तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक न केवल भाजपा विरोधी गठबंधन आइएनडीआइए का एक प्रमुख घटक है, बल्कि कांग्रेस का पुराना सहयोगी दल भी है। इसी द्रमुक के एक प्रमुख नेता उदयनिधि स्टालिन ने यह घोर आपत्तिजनक बयान दिया कि सनातन धर्म मलेरिया, डेंगू एवं कोरोना की तरह है और इसका विरोध करना ही पर्याप्त नहीं, बल्कि इसका खात्मा किया जाना चाहिए। उदयनिधि तमिलनाडु सरकार में मंत्री होने के साथ ही मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे भी हैं।

उन्होंने जिस तरह सनातन उन्मूलन सम्मेलन में उपस्थित होकर सार्वजनिक रूप से सनातन धर्म को मिटाने की बात की, वह केवल आपत्तिजनक ही नहीं, बल्कि घृणास्पद भी है। यह भी उल्लेखनीय है कि उन्होंने उक्त सम्मेलन के आयोजकों को इसके लिए धन्यवाद दिया कि उन्हें इस आयोजन में बोलने का अवसर दिया गया और कार्यक्रम का नाम सनातन का विरोध करना नहीं, बल्कि उसका खात्मा करना रखा गया। उनका यह कथन सनातन धर्म के प्रति उनकी नफरत को ही दर्शाता है।

वास्तव में इसे हेट स्पीच के अलावा और कुछ नहीं कहा जा सकता। क्या यह आशा की जाए कि हेट स्पीच को लेकर सजग-सक्रिय सुप्रीम कोर्ट उदयनिधि स्टालिन के कुत्सित बयान का स्वतः संज्ञान लेगा? पता नहीं, वह क्या करेगा, लेकिन यह आश्चर्यजनक है उदयनिधि अपने घृणित बयान पर अफसोस जताने के बजाय उस पर न केवल कायम हैं, बल्कि उसका बचाव भी कर रहे हैं। यह अहंकार संग निर्लज्जता की पराकाष्ठा है। आश्चर्य की बात यह भी है कि कांग्रेस के कुछ नेताओं के साथ आइएनडीआइए के घटकों के नेता भी उदयनिधि के बयान का बचाव करने में जुट गए हैं।

इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने उदयनिधि स्टालिन के बयान से असहमति जताई या फिर उनकी निजी राय बताकर पल्ला झाड़ लिया, क्योंकि यह एक ऐसा गंभीर मामला है, जिस पर कांग्रेस नेतृत्व को सफाई देनी चाहिए। समझना कठिन है कि स्वयं को शिवभक्त और जनेऊधारी ब्राह्मण बताने-कहलाने वाले राहुल गांधी उदयनिधि स्टालिन के द्वेषपूर्ण बयान पर कुछ कहने की आवश्यकता क्यों नहीं समझ रहे हैं? कहीं इसलिए तो नहीं कि कांग्रेस तमिलनाडु में द्रमुक के रहमोकरम पर है?

इस मामले में राहुल गांधी को इसलिए हस्तक्षेप करना चाहिए, क्योंकि वह मोहब्बत की दुकान चलाने का दावा कर रहे हैं। क्या मोहब्बत की इस कथित दुकान के भागीदारों को देश के 80 प्रतिशत हिंदुओं को अपमानित करने और उनके प्रति घृणा फैलाने की छूट मिली हुई है? प्रश्न यह भी है कि क्या उदयनिधि स्टालिन वैसा कोई बयान किसी अन्य मत-मजहब को लेकर दे सकते हैं, जैसा उन्होंने सनातन यानी हिंदू धर्म को लेकर दिया? आखिर आइएनडीआइए के वे नेता कहां हैं, जो इस गठबंधन के उस कार्यसमूह के सदस्य हैं, जिसका काम मीडिया से संवाद करना है? एक प्रश्न यह भी है कि क्या उदयनिधि स्टालिन का बयान आइएनडीआइए के नारे-जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया को बल देने वाला है?