बाढ़, सूखा, गर्मी की लहरें और अन्य जलवायु संबंधी खतरे अधिक तीव्र, लंबे और अधिक लगातार होते जा रहे हैं। मौसम में बदलाव के तौर पर गर्मी का मौसम लंबा खिंचना, इस कारण बारिश और सर्दी का असर भी ज्यादा समय तक दिखने लगा है। इन खतरों से स्वास्थ्य और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। जलवायु की विविधताओं वाले देश भारत में इस चुनौती का असर अब मौसम में बदलाव के साथ साथ क्षेत्रीय आधार पर जलवायु के बदलते रूप में दिखने लगा है। इसकी वजह से जलचक्र, खाद्य चक्र और बारिश का चक्र प्रभावित होने लगा है। पर्यावरण के विविध पहलुओं को लेकर जागरण न्यू मीडिया ने डब्ल्यूआरआई इंडिया के सीईओ माधव पई से बात की।

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