कम खर्च, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और फंडिंग में आसानी से सिर्फ 7.8 साल में यूनिकॉर्न बन रहे देसी स्टॉर्टअप
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में स्टॉर्टअप के यूनिकॉर्न बनने की उम्र दो साल एक माह कम हो गई है। पहले एक स्टॉर्टअप को यूनिकॉर्न बनने में जहां 9.9 साल लगते थे लेकिन अब वे 7.8 साल में यूनिकॉर्न बनने लगे हैं।
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। भारत के स्टार्टअप पूरी दुनिया में मिसाल बन चुके हैं। इनकी सफलता की दर दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले बेहतर है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले दिनों संसद में बताया था कि देश में स्टार्टअप की संख्या में बीते सालों में 186 गुना का इजाफा देखने को मिला है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में स्टॉर्टअप के यूनिकॉर्न बनने की उम्र दो साल एक माह कम हो गई है। पहले एक स्टॉर्टअप को यूनिकॉर्न बनने में जहां 9.9 साल लगते थे, लेकिन अब वे 7.8 साल में यूनिकॉर्न बनने लगे हैं।
फैट टाइगर के को-फाउंडर और निदेशक साहिल आर्या कहते हैं, नैसकॉम की रिसर्च में सामने आया कि भारत में स्टॉर्टअप की फंडिंग में 108 फीसद का इजाफा हुआ है। जिस देश में गरीब और अमीर की खाई इतनी अधिक है वहां पर इतनी बड़ी बढ़ोतरी की ओर सबका ध्यान आकर्षित होना लाजिमी है। एयर्थ रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ रवि कौशिक कहते हैं, भारत में स्टॉर्टअप को बेहतर माहौल मिला है। हर आईआईटी में इनक्यूबेशन सेंटर बने हैं जहां उद्यमिता के क्षेत्र में जाने की चाह रखने वाले युवाओं को काफी मदद मिल जाती है। यहां टेक्निकल और बिजनेस मेंटरशिप भी मिलती है। पहले बहुत बड़ा गैप था, लेकिन अब ये आसान हो गया है। सरकार के कई विभागों की ओर से भी स्टार्टअप को फंड और कई तरह के सहयोग दिए जा रहे हैं। यहां उन्हें ग्रांट या लोन मिल जाता है जिससे बिजनेस शुरू करने में आसानी होती है। सरकार स्टॉर्टअप को रेपो रेट पर ही लोन दे रही है। एंजेल इन्वेस्टर देवांश लखानी कहते हैं कि भारत में स्टॉर्टअप की सफलता की बड़ी वजह यहां कम कीमत में बड़ा बनने का मौका है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की सुविधा के साथ ही पूंजी की उपलब्धता है।
देश में मान्यता प्राप्त स्टॉर्टअप 2016 में 452 थे। ये 30 नवंबर, 2022 तक बढ़कर 84,012 हो चुके हैं। पिछले 6 सालों में स्टार्टअप की संख्या में लगभग 185 गुना इजाफा दर्ज किया गया है। यूनिकॉर्न स्टॉर्टअप में तो भारत ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। भारत सरकार ने देश को 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। इसे प्राप्त करने में स्टार्टअप महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
स्किल्ड मैनपॉवर और निवेश का माहौल
स्पेसमंत्रा की फाउंडर निधि अग्रवाल कहती हैं कि भारत में प्रशिक्षित और पढ़े-लिखे प्रोफेशनल का बड़ा समूह है, जो कि स्टॉर्टअप की ग्रोथ के लिए आवश्यक है। वहीं भारत सरकार ने स्टॉर्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए कई स्कीम शुरू की हैं। निधि कहती हैं कि निवेश के शानदार माहौल की वजह से देसी-विदेशी निवेशक यहां पैसा लगा रहे हैं।
रचनात्मक आइडिया से भारत में बढ़ा स्कोप
कैरस 3 एडवायजर्स और थिंक टैंक के मैनेजमेंट कंसल्टेंट साहिल शर्मा कहते हैं कि भारत में युवा आंत्रप्रेन्योर, रचनात्मक आइडिया और टेक्नोलॉजी सेवाओं की स्वीकार्यता ने स्टॉर्टअप का केंद्र बनने में अहम योगदान दिया है। वुडन स्ट्रीट के सीईओ लोकेंद्र सिंह राणावत के अनुसार भारत में स्टॉर्टअप की सफलता का बड़ा कारण यह होता है कि वे मार्केट की रिसर्च बेहतर तरीके से करते हैं।
