उत्पादन पर संकट के कारण गैर बासमती सफेद चावल निर्यात पर लगा प्रतिबंध, अगली फसल तक जारी रह सकती है रोक
दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में 300 करोड़ लोगों का मुख्य भोजन चावल है और भारत इसका सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत 2011 में थाईलैंड और वियतनाम को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक बन गया था। दुनिया के कुल चावल निर्यात में भारत का हिस्सा 40% के आसपास है। अब भारत ने गैर बासमती सफेद चावल निर्यात पर रोक लगा दी है।
प्राइम टीम, नई दिल्ली। हाल के दो घटनाक्रम ने अनेक देशों के सामने खाद्य सुरक्षा का संकट खड़ा कर दिया है। पहली घटना में रूस ने 17 जुलाई को ‘ब्लैक सी ग्रेन इनीशिएटिव’ को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया। पिछले साल संयुक्त राष्ट्र और तुर्किये की मध्यस्थता के बाद यूक्रेन से अनाज निर्यात के लिए वह इस पहल पर राजी हुआ था। यूक्रेन से गेहूं निर्यात वाले सबसे बड़े ओडेसा बंदरगाह पर उसने हमला भी किया है। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतों में करीब 10% की वृद्धि हुई है। मक्के की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। दूसरी घटना में भारत ने 20 जुलाई को गैर बासमती सफेद चावल (नॉन बासमती व्हाइट राइस) के निर्यात पर रोक लगा दी। सरकार का कहना है कि घरेलू बाजार में चावल की उपलब्धता सुनिश्चित करने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए यह कदम उठाया गया है। बीते एक साल में घरेलू बाजार में चावल के खुदरा दाम 11.5% और महीने भर में 3% बढ़े हैं। विशेषज्ञ इस खाद्य सुरक्षा संकट के पीछे तीन प्रमुख कारण मानते हैं- जलवायु परिवर्तन, आबादी में वृद्धि और भू-राजनैतिक तनाव।