समयबद्ध सुनवाई, गैर-जरूरी दफाएं हटाने पर जोर, लेकिन नई-पुरानी दोनों धाराओं में केस चलने से बढ़ेंगी उलझनें
देश के तीन आपराधिक कानूनों आईपीसी सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट में केंद्र सरकार बदलाव करने जा रही है। भारतीय न्याय संहिता भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक इन तीनों कानूनों की जगह लेंगे। इन नए कानूनों को लोकसभा में पेश कर दिया गया है। प्रस्तावित कानूनों में बहुत सी धाराएं हटा दी गई हैं बहुत सी बदल दी गई हैं और बहुत सी नई धाराएं जोड़ी गई हैं।
प्राइम टीम, नई दिल्ली। देश में आजादी से पहले से चल रहे तीन आपराधिक कानूनों आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट में बदलावों का खाका सरकार ने पेश कर दिया है। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक क्रमश: इन तीनों कानूनों की जगह लेंगे। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बीते सप्ताह लोकसभा में इन कानूनों को पेश किया, जिसके बाद इन्हें संसदीय समिति के पास विचार-विमर्श के लिए भेज दिया गया है। शाह ने इन नए कानूनों को पेश करते हुए दावा किया कि प्रस्तावित कानूनों का उद्देश्य लोगों को सजा देना नहीं, बल्कि आम और खास भारतीयों को न्याय देना है। उन्होंने कहा कि अभी न्याय मिलने में इतना विलंब हो जाता है कि लोगों का न्याय पर से भरोसा उठ रहा है। शाह ने दावा किया कि प्रस्तावित विधेयकों के कानून बनते ही सेशन कोर्ट में मुकदमे 40% तक कम हो जाएंगे। जागरण प्राइम ने सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट और कानूनी मामलों के जानकार विराग गुप्ता और अश्विनी दुबे से प्रस्तावित कानूनों की बारीकियां, अच्छाईयां और कमियां समझीं।