेड की बात हो, कटक के चाय बेचने वाले डी प्रकाश राव हों, बिहार की महिला उद्यमी साधना देवी हों या फिर महिला किसानों की बात हो - हम सबने ‘मन की बात’ में ऐसे कई किस्से सुने हैं, जिससे देश के बाकी हिस्से के लोगों के जीवन में बदलाव आया। प्रधानमंत्री सामाजिक परिवर्तनों का नेतृत्व करने के लिए ‘मन की बात’ के माध्यम से एक तंत्र स्थापित करने में सफल रहे हैं।

‘मन की बात’ ने कोरोना टीकाकरण के दौरान समाज को एकजुट रखने और कोरोना के खिलाफ भारत की निर्णायक लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसने देश के उन सुदूर क्षेत्रों में भी संदेश पहुंचाया, जहां पर इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं थी। ‘मन की बात’ में आम जन के विचार और सुझाव भी लिए जाते हैं। नागरिकों के विचार, राष्ट्र के विकास स्तंभ हैं। उनके सुझाव, चिंताओं और विचारों की भागीदारी ही शासन की जड़ होती है।

‘मन की बात’ के जरिए प्रधानमंत्री मोदी लगातार उन व्यक्तियों पर प्रकाश डालते रहे हैं, जिन्होंने देश को गौरवान्वित किया है। ‘मन की बात’ की प्रेरक कहानियां भारतीयों के वैश्विक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करती हैं, जो दुनिया के दूसरे देशों में भी अपने समर्पण, कड़ी मेहनत और उत्कृष्टता के बूते पर खड़े हैं। यही कारण है कि मन की बात केवल भारतीयों के बीच ही नहीं, बल्कि विश्व भर में फैले भारतवंशियों के बीच भी लोकप्रिय है। इसे 11 विदेशी भाषाओं में भी सुना जाता है।

विपक्ष ने कई बार ‘मन की बात’ कार्यक्रम का मजाक उड़ाया, लेकिन उसे मालूम होना चाहिए कि यह देश के जन-जन की बात है। देश की जनता के मन में ‘मन की बात’ को लेकर कितना उत्साह रहता है, यह इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट, रोहतक के सर्वे से स्पष्ट हो जाता है। सर्वे में सामने आया कि सौ करोड़ से अधिक लोग ‘मन की बात’ को सुन चुके हैं और इसे सुनने के बाद लगभग 60 प्रतिशत लोग राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए संकल्पबद्ध हुए। इस कार्यक्रम के हर एपिसोड को कम से कम 23 करोड़ जनता जरूर सुनती है। अलग-अलग भाषाओं में भी इस कार्यक्रम को सुनने वाले लोगों की अच्छी खासी तादाद है। ‘मन की बात’ ने भारतीय जनमानस पर सकारात्मक प्रभाव डाला है और उनमें आशावाद और खुशी की भावना पैदा की है।

‘मन की बात’ का सबसे बडा़ योगदान यह है कि इसने समाज में सकारात्मकता की भावना बढ़ाई है। आप जब मन की बात कार्यक्रम सुनते हैं तो पता चलता है कि आपकी भाषा में कोई आपका अपना, आपसे बात कर रहा है और उंगली पकड़ कर आपको आगे बढ़ने की राह दिखा रहा है। मुझे उम्मीद है कि यह आने वाले समय में भी समावेशी भारत के सपने को साकार करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बना रहेगा।

(लेखक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं)