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फेज: 4
चुनाव तारीख: 13 मई 2024
शाहजहांपुर जिले से सात जिलों की सीमाएं जुड़ती हैं। ये जिले हैं- बरेली, लखीमपुर, पीलीभीत, सीतापुर, हरदोई, फर्रुखाबाद और बदायूं। जिले में एक ही लोकसभा सीट है। जिले में अब तक लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का दबदबा रहा है। 1952 और 57 के चुनावों में शाहजहांपुर व फर्रुखाबाद संयुक्त लोकसभा सीट थी। यहां से दो सांसद चुने जाते थे। यहां से अब तक नौ बार कांग्रेस के सांसद चुने जा चुके हैं। भाजपा तीन बार चुनाव जीती है, जबकि दो बार सपा के खाते में सीट आई है। 1952 में कांग्रेस के गनेशी लाल व निवेटिया चुनाव जीते थे। 1957 में हिन्दू महासभा से सेठ विशनचंद्र सेठ व लाखनदास निर्दलीय चुनाव जीते थे। 1962 और 67 में कांग्रेस से प्रेम किशन खन्ना और 1971 में जितेंद्र प्रसाद बाबा साहब चुनाव जीते थे। 1977 में जनता दल के सुरेंद्र विक्रम सिंह ने कांग्रेस का विजयी रथ रोका। 1980 और 1984 में जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस से जीते। 1989 में सत्यपाल सिंह यादव कांग्रेस जगजीवन राम से सांसद बने। 1991 में सत्यपाल सिंह यादव जनता दल से सांसद बने। 1996 में राममूर्ति सिंह वर्मा कांग्रेस से जीते। 1998 में भी सत्यपाल सिंह यादव भाजपा से सांसद बने। इसी तरह 1999 में जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस से जीते। 2001उपचुनाव में जितेंद्र प्रसाद का निधन होने से सपा से राममूर्ति सिंह वर्मा जीते। 2004 में कांग्रेस से जितिन प्रसाद जीते। 2009 में सपा से मिथिलेश कुमार को जीत मिली। 2014 में भाजपा से कृष्णाराज जीती थीं। 2019 में भाजपा के अरुण कुमार सागर ने जीत दर्ज की। राजनीतिक अहमियत राजनीतिक दृष्टिकोण से शाहजहांपुर काफी समृद्ध रहा। सरसंघ चालक रज्जू भैया भी इसी जिले से थे। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे स्व. जितेंद्र प्रसाद उर्फ बाबा साहब यहीं से थे। वो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव के राजनीतिक सलाहकार रहे थे। उनके बेटे जितिन प्रसाद यूपीए सरकार में दो बार केंद्रीय राज्यमंत्री रहे हैं। स्व. बाबू सत्यपाल सिंह यादव भी केंद्र सरकार में राज्यमंत्री रहे। प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री सुरेश कुमार खन्ना के पास अहम जिम्मेदारी हैं। मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्यामनंद का भी यहां से गहरा नाता है। विधानसभा क्षेत्र और बड़ी घटनाएं यहां 6 विधानसभाएं हैं। जिले में 5 तहसीलें और 15 ब्लॉक हैं। वहीं 1077 ग्राम पंचायतें हैं। इसमें शहर, तिलहर, ददरौल, पुवायां, जलालाबाद, कटरा सीट शामिल हैं। पांच वर्ष के दौरान साप्रदायिक तनाव हुआ। करीब चार दिन बाद हालात नियंत्रण में आ सके थे। जिले में रहने वाली किशोरी के मुकदमे में आसाराम को दोषी करार दिया गया। इसी तरह मदनापुर और खुटार में भी धर्मस्थलों को लेकर विवाद सामने आये। जलालाबाद में डिप्थीरिया से करीब 24 बच्चों की मौत हो गई थी। आरसी मिशन में निर्माणाधीन इंटर कालेज का लिंटर गिरने से पांच मजदूरों की मौत हो गई थी। एनडीआरएफ को लगाना पड़ा। अब तक पूरा मुआवजा नहीं दिया जा सका है। विकास का हाल अगर जिले की बात करें तो यहां पर रिलायंस का थर्मल पावर, पेपर मिल, शराब फैक्ट्री, खाद फैक्ट्री और पांच चीनी मिलें है। आर्डनेंस क्लोदिंग फैक्ट्री के अलावा जिले में करीब डेढ़ सौ राइस मिलें, दर्जन भर फ्लोर मिल, कृत्रिम मानव अंग बनाने की इकाई भी यहां हैं। पांच वर्ष के दौरान यहां पर राजकीय मेडिकल कॉलेज, शाहजहांपुर