नई दिल्ली, विवेक तिवारी। बीते कुछ दशकों में भारत में नया डिफेंस इकोसिस्टम विकसित किया है। वैश्विक मंचों पर भारत की छवि डिफेंस के मामले में सशक्त होती जा रही है। सरकार मेक इन इंडिया पर जो दे रही है। आज देश में ही हथियार से लेकर लड़ाकू विमान तक बनाए जा रहे हैं। ग्लोबल पावर इंडेक्स के मुताबिक भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे शक्तिशाली सेना है। भारतीय सेना की क्षमताओं और चुनौतियों पर जागरण न्यू मीडिया ने देश के पूर्व लैफ्टिनेंट जनरल मोहन भंडारी से विस्तार से चर्चा की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

आप आजादी के पहले की भारतीय सेना और अब में क्या अंतर देखते हैं?

भरतीय सेना का इतिहास बेहद स्वर्णिम रहा है। ये सच है ही भारतीय सेना का जो स्वरूप है उसे अंग्रेजों ने बनाया। सेना में रेजिमेंट बनाने का काम अंग्रेजों ने ही किया लेकिन आपको ये जानना चाहिए कि भारतीय सैनिक कभी भी पैसे के लिए नहीं लड़े। पहले और दूसरे दोनों विश्व युद्ध में भारतीय सैनिक ब्रिटिश सेना की ओर से लड़े। फ्रांस, इटली, अफ्रीका सहित अन्य देशों में भारतीय सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय दिया। पहले की तुलना में आज भारतीय सेनाएं कहीं अधिक सक्षम हैं। आज भारतीय सेना सियाचिन जैसे -40 डिग्री तापमान वाले इलाकों से लेकर राजस्थान के 50 डिग्री तापमान वाले इलाकों में पूरी मुश्तैदी से भारत की सीमाओं की रक्षा कर रही है। आज भारतीय सेना में भी बहुत सी बातों का भारतीयकरण हो रहा है। हमारे युद्धपोत के नाम हो या रेजमेंट के नाम या नेवी का झंडा सभी जगहों पर आत्मनिर्भर होते भारत की झलक मिलने लगी है।

आजादी के बाद भारतीय सेना ने कई युद्ध लड़े,आज हम किन मामलों में बेहतर हैं?

पहले की तुलना में काफी कुछ बदल चुका है। आज भारत सामारिक तौर पर पहले की तुलना में कहीं अधिक मजबूत है। वहीं आपको ध्यान देना होगा कि हमारी कूटनीति भी बेहद सशक्त है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि 1965 की लडाई हो 1971 की लड़ाई हो अमेरिका ने पाकिस्तान को हथियारों के साथ ही हर तरह से मदद की। इसके बावजूद भारतीय सेना के शौर्य के आगे वो टिक नहीं सके। आज अमेरिका चीन को ध्यान में रखते हुए भारत की ओर आ खड़ा हुआ है। वहीं भारतीय सेना आज खुद में इतनी सक्षम है कि हम एक साथ दो मोर्चों पर युद्ध लड़ सकते हैं।

आज भारत का सबसे बड़ा दुश्मन कौन है?

भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार युद्ध हुआ है लेकिन आज के समय में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इतनी खराब हालत में है कि वो भारत से जंग लड़ने के पहले सौ बार सोचेगा। आज हमारा सबसे बड़ा दुश्मन चीन है। चीन की अर्थव्यवस्था भी हमसे बेहतर है। ऐसे में वो हमारे लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। लेकिन गलवान और डोकलाम में भारतीय सेना ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर चीन कोई दुस्साहस करने के बारे में सोचेगा तो उसे मुंहतोड़ जवाब मिलेगा। आज पूरी दुनिया चीन के विरोध में और भारत के समर्थन में खड़ी है। आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा है कि हम जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। ऐसे में पूरी दुनिया में भारत को लेकर नजरिया बदला है। आज भारत का सम्मान बढ़ा है।

सीमाओं से ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के कई मामले सामने आए हैं इन्हें आप कैसे देखते हैं ?

आज भारत सबसे ज्यादा युवा देश हैं। किसी भी देश के युवा उस देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में दुश्मन देख भारत की युवा शक्ति को निशाना बनाना चाहते हैं। पूर्वोत्तर भारत और पंजाब में बड़ी संख्या में युवा नशे की चपेट में हैं। नशे की चपेट में आए युवा को हथियार देकर कुछ भी करवाया जा सकता है। पूर्वोत्तर में तो हालत ये है कि वहां कई बार सेना के लिए वहां एनसीसी कैडेट की भर्ती मुश्किल हो जाती है। इस समस्या से निपटने के लिए समाज को भी सुरक्षा बलों के साथ मिल कर काम करना होगा। युवाओं को नशे की लत से बचाने के लिए हर संभव प्रयास करने होंगे।

भारतीय सेना साइबर वॉरफेयर में कितनी सझम है ?

भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स का लोहा पूरी दुनिया मानती है। एआई के क्षेत्र में भी भारत के इंजीनियर्स बेहतरीन काम कर रहे हैं। ऐसे में भारतीय सेना जमीन पर जंग हो या साइबर वॉरफेयर हर तरह से दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। हम अपनी क्षमताओं के बारे में बहुत अधिक प्रचार प्रसार नहीं करते हैं। लेकिन समय आने पर आपको पता चलेगा कि भारतीय सेना की तैयारी दुश्मन की सोच से भी आगे की है।

भारत हथियारों के उत्पादन में कब तक आत्म निर्भर हो जाएगा?

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सरकार ने डिफेंस सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई सारे प्रयास शुरू कर दिए हैं। बंदूकें हों या अन्य बड़े हथियार इनकी फैक्ट्री लगाने के लिए पूरी असैम्बली लाइन तेयार करनी पड़ती है ऐसे में इसमें कुछ समय लगता है। लेकिन ये सच है कि देश मे जैसा माहौल अभी है ऐसा बना रहा तो अगले दस सालों में भारत रक्षा संसाधनों में आत्मनिर्भर होने के साथ ही निर्यातक भी बन जाएगा।

रक्षा उत्पादों के निर्यात को लेकर हम कितना तैयार है ?

भारत हमेशा से रक्षा साजो सामान का बड़ा आयातक रहा है। पिछले कुछ सालों में सरकार ने निर्यात के बारे में सोचना शुरू किया है। आरे इससे बेहद सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। आज एचएएल की ओर से बनाए गए तेजस एयरक्राफ्ट में दुनिया के कई देशों ने रुचि दिखाई है। हमारी ब्रह्मोस मिसाइलों को कई देश खरीदना चाहते हैं। हमारे देश में हाल में शुरू हुए डिफेंस स्टार्टअप भी कई तरह के नए और आधुनिक रक्षा उत्पाद बना रहे हैं। ऐसे मे अगले कुछ सालों में भारत दुनिया का एक बड़ा रक्षा उत्पाद निर्यातक बन सकता है।

भारत के सामने सुरक्षा को लेकर सबसे बड़ी चुनौती क्या है ?

आज भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से विकास की ओर बढ़ रही है। इसको देख कर हमारे दुश्मन बिलकुल भी खुश नहीं हैं। ऐसे में उनकी कोशिश है कि भारत में किस भी तरह आंतरिक या सीमाओं पर अशांति का माहौल रहे। इसके लिए कई तरह की साजिशें रची जा रही हैं। इन साजिशों को विफल करना ही देश के सुरक्षा बलों के सामनें सबसे बड़ी चुनौती है। अगर भारत में आंतरिक और सीमाओं पर शांति बनी रहती है तो अगला दशक भारतीय अर्थव्यवस्था का होगा। वो दिन दूर नहीं जब हम चीन की अर्थव्यवस्था को टक्कर देते दिखाई देंगे।

भारत और चीन की सेनाओं में कौन सी सेना ज्यादा सशक्त है?

चीन की अर्थव्यवस्था भारत से बड़ी है। उनके पास ज्यादा हथियार और संसाधन हो सकते हैं लेकिन इतिहास गवाह है कि कोई भी जंग सिर्फ हथियारों के बल पर नहीं जीती जा सकती। इसके लिए सेना का जज्बा और अपने देश के प्रति उनकी निष्ठा सबसे महत्वपूर्ण हथियार होता है। चीन की तुलना में भारत की सेना ज्यादा अनुभवी है और इसके सैनिकों के जज्बे के बारे चीन के सैनिक कहीं नहीं टिकते हैं। हाल में हुई झड़पों के बारे चीन को भी इस बात का एहसास है। चीन भी भारत से कभी सीधा युद्ध नहीं चाहेगा लेकिन अगर कभी युद्ध हुआ तो चीन को सबक सिखाने के लिए भारतीय सेनाओं के पास पर्याप्त संसाधन और अनुभव है।

सीमाओं की रक्षा के लिहाज से आज सबसे ज्यादा किस बात की जरूरत है?

आज भारत की सीमाओं के आसापास इंफ्रास्ट्रक्चर के डेवलपमेंट पर भी काफी जोर देने की जरूरत है। सरकार इस दिशा में काफी काम कर भी रही है। इस काम को जारी रखना होगा। विशेष तौर पर चीन से लगी सीमाओं के आसपास इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर जोर देना होगा। सीमाओं के आसपास बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर होने से हमारी सेनाओं की स्थिति मजबूत होती है। आपात स्थिति में उन्हें तुरंत मदद और जरूरत का सामान पहुंचाया जा सकता है। वहीं लम्बे समय तक गतिरोध बने रहने पर भी सैनिकों को बहुत अधिक मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ता है।