यूनिकॉर्न बढ़ने का कारण
फैट टाइगर के को-फाउंडर और निदेशक साहिल आर्या कहते हैं कि यूनिकॉर्न की तादाद में इजाफा होना बेहतर संकेत है। स्टॉर्टअप देश के 5 ट्रिलियन डॉलर की आकांक्षा की पूर्ति में बड़े सहायक साबित हो सकते हैं। साहिल शर्मा कहते हैं कि हर संस्थान की सफलता की अपनी प्रक्रिया होती है। हमारे यहां यूनिकॉर्न बनने की होड़ सी लग गई है। इस आपाधापी में हम वैल्यू क्रिएशन की बात पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं। लोकेंद्र सिंह राणावत बताते हैं कि भारत में यूनिकॉर्न स्टॉर्टअप बढ़ने की वजह ई-कॉमर्स, डिजिटल पेमेंट और टेक आधारित इंडस्ट्री का बढ़ना है। निधि अग्रवाल कहती हैं कि भारत में यूनिकॉर्न बढ़ने की वजह सरकार की नीतियां, उद्यमी कल्चर का बढ़ना और निवेश का बेहतर माहौल है।
एंजेल इन्वेस्टर देवांश लखानी कहते हैं कि यूनिकॉर्न विकसित करना आसान नहीं है। बहुत कुछ मैक्रो आर्थिक स्थितियों, फंडिंग आदि पर निर्भर करता है जो हमेशा आपके पक्ष में नहीं होती हैं। आज एक व्यवसाय शुरू करना पहले से आसान है, लेकिन उनमें से अनेक तेजी से बंद भी हो जाते हैं क्योंकि कोई भी जीवन भर टिकना नहीं चाहता, केवल यूनिकॉर्न का दर्जा पाने के लिए धन जुटाना चाहता है।
महिलाओं के बढ़े दखल ने स्टॉर्टअप को बनाया सफल
फैट टाइगर के को-फाउंडर और निदेशक साहिल आर्या कहते हैं कि महिलाओं के बढ़ते दखल ने स्टॉर्टअप को अधिक सफल बनाया है। महिला उद्यमियों की तादाद दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
असफलता की वजह
ग्राहक की जरूरत को न समझना
आईआईएम उदयपुर इनक्यूबेशन सेंटर के सीईओ डा. सुरेश ढाका कहते हैं कि एक स्टार्टअप की यात्रा उतनी आसान नहीं है जितनी लगती है। ग्राहक की जरूरतों को न समझ पाना, नए इनोवेशन में कमी, सही लोगों को नियुक्त न करना और लीडरशिप गैप स्टॉर्टअप की विफलता के प्रमुख कारण हैं। इसलिए बेहतर प्रबंधन जरूरी है।
वैल्यू क्रिएशन न होना
साहिल शर्मा कहते हैं कि सही तरीके से पैसे को खर्च न करना, प्रमोटर का फोकस न होना, वैल्यू क्रिएशन के एजेंडे की वजह पैसे के एजेंडे को प्राथमिकता देना भी असफलता के कारण हैं।
समस्या का हल न दे पाना
साहिल आर्या कहते हैं कि स्टॉर्टअप के फेल होने की वजह उनके प्रोडक्ट का लोकप्रिय न होना और उनका प्रायोगिक इस्तेमाल न होना है। वह कहते हैं कि अगर आपका उत्पाद किसी समस्या का समाधान प्रस्तुत नहीं करता है तो उसकी उपयोगिता नगण्य हो जाती है। अपने मार्केट को सही से जानना सबसे प्रमुख है। रवि कौशिक कहते हैं कि स्टॉर्टअप आइडिया पर तो काम करते हैं लेकिन समाधान प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं। पहले मामले में आपके पास एक आइडिया है और आप उस पर काम करते हैं। दूसरे मामले में आपके पास समस्या है और जिसे आप हल करना चाहते हैं। टीम को इस मामले में लचीला रवैया अख्तियार करना चाहिए कि वह समस्या को हल करने के लिए सॉल्यूशन को बदल ले।
रिसर्च न करना
लोकेंद्र सिंह राणावत कहते हैं कि स्टॉर्टअप में असफलता का बड़ा कारण बेहतर रिसर्च न करना होता है। वहीं प्रभावशाली मार्केटिंग न कर पाना और इंडस्ट्री का विशेषज्ञ न होना भी बड़ी वजह होती है।
मार्केटिंग की खराब रणनीति और निर्णय लेने की क्षमता