से पीलीभीत लाइन ब्रॉडगेज होने का काम शुरू हुआ। रोजा में डीजल इंजन का लोकोमोटिव शेड शुरू हुआ। शहर को नगर पालिका से नगर निगम का दर्जा मिला। रिंग रोड का निर्माण शुरू हुआ और महिला डेयरी परियोजना की सौगात मिली। खुटार में गोकुल मिशन के तहत गोसदन बनाया गया। कूड़े से खाद का प्लांट लगाया गया। कूड़े से बिजली बनाया जाना प्रस्तावित। शहीदों की याद में म्यूजियम व स्टेशन पर स्वचलित सीढ़ियों का शिलान्यास किया गया। स्थानीय मुद्दे और समस्याएं जाम की समस्या न सिर्फ शहर बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी विकराल बनी हुई है। दो नदियों के बीच स्थित होने के कारण शहर की सड़कों का चौड़ीकरण नहीं हो पा रहा है। हालांकि रिंग रोड का निर्माण शुरू हुआ है, लेकिन इससे जाम की समस्या का समाधान नहीं हो सकता। इसके लिए शहर में कम से कम दो फ्लाईओवर की जरूरत है। इतना ही नहीं कटरी क्षेत्र में बहगुल नदी पर हैदलपुर, शम्सीपुर समेत चार पुलों का निर्माण होना है। बरेली से शाहजहांपुर, शाहजहांपुर से सीतापुर फोरलेन अभी अधूरा दिल्ली-लखनऊ नेशनल हाईवे पर रोजाना हजारों की संख्या में छोटे-बड़े वाहन गुजरते हैं। देश व प्रदेश की राजधानी को जोड़ने वाला मुख्य हाईवे होने के कारण तमाम वीआईपी का इस रोड से आना जाना रहता है, सात साल पहले इस हाइवे को फोरलेन करने का काम शुरू हुआ था, पर अब तक आधा-अधूरा है, जिस कारण आए दिन इस रोड पर सड़क हादसों में लोग जान गवां रहे हैं। हर चुनाव में मुद्दा बनने वाली शहर की जलभराव की समस्या पर इस साल भी कोई काम नहीं हो सका। वादा किया गया था कि सीवर लाइन पड़ने से निजात मिल जाएगी, लेकिन किसी ने दोबारा इसकी सुध नहीं ली। हालत यह है कि जरा सी बारिश में शहर की मुख्य सड़कों से लेकर गलियां तक पानी-पानी हो जाती हैं, जिस कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिले में रोजगार अब भी बड़ी समस्या है। कहने को यहां पर उद्योग तो लगे हैं, लेकिन उनमें स्थानीय लोगों को काम कम मिल पाता है। जिस कारण यहां युवाओं को रोजगार की तलाश में दूसरे शहरों की ओर पलायन करना पड़ा है। जिले में शिक्षा की स्थिति बेहतर नहीं है। यहां पर इंटर व डिग्री कालेज तो बहुत हैं, लेकिन तकनीकी शिक्षा के लिए कुछ नहीं है। जिले में मात्र एक महिला महाविद्यालय है। काफी समय से इसको लेकर मांग हो रही है। हर चुनाव में वादा किया जाता है, पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। शाहजहांपुर की खास बातें शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। यह एक ऐतिहासिक क्षेत्र है जिसकी पुष्टि भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा यहां के कुछ उत्साही और प्रमुख व्यक्तियों के माध्यम से कराये गये उत्खनन में मिले सिक्कों, बर्तनों और अन्य बस्तुओं के सर्वेक्षण से हुई है। इसे 'शहीद गढ़' या 'शहीदों की नगरी' के नाम से भी जाना जाता है। हनुमान धाम, काशी विश्वनाथ मंदिर, काली बाड़ी मंदिर, शहीद द्वार, राम प्रसाद बिसमिल स्मारक यहां के पर्यटन प्रमुख स्थल हैं। लखनऊ से शाहजहांपुर की दूरी 174.8 किलोमीटर है और दिल्ली से 392.7 किलोमीटर है।
शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश के विजेता
- पार्टी :भारतीय जनता पार्टी
- प्राप्त वोट :688990
- वोट %56
- पुरुष मतदाता1158155
- महिला मतदाता955889
- कुल मतदाता2114201
- निकटतम प्रतिद्वंद्वी
- पार्टी
- प्राप्त वोट420572
- हार का अंतर268418
राजनीतिनामा
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लोकसभा परिणाम 2024
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