एमएसएमई सेक्टर में है रोजगार बढ़ाने की क्षमता, फाइनेंस और टेक्नोलॉजी की कमी दूर करने से होगा इसका विस्तार
समावेशी विकास के रास्ते भारत को विकसित देश बनाने में छोटे-मझोले उद्योगों (एमएसएमई) की अहम भूमिका है। विशेषज्ञ तो यहां तक कहते हैं कि एमएसएमई पर फोकस किए बिना भारत विकसित देश नहीं बन सकता। देश के 6.4 करोड़ एमएसएमई रोजगार बढ़ाने में बड़ा योगदान कर सकते हैं जिससे घरेलू खपत बढ़ेगी। सस्ते इनोवेशन का हब बन कर ये मैन्युफैक्चरिंग निर्यात में भारत की भागीदारी बढ़ा सकते हैं।
एस.के. सिंह, नई दिल्ली। समावेशी विकास के रास्ते भारत को विकसित देश बनाने में छोटे-मझोले उद्योगों (एमएसएमई) की अहम भूमिका है। विशेषज्ञ तो यहां तक कहते हैं कि एमएसएमई पर फोकस किए बिना भारत विकसित देश नहीं बन सकता। देश के 6.4 करोड़ एमएसएमई रोजगार बढ़ाने में बड़ा योगदान कर सकते हैं, खास कर ग्रामीण इलाकों में जिससे घरेलू खपत बढ़ेगी। सस्ते इनोवेशन का हब बन कर ये मैन्युफैक्चरिंग निर्यात में भारत की भागीदारी बढ़ा सकते हैं। ग्रामीण इलाकों में इकाइयां लगने से माइग्रेशन कम होगा, इकोनॉमी संतुलित होगी और वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। लेकिन यह सब हासिल करने के लिए कुछ चुनौतियों से निपटना जरूरी है। छोटे उपक्रमों के लिए जगह का खर्च बहुत अधिक होता है, टेक्नोलॉजी के मामले में वे सालों पीछे हैं और इन सबसे निपटने के लिए उन्हें बैंक से कर्ज लेने में भी समस्या आती है। विशेषज्ञ पुरानी रेगुलेटरी व्यवस्था को भी उनके विस्तार में बाधक मानते हैं।