नई दिल्ली, जागरण प्राइम। अठारहवीं लोकसभा के चार चरण के लिए मतदान हो चुके हैं। जागरण न्यू मीडिया मतदाताओं को जागरूक करने के लिए ‘मेरा पावर वोट- नॉलेज सीरीज’ लेकर आया है। इसमें हमारे जीवन से जुड़े पांच बुनियादी विषयों इकोनॉमी, सेहत, शिक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा पर चर्चा की जा रही है। हमने हर सेगमेंट को चार हिस्से में बांटा है- महिला, युवा, शहरी मध्य वर्ग और किसान। इसका मकसद आपको एंपावर करना है ताकि आप मतदान करने में सही फैसला ले सकें। हम इस अंक में चर्चा देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा और इससे जुड़ी चुनौतियों की करेंगे। सुरक्षा के क्षेत्र में आजादी से अब तक की उपलब्धियों और आज की चुनौतियों पर हमने रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस.सोढ़ी और रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अमरदीप त्यागी से बात की।

एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट ग्रामीण 2023 सर्वे के मुताबिक ग्रामीण युवा सबसे अधिक सेना की नौकरी में जाना पसंद करते हैं। इसका बड़ा कारण आर्थिक भी है। क्या आपको लगता है अग्निवीर योजना से ग्रामीण युवाओं का इस नौकरी के प्रति रुझान कम होगा ? वहीं भारत और चीन की सीमा पर बसे आखिरी गांवों को भारतीय सेना द्वारा आदर्श गांव के रूप में विकसित और प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह किस तरह की रणनीति का हिस्सा है। क्या यह चीन की रणनीति का काउंटर है?

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस.सोढ़ी कहते हैं कि आज भी भारतीय सेना में ज्यादातर जवान गांव से आते हैं। एक युवा की नजर से देखें और अग्निवीर योजना की बात करें तो निश्चित तौर पर इस योजना से काफी युवाओं को नौकरी मिलेगी। चार साल बाद सेवा खत्म होने पर 12 लाख रुपये मिलेंगे। लेकिन सबसे बड़ी मुश्किल तब होगी जब 75 फीसदी अग्निवीर चार साल वापस अपने गांव वापस जाएंगे। उनमें कम उम्र में रिजेक्ट होने का भाव होगा। क्योंकि वो 25 फीसदी वाले युवाओं में शामिल नहीं हो पाए। जबकि ये युवा किसी तरह से रिजेक्ट नहीं होंगे सिर्फ सेना के स्ट्रक्चर के चलते उन्हें अपने गांव वापस जाना पड़ेगा। पहले 15 साल सेना की सेवा करके वापस लौटने वाले फौजी का गांव में बेहद सम्मान होता था। राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से बात करें तो अग्निवीर योजना में काफी सुधार किए जाने की जरूरत है। ऐसी योजना चाहे इजरायल में रही हो या रूस में रही हो, दोनों जगह सफल नहीं हुई है।

इजरायली सेना ने 2015 में ऐसी स्कीम लाई जहां उन्होंने पुरुष सैनिक की सेवा अवधि 34 महीने और महिला सैनिक की सेवा अवधि 24 महीने रखी। आज इजरायल को 6 महीने से ज्यादा हो रहा है और उन्हें गाजा पट्टी में अब तक सफलता नहीं मिली है। रूस की बात करें तो 2008 में वहां रक्षा सुधार हुए थे। वहां सेना में 25 फीसदी सैनिक हैं जिनकी सेवा एक साल की है और वहीं 45 फीसदी सैनिक हैं जिनकी सेवा 6 साल की है। किसी सैनिक को पूरी तरह से तैयार करने में 8 से 10 साल का समय लगता है। अग्निवीर योजना के तहत हम चार साल में 75 फीसदी को वापस भेज रहे हैं ये ठीक नहीं है। संभावना जताई जा रही है कि 2035 में भारत दो सीमाओं पर एक साथ युद्ध लड़ सकता है। चीन और पाकिस्तान आने वाले समय में भारत से एक साथ युद्ध शुरू कर सकते हैं। आज चीन भारत से डिफेंस की तैयारियों में 30 साल आगे है। पिछले साल 9 अगस्त 2023 में एक पूर्व सेना अध्यक्ष ने लेख लिखा जिसमें उन्होंने कहा कि भारत के लिए टू फ्रंट वॉर बेहद मुश्किल पैदा कर सकता है। इस लेख के बहुत मायने हैं। आज कई छोटे ऑपरेशन में ये अग्निवीर सफल हो जाएंगे। लेकिन कन्वेंशनल वॉर के लिए हमें अग्निवीर योजना में सुधार करना होगा।

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अमरदीप त्यागी कहते हैं कि अग्निवीर जैसी योजना ऐसे देशों में सफल है जहां नागरिकों की संख्या बेहद कम है । लेकिन भारत में न तो लोगों की कमी है और न ही जज्बे की। वहीं दूसरी तरफ आर्मी कोई ऐसी जगह नहीं है जहां रोज नए प्रयोग किए जाएं। अग्निवीर योजना के आने के बाद सेना में जाने की इच्छा रखने वाले युवाओं के उत्साह में कमी आई है। युवाओं में अग्निवीर योजना के लिए उत्साह बढ़ाना होगा। नहीं तो ऐसा समय आ जाएगा कि सेना में भर्ती करने के लिए युवा मिलेंगे ही नहीं। सरकार की योजना है कि देश में ज्यादा से ज्यादा नागरिक ट्रेंड हों इसके लिए एनसीसी की मदद ली जा सकती है।

सीमा से लगे गांवों के विकास में तेजी आने पर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस.सोढ़ी कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं है कि वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम काफी अच्छा प्रोग्राम है। इस योजना के तहत 642 गांवों का विकास किया जा रहा है। इससे हमारी सैन्य शक्ति बढ़ेगी। हमें एक बात और याद रखनी होगी, 2014 में चीन ने मिलिट्री डॉक्टरीन का ऐलान करते हुए कहा था कि हम पूरी दुनिया में कहीं भी किसी भी देश के साथ 6 डोमेन में युद्ध लड़ने में सक्षम हैं। ये डोमेन हैं जमीन, आसमान, समुद्र, साइबर, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम और स्पेस। अब तक अमेरिका ने भी इस तरह का दावा नहीं किया है। अमेरिका के पेंटागन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि चीन की सेना अमेरिका की सेना से ज्यादा मजबूत हो चुकी है।

आज चीन सिर्फ भारत के लिए नहीं पूरी दुनिया के लिए एक खतरा है। ऐसे में सीमा के गांवों को विकसित करना भारत की सैन्य क्षमता को बढ़ाएगा। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के साथ ही हमें कुछ और कदम उठाने होंगे ताकि हम 2035 में टू फ्रंट वॉर के समय हम अपने दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दे सकें। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अमरदीप त्यागी कहते हैं कि सीमा पर मौजूद गांव भारतीय सेना के लिए एक तरह से नाक और कान के तौर पर काम करते हैं। इन गांवों को हमें सैन्य जरूरतों के हिसाब से विकसित करना होगा। संभव हो तो कुछ सेना के रिटायर लोगों को वहां बसा दिया जाए। चीन जिस तरह साइबर वारफेयर और जिस तरह से आधुनिक युद्ध की तैयारियां कर रहा है वह एक चिंता का विषय है।