एस.के. सिंह, नई दिल्ली। मेडिकल डिवाइस अर्थात चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में आयात पर हमारी निर्भरता कम नहीं हो पा रही है। हम अब भी 80-85% जरूरत आयात से ही पूरी करते हैं। खास बात यह है कि इसमें भी चीन पर निर्भरता काफी ज्यादा है। बीते पांच वर्षों में मेडिकल डिवाइस का कुल आयात तो दोगुना हुआ, लेकिन चीन से आयात तीन गुना बढ़ा है। 2021-22 में टॉप 50 डिवाइस का 52,895 करोड़ रुपये का आयात हुआ, इसमें 12,929 करोड़ रुपये अर्थात एक चौथाई चीन से आया। कुछ प्रोडक्ट के आयात में तो चीन की हिस्सेदारी 80% से भी ज्यादा हो गई है। भारतीय मैन्युफैक्चरर्स का कहना है कि चाइनीज प्रोडक्ट काफी सस्ते होने के कारण उनसे मुकाबला करना मुश्किल है। उनकी शिकायत है कि क्वालिटी पर ध्यान दिए बगैर उनसे चाइनीज प्रोडक्ट के बराबर दाम रखने को कहा जाता है। स्थिति यह है कि अनेक भारतीय मैन्युफैक्चरर्स ने प्रोडक्ट बनाना बंद कर दिया या कम कर दिया है। वे चीन से आयात कर सामान बेच रहे हैं। उनका कहना है कि जिस तरह आयात शुल्क बढ़ाने और इन्सेंटिव देने पर देश में मोबाइल फोन की मैन्युफैक्चरिंग बढ़ी और हम फोन का निर्यात करने लगे, वैसा मेडिकल डिवाइस में भी संभव है।

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