न्यूजीलैंड के हाथों भारतीय क्रिकेट टीम तीन टेस्ट मैचों की सीरीज जिस बुरी तरह हार गई, वह शर्मनाक तो है ही, टीम इंडिया की प्रतिष्ठा को धूमिल करने वाला भी है। यह पहली बार है जब दो से अधिक टेस्ट मैचों की सीरीज में भारतीय टीम का इस तरह सफाया हुआ हो।

यह हार इसलिए कहीं अधिक चुभने वाली है, क्योंकि बेंगलुरु, पुणे और मुंबई-कहीं पर भी भारतीय टीम न्यूजीलैंड का मुकाबला करती हुई नहीं दिखी। वास्तव में इसीलिए इसे न्यूजीलैंड के आगे समर्पण भी कहा जा रहा है।

यह समर्पण इसलिए भी अधिक चुभने वाला है, क्योंकि सीरीज के अधिकांश हिस्से में भारतीय बल्लेबाज स्पिन गेंदबाजी के समक्ष असहाय दिखे और उनके खेल कौशल पर प्रश्न खड़े हुए। अपने ही घर में न्यूजीलैंड के हाथों इतनी बुरी तरह पिटने के बाद आस्ट्रेलिया दौरे में निराशाजनक प्रदर्शन की आशंका बढ़ गई है।

न्यूजीलैंड के हाथों सीरीज गंवाने के बाद इसकी संभावनाएं कम ही हैं कि भारतीय टीम विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में अपना स्थान बना सकेगी। खेलों में हार-जीत लगी ही रहती है, लेकिन कष्ट तब होता है जब कोई टीम जीतने की इच्छाशक्ति का ही परिचय न दे। इस सीरीज में ऐसा ही दिखाई दिया। तीनों ही मैचों में बहुत कम अवसरों पर ऐसा लगा कि भारतीय क्रिकेटर जीत हासिल करने अथवा हार से बचने के लिए खेल रहे हैं।

टी-20 विश्वकप जीतने के बाद भारतीय टीम ने जो प्रतिष्ठा और सराहना अर्जित की थी, उसे उसने अपने लचर प्रदर्शन से गंवाने का ही काम किया है। भारतीय टीम में सब कुछ सही नहीं, इसके संकेत तभी मिल गए थे जब टी-20 विश्वकप जीतने के बाद श्रीलंका में वन डे मैचों की सीरीज में नाकामी मिली थी। इसके बाद भारतीय टीम घरेलू मैदानों में टेस्ट मैचों की सीरीज में बांग्लादेश पर भारी पड़ी, लेकिन अपेक्षाकृत मजबूत न्यूजीलैंड के आगे वह असहाय और निरुपाय दिखी।

न्यूजीलैंड के हाथों शर्मनाक पराजय के लिए पूरी टीम ही जिम्मेदार है, लेकिन सबसे अधिक जिम्मेदारी कप्तान रोहित शर्मा और पूर्व कप्तान विराट कोहली की है, जो पूरी सीरीज में कुछ नहीं कर पाए। जब इतने वरिष्ठ और नामी खिलाड़ी लगातार असफल होते हैं तो उसका असर टीम के अन्य खिलाड़ियों पर भी पड़ता है। इसके साथ ही यह परिणाम नए कोच गौतम गंभीर को भी सवालों के घेरे में खड़ा करता है, जो घरेलू स्थितियों के लाभ के बावजूद टीम को अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रेरित नहीं कर सके।

पराजय के कारणों की चर्चा में यह रेखांकित होना स्वाभाविक है कि कहीं टीम इंडिया पर आइपीएल का दुष्प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है। निश्चित रूप से इसकी गहन समीक्षा की जानी चाहिए कि भारतीय क्रिकेटरों ने इतना खराब प्रदर्शन क्यों किया। ऐसा करते हुए यह नहीं भूला जाना चाहिए कि टी-20 क्रिकेट को आवश्यकता से अधिक अहमियत देने के अपने नुकसान हैं। एक बड़ा नुकसान तो यह नजर आ ही रहा है कि वरिष्ठ खिलाड़ी अपने कौशल को निखारने के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट को प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं।