स्कन्द विवेक धर, नई दिल्ली। देश में शायद ही ऐसा कोई साल होता हो, जब किसी परीक्षा में कुछ गड़बड़ी न हो। लेकिन इस साल नीट-यूजी को लेकर जिस तरह से गड़बड़ियां सामने आई हैं, उसने पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान लगा दिया है। देश में प्रवेश परीक्षाओं और भर्ती के लिए होने वाली परीक्षाओं को प्रोफेशनल तरीके से आयोजित करने के लिए भारत सरकार ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की स्थापना की थी। लेकिन यह टेस्टिंग एजेंसी अपने उद्देश्यों में बुरी तरह विफल नजर आ रही है। आइए जानते हैं नीट-यूजी में विवाद क्या है, क्यों है और परीक्षार्थियों में विश्वास बहाली के लिए क्या करने की जरूरत है?

क्या है नीट और एनटीए?

देश में मेडिकल कॉलेजों की अंडर ग्रेजुएट सीट्स (MBBS) के लिए पहले केंद्रीय स्तर पर ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट (AIPMT) और राज्यों में प्री-मेडिकल टेस्ट (PMT) होता था। एम्स और जिपमर जैसे प्रतिष्ठित संस्थान अलग परीक्षा लेते थे। एआईपीएमटी का आयोजन देशभर में सीबीएसई कराती थी।

साल 2013 में एआईपीएमटी और राज्यों के पीएमटी को मिलाकर एमबीबीएस में एडमिशन के लिए एक कॉमन परीक्षा शुरू की गई, जिसे राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET-UG) का नाम दिया गया।

इधर, मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) ने साल 2017 में प्रवेश परीक्षा और भर्ती परीक्षा आयोजित करने के लिए एक विशेषज्ञ संस्था नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) का गठन किया।

साल 2019 में एम्स और जिपमर में एमबीबीएस के लिए एडमिशन को भी नीट-यूजी से जोड़ दिया गया और नीट-यूजी को आयोजित करने की जिम्मेदारी सीबीएसई से लेकर एनटीए को दे दी गई।

नीट-यूजी अंग्रेजी, हिंदी, असमिया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू सहित 13 भाषाओं में आयोजित की जाती है। इस साल नीट-यूजी 5 मई को आयोजित हुआ था, जिसमें 4,750 केंद्रों पर 24 लाख से अधिक परीक्षार्थी शामिल हुए थे।

नीट-यूजी में क्या गड़बड़ी हुई?

नीट-यूजी का रिजल्ट आने का तय समय 14 जून था, लेकिन यह समय से 10 दिन पहले 4 जून को ही आ गया। इसमें 67 परीक्षार्थियों को 720 में से 720 अंक मिले थे, जो कि सामान्य से बहुत अधिक है। इससे पहले, साल 2023 में दो छात्रों को, 2022 में तीन और 2021 में दो छात्रों को 720 अंक मिले थे।

67 में से छह टॉपर हरियाणा के एक ही केंद्र पर परीक्षा में शामिल हुए थे। इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं और परीक्षार्थियों का आरोप है कि इस केंद्र पर सामूहिक नकल कराई गई।

नीट में कुल 180 सवाल होते हैं। हर सवाल के सही जवाब पर चार अंक मिलते हैं और गलत जवाब पर 1 नंबर कट जाता है। रिजल्ट में कई परीक्षार्थी ऐसे थे, जिन्हें 718 अंक भी मिले, जो कि संभव नहीं है। एनटीए ने कहा कि कुछ केंद्रों पर परीक्षा देर से शुरू होने के कारण 1563 अभ्यर्थियों को समय के मुआवजे के तौर पर ग्रेस मार्क दिया गया, जिसकी वजह से यह अंक आए।

नीट-यूजी मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले फिजिक्सवाला के सीईओ अलख पांडेय ग्रेस मार्क देने के इस निर्णय को मनमाना बताते हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह ग्रेस अंक वापस ले लिए गए हैं।

बिहार पुलिस नीट के पेपर लीक को लेकर भी जांच कर रही है। बिहार पुलिस का दावा है कि उनके पास नीट के पेपर लीक होने के सबूत हैं। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने चार छात्रों सहित 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन पर 5 मई की परीक्षा से पहले उत्तर के साथ प्रश्न पत्र प्राप्त करने का आरोप है। हालांकि, एनटीए अब भी पेपर लीक से इनकार कर रही है।

इसी तरह, गुजरात के गोधरा में पुलिस ने नीट में गड़बड़ी करने के आरोप में पांच लोगों को गिरफ्तार किया। आरोपियों ने परीक्षा का पेपर हल करने के लिए प्रत्येक छात्र से 10 लाख रुपये वसूले। इसकी मॉडस ऑपरेंडी यह थी कि अभ्यर्थी नीट-यूजी के लिए एक विशेष केंद्र का चयन करेंगे और परीक्षा के दौरान अपनी ओएमआर शीट खाली छोड़ देंगे। बाद में, आरोपियों में से एक जो उस परीक्षा केंद्र का अधिकारी था, खाली ओएमआर शीट में सही उत्तर भर देता था।

इन सब के अलावा, नीट-यूजी के परिणाम और कक्षा 12वीं के अंकों के बीच सहसंबंध की कमी, टाई-ब्रेकिंग नियम के बारे में सवाल और फिजिक्स के एक सवाल में दो सही उत्तरों की मौजूदगी जैसे कुछ छोटे-छोटे मुद्दे भी रहे।

अब क्या होगा?

मामला सुप्रीम कोर्ट में है और यह तय है कि नीट के परिणाम को रद्द नहीं किया जा रहा है। जिन 1563 अभ्यर्थियों को पहले ग्रेस मार्क दिया गया था और बाद में वापस ले लिया गया, उन्हें विकल्प दिया गया है कि वह 23 जून को दोबारा यह परीक्षा दे सकते हैं। दोबारा परीक्षा के परिणाम 30 जून को घोषित किए जाएंगे।

यदि अभ्यर्थी दोबारा परीक्षा नहीं देना चाहते हैं, तो उनके पिछले अंकों को बिना ग्रेस मार्क्स के परिणामों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। एमबीबीएस, बीडीएस और अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए काउंसलिंग 6 जुलाई से शुरू होगी।

इधर, पेपर लीक के आरोप में बिहार पुलिस की जांच जारी है। ईओडब्ल्यू का दावा है कि उसने 13 लोगों की एक सूची बरामद की है, जिन्हें परीक्षा माफिया ने लाखों रुपए के बदले पेपर और जवाब दिए थे। इसमें से चार लोगों को ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तार कर लिया है। शेष नौ उम्मीदवारों को नोटिस जारी किया गया है। इसमें से एक-एक यूपी और महाराष्ट्र से हैं, जबकि सात बिहार के विभिन्न जिलों से हैं।

कैसे बहाल होगा परीक्षाओं पर विश्वास?

सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विराग गुप्ता कहते हैं, सरकार ने पहले कहा कि कोई गड़बड़ी नहीं हुई। अब शिक्षा मंत्री ने स्वीकार किया है कि कुछ खामियां हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह बात साबित हो गई है कि दाल में कुछ काला जरूर है। अब कुछ सवालों का जवाब मिलना जरूरी हो गया है।

पहला, नीट परीक्षा के लिए आवेदन की तिथि बढ़ाई गई थी। क्या टॉप करने वालों में इस बढ़ाई गई तिथि में आवेदन करने वाला कोई परीक्षार्थी भी है? बाद में जिन लोगों ने फार्म भरा उन लोगों के सेंटर क्या थे और उन लोगों की रैंकिंग क्या थी? डॉट कनेक्ट करने के लिए यह जानना बहुत जरूरी है।

दूसरा, रिजल्ट समय से पहले घोषित करने के फैसले पर किसने हस्ताक्षर किए। कितने दिन पहले आदेश दिया गया? तीसरा, बिहार पुलिस और गुजरात पुलिस एनटीए से जो जानकारी मांग रही है, वह उन्हें उपलब्ध कराया जाए।

गुप्ता कहते हैं, यह सिर्फ नीट से जुड़ा मामला नहीं है। एनटीए इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा जेईई, केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए होने वाली परीक्षा सीयूईटी समेत कई परीक्षाएं आयोजित करती है। इससे पूरे देश के लोग प्रभावित हैं।

इसलिए इस मामले में जो भी आरोपी हैं, देश हित में उनका नारको टेस्ट होना चाहिए और जो लोग भी दोषी पाए जाएं, उन पर सख्त एक्शन लिया जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटना न हो और सिस्टम में लोगों का भरोसा लौटे।