नई दिल्ली, विवेक तिवारी ।  देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में भारतीय रेलवे की अहम भूमिका है। इसी को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को पेश हुए अंतरिम बजट में रेलवे को लेकर कई बड़े ऐलान किए। एक तरफ जहां वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रेलवे का बजट बढ़ा कर 2.52 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है, वहीं तीन नए कॉरिडोर विकसित करने का भी ऐलान किया गया है। ये कॉरिडोर देश के विकास की गति को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएंगे। इनसे लॉजिस्टिक्स की लागत कम करने में मदद मिलेगी। वित्त मंत्री ने यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा में सुधार के लिए 40,000 बोगियों को वंदे भारत मानक में बदलने की भी घोषणा की है। एयरपोर्ट, फ्लाईओवर, एक्सप्रेसवे बनने से कनेक्टिविटी सुधरेगी।

देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को विश्व स्तरीय बनाना सरकार की प्राथमिकताओं में है। अंतरिम बजट में ये साफ तौर पर दिखाई दिया। केंद्र सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर बजट 11.1% बढ़ा कर 11.11 लाख करोड़ रुपए कर दिया है, जो GDP का 3.4% है। पिछले साल ये बजट 10 लाख करोड़ रुपए था। रेलवे को 2023-24 के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपये मिले थे, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए इसे बढ़ा कर 2.52 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रेलवे पर प्रधानमंत्री का फोकस बहुत स्पष्ट है। बजट में घोषित रेलवे के तीनों कॉरिडोर का काम पूरा होने पर ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट खत्म करना संभव हो सकेगा। वहीं 40,000 रेलवे के डिब्बों में 'वंदे भारत मानक' लागू होने से रेल यात्रियों की यात्रा और आरामदायक हो जाएगी।

रेल मंत्री ने कहा कि “दस साल पहले, अलग रेल बजट होने के बावजूद, हमेशा नई ट्रेनें जोड़ने या किसी विशेष ट्रेन का विस्तार करने पर ही जोर होता था, रेलवे की क्षमता बढ़ाने या सुरक्षा में सुधार पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। लेकिन आज पूरी तरह से रेल नेटवर्क की क्षमता बढ़ाने, रेल परियोजनाओं को समय पर पूरा करने और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने पर जोर है। इन्हीं प्रयासों के चलते पिछले दस वर्षों में रेलवे के नेटवर्क में लगभग 26000 किमी नए ट्रैक जोड़े गए हैं। सुरक्षा प्रणाली में लगभग 1,08,000 करोड़ का निवेश किया गया है। स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (कवच) शुरू हुई है और नई पीढ़ी की ट्रेनें विकसित की जा रही हैं।

रेलवे की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री के पूर्व महाप्रबंधक और वंदे भारत ट्रेनों को बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले सुधांशु मणि कहते हैं कि निश्चित तौर पर सरकार का रेलवे का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर बनाने पर जोर है। सरकार अगले 10 सालों में रेलवे में लगभग 11 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश करने की योजना पर काम कर रही है। रेलवे के 40 हजार डिब्बों में वंदे भारत मानक अपनाने की बात की गई है। इसके तहत एलएचबी कोच में कपलर बदले जा रहे हैं जिससे ब्रेक लगने पर झटका लगने की समस्या खत्म होगी। डिब्बों में इंटीरियर को भी बेहतर किया जा रहा है। उनमें पैसेंजर इनफॉर्मेशन सिस्टम भी लगाए जाएंगे। ऐसे में यात्रियों का अनुभव बेहतर होगा। हालांकि रेलवे को ऑपरेटिंग रेशियो बेहतर बनाने पर ज्यादा जोर देने की जरूरत है। हमारी जीडीपी 7 फीसदी से बढ़े, इसके लिए जरूरी है कि भारतीय रेलवे कम से कम 10 फीसदी की रफ्तार से बढ़े।

इस्टर्न रेलवे के पूर्व महाप्रबंधक अरुण अरोड़ा कहते हैं कि अंतरिम बजट होने के बावजूद सरकार ने रेलवे के विकास को अपनी प्राथमिकताओं में रखा है। इस बजट में रेल इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने पर काफी जोर दिया है। रेलवे की ओर से तीन नए कॉरिडोर बनाने का ऐलान एक बड़ा कदम है। इन गलियारों के जरिए रेलवे की क्षमता बढ़ाने पर फोकस किया गया है। ऊर्जा, खनिज और सीमेंट गलियारा बनाए जाने से एक तरफ जहां सड़कों के प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी वहीं इससे माल ढुलाई की लागत भी कम होगी। रेलवे की बंदरगाहों से कनेक्टिविटी का मल्टीमॉडल 'गति शक्ति' योजना के तहत बनेगा। 'अमृत चतुर्भुज' उच्च घनत्व वाले मार्गों पर स्वर्णिम चतुर्भुज के समान होगा। कुल मिलाकर, इन 3 गलियारों के माध्यम से लगभग 40,000 किलोमीटर का नया ट्रैक बिछाया जाएगा जिससे रेलवे की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और प्रदूषण में कमी आएगी, क्योंकि रेल ढुलाई से 90% तक CO2 उत्सर्जन कम हो सकता है। इससे देश की अर्थव्यवस्था में कुशल, उत्पादक और टिकाऊ तरीके से बड़ा बदलाव आएगा।