जागरण संपादकीय: अनियंत्रित प्रदूषण पर लगाना होगा नियंत्रण
वायु प्रदूषण में वाहनों के उत्सर्जन की भी एक बड़ी भूमिका है लेकिन इसके लिए किसी भी सरकार की ओर से कोई ठोस प्रयत्न नहीं किए जा रहे हैं कि वाहनों के उत्सर्जन पर लगाम लगे। वाहनों के उत्सर्जन का एक बड़ा कारण है यातायात का सुगम न होना। छोटे-बड़े शहरों में यातायात जाम के कारण वाहन रेंग-रेंग कर चलते हैं।
वायु प्रदूषण में पराली जलाने से निकलने वाले धुएं की भूमिका को देखते हुए केंद्र सरकार ने उसे जलाने पर दोगुना जुर्माना लगाने का जो आदेश जारी किया, वह तब कोई असर करेगा, जब राज्य सरकारें पराली जलाने से रोकने के लिए कमर कसेंगी। अभी तक राज्य सरकारें इस मोर्चे पर बहुत सफल नहीं हो सकी हैं और इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने हाल के दिनों में उन्हें कई बार फटकार लगाई है।
निःसंदेह पराली को जलाने से रोका ही जाना चाहिए और इसलिए और भी, क्योंकि अब वह पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ देश के अन्य हिस्सों में भी जलाई जाने लगी है, लेकिन इसी के साथ यह भी समझा जाना चाहिए कि वायु प्रदूषण का एकमात्र कारण पराली जलाया जाना नहीं है।
वायु प्रदूषण में वाहनों के उत्सर्जन की भी एक बड़ी भूमिका है, लेकिन इसके लिए किसी भी सरकार की ओर से कोई ठोस प्रयत्न नहीं किए जा रहे हैं कि वाहनों के उत्सर्जन पर लगाम लगे। वाहनों के उत्सर्जन का एक बड़ा कारण है यातायात का सुगम न होना। छोटे-बड़े शहरों में यातायात जाम के कारण वाहन रेंग-रेंग कर चलते हैं। जब ऐसा होता है तो वाहनों से कहीं अधिक विषाक्त उत्सर्जन होता है।
शहरों में ऐसे स्थान बढ़ते जा रहे हैं, जहां सड़कों पर अतिक्रमण और अव्यवस्थित यातायात के कारण वाहन बहुत ही धीमी गति से चलने को बाध्य होते हैं। अब तो स्थिति यह है कि शहरी इलाकों से गुजरने वाले राजमार्गों पर भी यातायात बुरी तरह बाधित होता रहता है। इससे सरकारें और उनकी एजेंसियां अनजान नहीं हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि सुगम यातायात किसी के एजेंडे में ही नहीं।
एक आंकड़े के अनुसार दिल्ली में प्रदूषण स्थानीय कारणों से भी बढ़ता है और इसमें एक बड़ा कारण वाहनों का उत्सर्जन है। आखिर वाहनों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने पर कब ध्यान दिया जाएगा? देश में ऐसे शहरों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिनकी गिनती दुनिया के प्रदूषित शहरों में होने लगी है।
यदि सरकारें और उनकी एजेंसियां प्रदूषण की गंभीर होती स्थिति से वास्तव में चिंतित हैं तो फिर उन्हें उन सभी कारणों का निवारण एक साथ करना चाहिए, जिनसे वायुमंडल जहरीला होता है। उन्हें पराली जलाने से रोकने और वाहनों के उत्सर्जन पर लगाम लगाने के ठोस उपाय करने के साथ ही इस पर भी ध्यान देना होगा कि सड़कों और निर्माण स्थलों से धूल न उड़ने पाए।
अभी तो इसकी कोई परवाह ही नहीं की जा रही है। यह भी किसी से छिपा नहीं कि कूड़ा-करकट जलाने से रोकने के उपाय केवल कागजों तक सीमित रहते हैं। चूंकि लोगों को किसी तरह की कार्रवाई का कोई भय नहीं होता, इसलिए वे भी प्रदूषण रोधी उपायों का पालन नहीं करते। यह स्थिति तब है, जब हर कोई इससे परिचित है कि वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक सिद्ध हो रहा है।