नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/एस.के.सिंह। भारत जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए पूरी तरह तैयार है। जी-20 देशों की अध्यक्षता भारत को ऐसे समय मिली जब पूरी दुनिया हमारी ओर देख रही है। कई वैश्विक समस्याओं को लेकर विभिन्न देशों को भारत से बड़ी उम्मीदें हैं। इस समूह में ऐसे देश भी हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आमने-सामने हैं। भारत ग्लोबल साउथ, यानी विकासशील देशों के मुद्दों को प्राथमिकता देकर उनका नेतृत्व भी हासिल करना चाहता है। इस मंच पर आर्थिक विकास, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा और कारोबार के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक बिखराव के इस दौर में ऐसे 'हरकुलियन टास्क' को निभाने के लिए दुनिया को जिस तरह के जिम्मेदार और भरोसेमंद ताकत की जरूरत है, वह केवल भारत मुहैया करा सकता है। सामरिक-आर्थिक मोर्चे पर बदलते शक्ति संतुलन के साथ दुनिया महंगाई से जुड़े दबाव, खाद्य और ऊर्जा संकट, मंदी और ग्लोबल वार्मिंग के दुष्परिणाम झेल रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह कहना महत्वपूर्ण है कि ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ यानी ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ जी-20 प्रेसीडेंसी के प्रति हमारे दृष्टिकोण को उपयुक्त रूप से दर्शाता है।

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