इनकम टैक्स: आस बहुत पर ओल्ड रिजीम में राहत के आसार कम, स्टैंडर्ड डिडक्शन छूट एक लाख रु तक हो सकती है
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना सातवां बजट इस 23 जुलाई को पेश करने जा रही हैं। यह गठबंधन के सहयोगी दलों पर आश्रित मोदी सरकार का पहला बजट भी है। बीते कुछ बजट में लगातार हाशिए पर रहने वाले मध्यवर्ग को इस बजट से काफी उम्मीदें हैं। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ओल्ड टैक्स रिजीम में सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाने के अलावा शायद ही कोई छूट दे।
स्कन्द विवेक धर/एस.के. सिंह, नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना सातवां और मोदी सरकार का 11वां पूर्ण बजट इस 23 जुलाई को पेश करने जा रही हैं। यह गठबंधन के सहयोगी दलों पर आश्रित मोदी 3.0 सरकार का पहला बजट भी है। बीते कुछ बजट में लगातार हाशिए पर रहने वाले मध्यवर्ग को इस बजट से काफी उम्मीदें हैं और इसमें सबसे बड़ी उम्मीद इनकम टैक्स में राहत मिलने की है।
मिडिल क्लास इनकम टैक्स की ओल्ड रिजीम में तीन मोर्चों पर राहत की उम्मीद कर रहा है। पहला, धारा-80 सी में कटौती को डेढ़ लाख से बढ़ाकर कम से कम 2.5 लाख करना, स्टैंडर्ड डिडक्शन में छूट को 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख करना और न्यूनतम टैक्स स्लैब को 2.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख करना।
पॉलिसी एग्रीगेटर पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के हेड (टर्म इंश्योरेंस) ऋषभ गर्ग कहते हैं, इंश्योरेंस इंडस्ट्री धारा 80-सी के तहत लंबे समय से चली आ रही 1.50 लाख रुपये की डिडक्शन लिमिट में बदलाव का आग्रह कर रही है। पीपीएफ और लोन जैसे अन्य खर्चों के लिए इस लिमिट का उपयोग करने के बाद आवश्यक वित्तीय निवेशों के लिए यह लिमिट खत्म हो जाती है।
गर्ग कहते हैं, इससे निपटने के लिए विशेष रूप से टर्म इंश्योरेंस के लिए अलग से टैक्स छूट होनी चाहिए। यह टैक्सपेयर्स को व्यापक टर्म प्लान चुनने के लिए प्रेरित करेगा, जिससे परिवारों के लिए वित्तीय सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
एडेलवाइस लाइफ इंश्योरेंस के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर शुभ्रजीत मुखोपाध्याय भी जीवन बीमा प्रीमियम पर अलग से टैक्स छूट की मांग करते हैं। मुखोपाध्याय के मुताबिक, भारत के विकास के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर में काफी निवेश करने की जरूरत है। जीवन बीमा कंपनियों के पास लांग टर्म एसेट होते हैं, इसलिए वे इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में मददगार हो सकते हैं। जीवन बीमा उत्पादों में निवेश पर इन्सेंटिव बढ़ाने से फंड की उपलब्धता बढ़ सकती है।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि ओल्ड टैक्स रिजीम में सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाने के अलावा शायद ही कोई छूट दे। दरअसल, सरकार साल 2020 से शुरू किए गए न्यू टैक्स रिजीम को बढ़ावा देना चाहती है। ऐसे में इस बात की संभावना बेहद कम है कि ओल्ड टैक्स रिजीम को आकर्षक बनाने वाले उपाय किए जाएं।
मिडिल क्लास को राहत देने के लिए सरकार को न्यू टैक्स रिजीम को अधिक आकर्षक बनाना भी जरूरी है। ग्रांट थॉर्नटन इंडिया के पार्टनर अखिल चांदना और ग्रांट थॉर्नटन इंडिया एलएलपी के निदेशक अंकुर अग्रवाल कहते हैं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को न्यू टैक्स रिजीम को करदाताओं के लिए अधिक आकर्षक बनाना चाहिए, साथ ही इसमें लाभों को बनाए रखना सुनिश्चित करना चाहिए। न्यू टैक्स रिजीम में एचआरए की छूट, होम लोन ब्याज में कटौती और वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए ईपीएफ योगदान जैसे बेनिफिट्स को शामिल करना चाहिए।
