एक उज्ज्वल भविष्य की ओर भारत की जी-20 अध्यक्षता ने लोगों की प्रगति का दिया विजन
जी-20 ने यह माना कि विकासशील देशों को 2030 तक अपने ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ यानी एनडीसी को पूरा करने के लिए 5.9 ट्रिलियन डालर की आवश्यकता है। इसे देखते हुए जी-20 ने अधिक प्रभावकारी मल्टीलैटरल डेवलपमेंट बैंक के महत्व पर विशेष जोर दिया। भारत संयुक्त राष्ट्र में सुधारों को लागू करने विशेष रूप से सुरक्षा परिषद जैसे प्रमुख संस्थानों के पुनर्गठन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
नरेन्द्र मोदी। भारत द्वारा जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करने के 365 दिन पूरे हो गए। यह वसुधैव कुटुंबकम् और एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य की भावना को प्रतिबिंबित करने और इसे जीवंत बनाने का क्षण है। जब भारत को यह जिम्मेदारी मिली थी, तब विश्व विभिन्न चुनौतियों से जूझ रहा था। कोविड महामारी, बढ़ते जलवायु खतरे, वित्तीय अस्थिरता और विकासशील देशों में ऋण संकट जैसी चुनौतियां सामने थीं। कमजोर होता बहुपक्षवाद इन चुनौतियों को और गंभीर बना रहा था।
प्रतिस्पर्धा के बीच विभिन्न देशों में परस्पर सहयोग की भावना में कमी आई और इसका प्रभाव वैश्विक प्रगति पर पड़ा। जी-20 का अध्यक्ष बनने के बाद भारत ने जीडीपी-केंद्रित सोच से आगे बढ़कर मानव-केंद्रित प्रगति का विजन प्रस्तुत किया। भारत ने दुनिया को यह याद दिलाने का प्रयास किया कि कौन सी चीजें हमें जोड़ती हैं। हमारा फोकस इस पर नहीं था कि कौन सी चीजें हमें विभाजित करती हैं। इन प्रयासों से वैश्विक संवाद आगे बढ़ा और कुछ देशों के सीमित हितों के ऊपर कई देशों की आकांक्षाओं को महत्व दिया गया।
समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्रवाई-उन्मुख और निर्णायक-ये चार शब्द जी-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत के दृष्टिकोण को परिभाषित करते हैं। नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन, जिसे सभी जी-20 सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से अपनाया गया, हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। समावेश की भावना हमारी अध्यक्षता के केंद्र में रही। जी-20 के स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ को शामिल करने से 55 अफ्रीकी देशों को इस समूह में जगह मिली, जिससे इसका विस्तार वैश्विक आबादी के 80 प्रतिशत तक पहुंच गया।
भारत अंतरराष्ट्रीय विमर्श में ग्लोबल साउथ के देशों की चिंताओं को मुख्यधारा में लाने में सफल रहा। इससे एक ऐसे युग की शुरुआत हुई, जहां विकासशील देशों को ग्लोबल नैरेटिव की दिशा तय करने का अवसर मिलेगा। समावेशिता की वजह से ही जी-20 में भारत के घरेलू दृष्टिकोण का भी प्रभाव दिखा। इस आयोजन ने लोक अध्यक्षता का स्वरूप ले लिया, जो सबसे बड़े लोकतंत्र होने की दृष्टि से बिल्कुल सही था। जनभागीदारी कार्यक्रमों के माध्यम से जी-20 देश के 1.4 अरब अरब नागरिकों तक पहुंचा। भारत ने यह सुनिश्चित किया कि मुख्य विषयों पर विश्व समुदाय का ध्यान जी-20 के दायित्वों के अनुरूप विकास के व्यापक लक्ष्यों की ओर हो।
2030 के एजेंडे को ध्यान में रखते हुए भारत ने सतत विकास लक्ष्य में तेजी लाने के लिए जी-20 का 2023 एक्शन प्लान रखा। भारत ने स्वास्थ्य, शिक्षा, लैंगिक समानता, पर्यावरणीय स्थिरता सहित परस्पर जुड़े मुद्दों पर एक व्यापक एक्शन ओरिएंटेड दृष्टिकोण अपनाया। इस प्रगति को संचालित करने वाला एक प्रमुख क्षेत्र मजबूत डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआइ) है। इस मामले में आधार, यूपीआइ और डिजिलाकर जैसे डिजिटल इनोवेशन के क्रांतिकारी प्रभाव को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करने वाले भारत ने निर्णायक सिफारिशें दीं। जी-20 के माध्यम से हमने डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर रिपाजिटरी को सफलतापूर्वक पूरा किया, जो वैश्विक तकनीकी सहयोग की दिशा में बड़ी प्रगति है। कुल 16 देशों के 50 से अधिक डीपीआइ को शामिल करने वाली यह रिपाजिटरी समावेशी विकास की शक्ति का लाभ उठाने के लिए ग्लोबल साउथ को डीपीआइ अपनाने और उसे व्यापक बनाने में मदद करेगी।