निधि अग्रवाल कहती हैं कि खराब मार्केटिंग रणनीति भी स्टॉर्टअप के विफल होने का बड़ा कारण बनती है। खराब प्रबंधन, अनुभव की कमी और निर्णय लेने की सही क्षमता न होना भी असफलता का बड़ा कारण होता है। रवि कौशिक कहते हैं कि आपका उत्पाद अच्छा है, लेकिन आपके पास बाजार में बने रहने के लिए धन नहीं है तो आपका उत्पाद फेल हो जाएगा।
तारतम्यता का अभाव
स्पेसमंत्रा की फाउंडर निधि अग्रवाल कहती हैं, संस्थापकों के बीच तारतम्यता का अभाव होना भी स्टॉर्टअप के फेल होने का बड़ा कारण बनता है। उत्पाद का कंपटीशन और उसकी पहुंच का सही से अंदाजा न लगा पाना भी मुश्किल खड़ी करता है।
वास्तविक समस्या हल करने को प्राथमिकता न देना
एंजेल इन्वेस्टर देवांश लखानी कहते हैं कि स्टॉर्टअप की विफलता के तीन कारण हैं- पहला, किसी भी कीमत पर विकास पर बहुत अधिक ध्यान देना और लाभप्रदता पर कोई ध्यान नहीं देना, दूसरा, वास्तविक समस्या हल करने को प्राथमिकता न देना और तीसरा, अच्छी प्रतिभा की कमी होना।
सफलता की वजह
जस्ट डू इट
डा. सुरेश ढाका सलाह देते हैं कि नाइक के कोट से खुद को प्रेरित करना चाहिए-जस्ट डू इट और अपनी उद्यमिता की यात्रा शुरू करनी चाहिए। लेकिन बिजनेस को लंबे समय तक सफलतापूर्वक चलाने के लिए एक व्यवस्थित और संगठित एप्रोच विकसित करना बेहद जरूरी है।
शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म प्लान
फैट टाइगर के को-फाउंडर और निदेशक साहिल आर्या बताते हैं कि किसी स्टॉर्टअप को सफल बनाने के लिए आपके पास एक पुख्ता शॉर्ट और लांग टर्म प्लान होना चाहिए। शार्ट टर्म प्लान में आपको यह बताना होगा कि आप क्या और कैसे करेंगे। लांग टर्म प्लान में आपको फर्म के विस्तार की योजना बनानी होगी, लेकिन उसमें लचीलापन होना चाहिए। वर्क-लाइफ बैलेंस बेहद आवश्यक है।
ग्रोथ आधारित कॉरपोरेट कल्चर
साहिल शर्मा बताते हैं कि किसी स्टॉर्टअप की सफलता की वजह उसका मजबूत रेवेन्यू मॉडल, रेवेन्यू जनरेशन, ग्रोथ आधारित कॉरपोरेट कल्चर होता है। निधि अग्रवाल कहती है कि स्टॉर्टअप को गति देने के लिए कैपिटल बढ़ाना आवश्यक है। इसके लिए वेंचर कैपिटलिस्ट, सीड फंडिंग और क्राउड फंडिंग का इस्तेमाल किया जा सकता है।
प्रबंधन का रोल अहम
डा. सुरेश ढाका कहते हैं कि मैनेजमेंट आपको साथ-साथ कंपनी चलाने और उसे आगे बढ़ाने की तकनीक, टूल्स से से लैस करता है। यह कौशल कंपनी के प्रबंधन और उसे लांच करने में सहायक साबित होता है। एक उद्यमी के रूप में आपको अपनी कंपनी को विकास के चरण तक ले जाने के लिए वास्तव में व्यापक कौशल की आवश्यकता है।
लाभ और स्थायी राजस्व पर ध्यान
देवांश लखानी कहते हैं कि आइडिया आने के साथ ही एक संस्थापक को लाभ और स्थायी राजस्व पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यदि दीर्घकालिक स्तर पर स्टॉर्टअप के बारे में नहीं सोचा जाता है तो करो या मरो की स्थिति बन जाती है और हर कोई इससे नहीं बच पाता है। इसलिए मजबूत यूनिट इकोनॉमिक्स, मैट्रिक्स और लाभप्रदता पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।
प्रशिक्षित टीम का रोल अहम
लोकेंद्र सिंह राणावत कहते हैं कि आपके पास प्रशिक्षित टीम होनी चाहिए। साथ ही आपके पास बिजनेस के लिए मार्केटिंग प्लान होना चाहिए। इससे आपका कस्टमर बेस बढ़ेगा। निधि कहती हैं कि प्रशिक्षित और समर्पित टीम स्टॉर्टअप के लिए आवश्यक है। स्टॉर्टअप की सफलता में समय लगता है, इसलिए धैर्य और समर्पण के साथ अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए लगे रहना जरूरी है। एयर्थ रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ रवि कौशिक कहते हैं कि स्टॉर्टअप की सफलता टीम पर निर्भर करती है। एक व्यक्ति के दम पर बड़ी इमारत नहीं खड़ी की जा सकती है। रवि कौशिक कहते हैं कि सही सहयोगी आपके लिए दीर्घकाल स्तर पर फायदेमंद रहते हैं। ऐसे में शुरुआती दिनों में स्टॉर्टअप को सफलता दिलाने के लिए बेहतर लोगों का चुनाव करने के साथ काम न करने वालों को बाहर का रास्ता भी दिखाना पड़ता है।