नांगिया एंडरसन इंडिया के कार्यकारी निदेशक योगेश काले भी कहते हैं, न्यू टैक्स रिजीम के प्रति सरकार के झुकाव और इस व्यवस्था में टैक्स छूट के लिए सीमित विकल्प होने को देखते हुए धारा 80सीसीडी(1बी) एक अच्छा विकल्प हो सकती है, जिसे न्यू टैक्स रिजीम में जोड़ा जा सकता है। इस धारा के तहत न्यू पेंशन स्कीम (NPS) में निवेश करने पर 50 हजार रुपए की अतिरिक्त कटौती मिलती है।
पेंशन प्रोडक्ट में टैक्सेशन में सुधार की जरूरत
एडेलवाइस लाइफ इंश्योरेंस के शुभ्रजीत मुखोपाध्याय कहते हैं, भारत में बुजुर्गों की बढ़ती आबादी को देखते हुए पेंशन और एन्युटी का महत्व बढ़ जाता है। एन्युटी आजीवन पेंशन का अच्छा जरिया हैं, जिसमें लोगों को एक निश्चित रकम मिलने की गारंटी रहती है। एकमुश्त रकम के बदले एन्युटी खरीदी जा सकती है। इस समय एन्युटी पर ग्राहकों को टैक्स देना पड़ता है। इस वजह से यह लोगों के लिए उतना आकर्षक नहीं रह जाता। दूसरी ओर, आयकर की धारा 80सीसीडी (1बी) के तहत एनपीएस में पैसे जमा करने पर टैक्स में छूट मिलती है। इस तरह का इन्सेंटिव एन्युटी पर भी दिया जाना चाहिए।
एन्युटी पर टैक्स छूट देने की मांग करते हुए पॉलिसीबाजार लाइफ इंश्योरेंस बिजनेस के प्रमुख विवेक जैन कहते हैं, भारत की बूढ़ी हो रही आबादी की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एन्युटी प्लान्स पर लगने वाले टैक्स पर दुबारा विचार करने की आवश्यकता है। चूंकि अनेक भारतीय अगले कुछ दशकों में रिटायरमेंट के करीब पहुंच रहे हैं, इसलिए यह जरूरी है कि रिटायरमेंट के बाद उनकी आय आरामदायक जीवन जीने में उनका समर्थन करे।
जैन के मुताबिक, फिलहाल, एन्युटी इनकम पूरी तरह से टैक्सेबल है, जिसमें मूलधन और ब्याज दोनों शामिल हैं। यह लोगों को इन प्रोडक्ट्स में निवेश करने से हतोत्साहित करता है। एन्युटी इनकम पर टैक्स में छूट देकर, सरकार लोगों को अपनी रिटायरमेंट की योजना बनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है।
शेयर बाजार की उम्मीद, लॉन्ग टर्म कैपिटेल गेन टैक्स में ना हो कोई बदलाव
मिराए एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) के मुख्य निवेश अधिकारी (फिक्स्ड इनकम) महेंद्र कुमार जाजू कहते हैं, पुरानी सरकार की वापसी इस बात का संकेत है कि नीतिगत मामलों में ज्यादा बदलाव नहीं आएगा। वहीं, आरबीआई की ओर से बंपर डिविडेंड भुगतान के बाद बाजार उधारी में कुछ कमी आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि बाजार को यह भी उम्मीद है कि इक्विटी पर मौजूदा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव नहीं किया जाए।
बता दें, शेयर बाजार में एक साल से अधिक निवेशित रहने पर होने वाले लाभ को लॉन्ग टर्म माना जाता है और इस पर 15% टैक्स लगता है। जबकि एक साल से कम समय निवेशित रहने पर मिलने वाले लाभ को शाॅर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाता है और इस पर निवेशक के आयकर स्लैब के मुताबिक टैक्स लगता है।
बजट से ये भी उम्मीदें, पर इनका पूरा होना मुश्किल
1. 80C कटौती की सीमा बढ़ना: जीवन बीमा प्रीमियम, PPF, FD, ELSS आदि में किए गए किसी भी निवेश के लिए धारा 80C के लिए कटौती सीमा फिलहाल 1.5 लाख रुपए है। 2014 से इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। करदाताओं की उम्मीद है कि धारा 80C की सीमा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दी जाएगी।
2. होम लोन ब्याज पर कटौती में वृद्धि: गृह स्वामित्व को बढ़ावा देने के लिए यह उम्मीद की जाती है कि गृह ऋण के ब्याज पर कटौती के लिए धारा 24 (बी) के तहत सीमा को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया जाएगा।
3. सामाजिक सुरक्षा कोष: केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने असंगठित और कृषि श्रमिकों के लिए 9,000 रुपये की न्यूनतम पेंशन प्रदान करने वाली सामाजिक सुरक्षा योजना के लिए एक कोष स्थापित करने का सुझाव दिया है।