प्राइम टीम, नई दिल्ली। साल 2021 देश प्राइमरी मार्केट यानी आईपीओ के लिए देश के इतिहास का सबसे शानदार साल था। 128 कंपनियों ने सालभर में आईपीओ के जरिए करीब 1.21 लाख करोड़ रुपए जुटाकर कीर्तिमान स्थापित कर दिया था। लेकिन साल 2022 उतना अच्छा नहीं गया और कंपनियां सिर्फ 59 हजार करोड़ रुपए ही जुटा पाईं। अब नए साल 2023 में ऊंट एक बार फिर करवट बदल रहा है।

प्राइम डेटाबेस के अनुसार, 2022 में 40 कंपनियों ने आईपीओ के जरिए शेयर बाजार से तकरीबन 59,000 करोड़ रुपए जुटाए थे, वहीं 2023 के लिए अभी से 54 कंपनियों ने 84,000 करोड़ रुपए जुटाने का प्रस्ताव दे रखा है। इतना ही नहीं, लगभग 57,000 करोड़ रुपए जुटाने के लिए 33 अन्य कंपनियां सेबी की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं।

जो 54 कंपनियां अभी आईपीओ की कतार में हैं, उनमें ओयो, स्विगी, स्नैपडील और यात्रा डॉट कॉम जैसी इंटरनेट आधारित टेक कंपनियां भी शामिल हैं। इनके अलावा फैब इंडिया, उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक, नवी टेक्नोलॉजीज, विक्रम सोलर, सेन्को गोल्ड, आधार हाउसिंग फाइनेंस सूची में शामिल बड़े नाम हैं।

जिन कंपनियों ने दस्तावेज दायर कर दिए हैं और बाजार नियामक की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं, उनमें मैनकाइंड फार्मा, गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस, बालाजी सॉल्यूशंस, लावा इंटरनेशनल, इंडियाफर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस और बजाज स्पेशलिटी केमिकल्स शामिल हैं।

स्टॉक एडवाइजरी फर्म और मोतीलाल ओसवाल समूह की सब्सिडियरी तेजी-मंदी के रिसर्च हेड अन्मोल दास के मुताबिक, साल 2021 में आईपीओ के जरिए 1.2 लाख करोड़ रुपए जुटाए गए थे। लेकिन साल 2022 में आईपीओ बाजार उम्मीद के मुताबिक, प्रदर्शन नहीं कर सका। साल के अंत तक सुला वाइनयार्ड्स और लैंडमार्क कार्स लिमिटेड जैसे कुछ आईपीओ चर्चा हासिल करने में कामयाब रहे, लेकिन उन्होंने भी उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। हालांकि, साल 2023 की शुरुआत शानदार होने वाली है। बाजार के कुछ बड़े नामों ने इस साल ‘आईपीओ बस’ के लिए टिकट खरीद लिए हैं।

प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक, प्रणव हल्दिया की मानें तो, 2022 के आखिरी दो महीनों में आईपीओ बाजार में आई तेजी कम से कम छोटे आकार के आईपीओ के लिए नए साल में भी जारी रहेगी। हालांकि, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की रुचि में आई कमी के चलते बड़े आकार के आईपीओ देखने में कुछ समय लग सकता है।

हालांकि, कुछ विशेषज्ञ नए साल में आईपीओ की सफलता को लेकर पूरी तरह आशान्वित नहीं हैं। वेल्थ मैनेजमेंट कंपनी एम्प्लीफाई कैपिटल्स के मैनेजिंग पार्टनर अभिषेक भट्ट कहते हैं, 2023 भी आईपीओ के जिए चुनौतीपूर्ण वर्ष साबित हो सकता है। निवेशक आईपीओ के मोर्चे पर उचित मूल्यांकन की तलाश कर रहे हैं। इसके अलावा, बाजार में उतार-चढ़ाव से भी आईपीओ का सेंटीमेंट प्रभावित हो सकता है। इन सबके बावजूद मजबूत बिजनेस फंडामेंटल वाली अच्छी कंपनियों को खुले हाथों से लिया जाना चाहिए।