पहली बार रिन्यूएबल एनर्जी आधारित अर्थव्यवस्था पर फोकस, लेकिन क्लाइमेट फाइनेंस की कमी अब भी बाधा
जी-20 घोषणापत्र में पहली बार रिन्यूएबल एनर्जी आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के लिए फाइनेंस की जरूरत पर फोकस किया गया है। इसमें कहा गया है कि विकासशील देशों को अपने एनडीसी लागू करने के लिए 2030 से पहले 5.9 लाख करोड़ डॉलर की जरूरत पड़ेगी। 2050 तक नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने के लिए 2030 तक हर साल क्लीन टेक्नोलॉजी पर चार लाख करोड़ डॉलर खर्च करने पड़ेंगे।
एस.के. सिंह, नई दिल्ली। शुक्रवार, 8 सितंबर 2023 को संयुक्त राष्ट्र के फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसी) ने ‘ग्लोबल स्टॉकटेक सिंथेसिस रिपोर्ट’ जारी की। इसमें कहा गया है कि कार्बन उत्सर्जन अब भी बढ़ रहा है, विकासशील देशों को आर्थिक मदद मुहैया कराने की अपनी प्रतिबद्धता से विकसित देश काफी पीछे हैं, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए मदद भी लक्ष्य से काफी दूर है। विभिन्न देश रिन्यूएबल एनर्जी और इलेक्ट्रिक वाहनों की दिशा में हाल के वर्षों में तेजी से आगे बढ़े हैं, अनेक देशों ने नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य को पाने के प्रावधान भी किए हैं लेकिन इस दिशा में हुई प्रगति बहुत कम है। ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेंटीग्रेड तक सीमित रखने की दिशा में जो कदम उठाए जाने थे, तमाम देश उससे काफी पीछे चल रहे हैं। छोटे द्वीप वाले विकासशील देशों को बड़े देशों की तुलना में इसकी अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी।