नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/विवेक तिवारी। राजपूत रेजिमेंट का ध्येय वाक्य है 'सर्वत्र विजय'। इसका अर्थ है हर जगह विजय। अलग-अलग सेनाओं और रेजीमेंट के ध्येय वाक्य ये दर्शाते हैं कि भारतीय सैनिक अजेय है। भारतीय सैनिकों ने हर मौके पर अपने पराक्रम का परिचय दिया है। यही नहीं, भारत को अक्षुण्ण और अखंड बनाए रखने के लिए अपने प्राणों को भी न्योछावर किया है। एक ऐसी सेना जिसके पास आतंकिस्तान बन चुके पाकिस्तान के साथ चीन से भी लगभग हर दिन टकराने का 7 दशकों का अनुभव है। आजादी के तुरंत बाद 1947 में ही जंग शुरू हो गई थी। सेना ने इस पहले कश्मीर युद्ध को जीता और रियासतों का विलय कराने में भूमिका अदा की। फिर सेना ने 1962, 1965 और 1971 की जंग में महा शौर्य का परिचय दिया। 1990 के दशक में कारगिल की चोटियों पर फतह हासिल की तो 2000 में अफ्रीका की जमीन पर ऑपरेशन खुखरी को अंजाम दिया। 2016 में ऐसी सर्जिकल स्ट्राइक की कि दुश्मन पाकिस्तान अभी तक सदमे में है। भारत में आंतरिक सुरक्षा का माहौल अत्यधिक जटिल और चुनौतीपूर्ण है। इस पर बाहरी और घरेलू वातावरण का प्रभाव पड़ता है। ऐतिहासिक कारक भी आंतरिक सुरक्षा को प्रभावित करते हैं। फिर भी यह भारत और भारतीयों का श्रेय है कि किसी भी सुरक्षा चुनौती ने देश को प्रभावित नहीं किया है। इन चुनौतियों के बावजूद, भारत मजबूत हुआ है। वहीं बाह्य मोर्चों पर भारत की शक्ति का एहसास दुनिया को हो गया है। बीते कुछ दशकों में भारत में नया डिफेंस इकोसिस्टम विकसित किया जा रहा है। वैश्विक मंचों पर भारत की छवि डिफेंस के मामले में सशक्त होती जा रही है। सरकार मेक इन इंडिया पर जो दे रही है। आज देश में ही हथियार से लेकर लड़ाकू विमान तक बनाए जा रहे हैं। बीते एक दशक में भारत का निर्यात 25 गुना यानी करीब 2400 फीसद बढ़ चुका है। यही नहीं लोवी इंस्टीट्यूट पावर इंडेक्स की रिपोर्ट इस बात की तस्दीक करती है कि डिफेंस सेक्टर में भारत दुनिया के सिरमौर देशों की कतार में गर्व और इज्जत के साथ खड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार सैन्य क्षमता के पांच पैमानों और प्रतिरोध क्षमता के पांच पैमानों में भारत चौथे स्थान पर है।

प्राइम के लेख सीमित समय के लिए ही फ्री हैं। इस लेख को पढ़ने के लिए लॉगइन करें।

रुकावट मुक्त अनुभव
बुकमार्क
लाइक