एक पृथ्वी की भावना के तहत हमने तात्कालिक, स्थायी और न्यायसंगत बदलाव लाने के महत्वाकांक्षी एवं समावेशी लक्ष्य पेश किए। ‘ग्रीन डेवलपमेंट पैक्ट’ एक व्यापक रोडमैप की रूपरेखा तैयार करके भुखमरी से निपटने और पृथ्वी की रक्षा के बीच चुनाव करने की चुनौतियों का समाधान करता है। इसमें रोजगार एवं इकोसिस्टम एक-दूसरे के पूरक हैं, उपभोग जलवायु परिवर्तन के प्रति सचेत है और उत्पादन पृथ्वी के अनुकूल है।
जी-20 घोषणा पत्र में 2030 तक रीन्यूबल एनर्जी की वैश्विक क्षमता को तीन गुना करने का महत्वाकांक्षी आह्वान किया गया। ग्लोबल बायोफ्यूल्स अलायंस की स्थापना और ग्रीन हाइड्रोजन को अपनाने की दिशा में ठोस प्रयास के साथ एक स्वच्छ एवं हरित दुनिया बनाने संबंधी जी-20 की महत्वाकांक्षाएं निर्विवाद हैं। यह हमेशा से भारत का मूल्य रहा है और सतत विकास के लिए जीवनशैली के माध्यम से दुनिया हमारी सदियों पुरानी परंपराओं से लाभान्वित हो सकती है।
नई दिल्ली घोषणा पत्र में जलवायु न्याय और समानता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया गया, जिसके लिए ग्लोबल नार्थ से पर्याप्त वित्तीय और तकनीकी सहायता देने का अनुरोध किया गया। पहली बार विकास के वित्तपोषण से जुड़ी कुल राशि में भारी बढ़ोतरी की जरूरत को स्वीकार किया गया, जो अरबों डालर से बढ़कर खरबों डालर हो गई है। जी-20 ने यह माना कि विकासशील देशों को 2030 तक अपने ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ यानी एनडीसी को पूरा करने के लिए 5.9 ट्रिलियन डालर की आवश्यकता है। इसे देखते हुए जी-20 ने अधिक प्रभावकारी मल्टीलैटरल डेवलपमेंट बैंक के महत्व पर विशेष जोर दिया। भारत संयुक्त राष्ट्र में सुधारों को लागू करने, विशेष रूप से सुरक्षा परिषद जैसे प्रमुख संस्थानों के पुनर्गठन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इससे और भी अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था सुनिश्चित होगी।
नई दिल्ली घोषणा पत्र में महिला-पुरुष समानता को केंद्र में रखा गया, जिसकी परिणति अगले वर्ष महिलाओं के सशक्तीकरण पर एक विशेष वर्किंग ग्रुप के गठन के रूप में होगी। महिला आरक्षण विधेयक-2023 महिलाओं के नेतृत्व में विकास के प्रति हमारी वचनबद्धता का प्रतीक है। यह बड़े गर्व की बात है कि हमारी अध्यक्षता के दौरान जी-20 ने 87 परिणाम हासिल किए और 118 दस्तावेज अपनाए, जो पूर्व की तुलना में कहीं अधिक हैं। जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने जियो-पालिटिकल मुद्दों और आर्थिक प्रगति एवं विकास पर उनके प्रभावों पर व्यापक विचार-विमर्श का नेतृत्व किया। आतंकवाद पूरी तरह अस्वीकार्य है। हमें जीरो-टालरेंस की नीति अपनाकर इससे निपटना चाहिए। हमें शत्रुता से परे जाकर मानवतावाद को अपनाना होगा और यह दोहराना होगा कि यह युद्ध का युग नहीं है।
मुझे अत्यंत खुशी है कि जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने असाधारण उपलब्धियां हासिल कीं। इसने बहुपक्षवाद में नई जान फूंकी, ग्लोबल साउथ की आवाज बुलंद की, विकास की हिमायत की और हर जगह महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए लड़ाई लड़ी। अब जबकि हम जी-20 की अध्यक्षता ब्राजील को सौंप रहे हैं तो इस विश्वास के साथ ऐसा कर रहे हैं कि शांति और समृद्धि के लिए हमारे सामूहिक कदमों की गूंज आगे निरंतर सुनाई देती रहेगी।