मार्केट रिसर्च जरूरी
निधि अग्रवाल कहती हैं कि मार्केट रिसर्च बेहद आवश्यक है। अपने प्रोडक्ट की टेस्टिंग और संभावित ग्राहकों के बारे में जानकारी के साथ निरंतर फीडबैक लेना भी जरूरी है। एयर्थ रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ रवि कौशिक कहते हैं, हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारा स्टॉर्टअप किस समस्या को हल करने के लिए बनाया गया है। हमें उसका समाधान तलाशने पर ही जोर देना चाहिए।
ग्राहक की जरूरत का ध्यान
निधि कहती हैं कि स्टॉर्टअप की सफलता के लिए सबसे अहम कड़ी ग्राहक है। आपको उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम करना होगा। वह आपसे दूर न जाए, इसके लिए सतत प्रयास करने होंगे। इसके लिए रणनीति बनानी होगी।
यूनिकॉर्न में अमेरिका और चीन के बाद भारत
Hurun Global Unicorn Index 2022 के मुताबिक भारत में जनवरी से जुलाई 2022 के बीच 14 स्टार्टअप यूनिकॉर्न (जिसकी वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर के पार निकल जाए) बने, जबकि इसी अवधि में चीन में सिर्फ 11 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बने। यूनिकॉर्न की कुल संख्या के हिसाब से अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरे नंबर पर है।
स्टॉर्टअप के मामले में मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु का दबदबा
भारत में आर्थिक राजधानी मुंबई में सबसे ज्यादा स्टॉर्टअप शुरू हुए हैं। 2016 में जहां इनकी संख्या 86 थी, जो 2022 में 15,571 तक पहुंच गई है। 2022 में महाराष्ट्र में स्टार्टअप्स ने 1,63,451 लोगों को रोजगार दिया जो देश में सबसे ज्यादा है। महाराष्ट्र के बाद दिल्ली में सबसे अधिक स्टार्टअप खुले हैं। देश में सभी सरकारी मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स में से लगभग 58 प्रतिशत सिर्फ पांच राज्यों में हैं। महाराष्ट्र 15,571 सरकारी मान्यता प्राप्त स्टार्टअप के साथ टॉप पर है। कर्नाटक में 9,904, दिल्ली में 9,588, उत्तर प्रदेश में 7,719 और गुजरात में 5,877 मान्यता प्राप्त स्टार्टअप हैं।
2030 तक भारत की जीडीपी में स्टॉर्टअप की हिस्सेदारी 30 से 50 फीसदी होगी : योगेश रामनाथन
विनता एरोमोबिलिटी के सीईओ योगेश रामनाथन कहते हैं कि भारत सरकार स्टॉर्टअप को एक बेहतर माहौल देने के लिए काफी काम कर रही है। ये देश के लिए अच्छा है। युवाओं के लिए भी कुछ नया कर दिखाने का सुनहरा अवसर है। आज भारत में एक स्टार्टअप या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी रॉकेट लांच कर रही है। फ्लाइंग कार पर काम हो रहा है। ऐसे में कहा जा सकता है देश में स्टॉर्टअप का भविष्य काफी सुनहरा है। देश को इकोनॉमिक सुपर पावर बनाने में स्टॉर्टअप की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। एक अनुमान के मुताबिक 2030 तक भारत की जीडीपी में स्टॉर्टअप की हिस्सेदारी 30 से 50 फीसदी होगी। हमें इसके हिसाब से ही तैयारी करनी होगी। सरकार को स्टॉर्टअप की फाइनेंसिंग की जरूरत का ध्यान रखना होगा। साथ ही एक बेहतर माहौल तैयार करना होगा। सरकार को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि ऐसे स्टार्टअप तैयार किए जाएं जिससे सरकार को बेहतर रेवेन्यू मिले और बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिले।