हास्य-व्यंग्य: लगान वाले आमिर खान तो अमीर हो गए, मगर हम किसानों तक न आमिर पहुंचे और न अमीरी
किसान जननिधि योजना किसान धननिधि योजना किसान बीमा योजना किसान सीमा योजना इतनी स्कीमें चल रही हैं और किसान फिर भी अमीर न हो रहा है। क्या इस मुल्क का किसान बहुतै आलसी है। इतनी स्कीमों के बावजूद अमीर नहीं हो रहा है क्यों।
[ आलोक पुराणिक ]: चालू चैनल ने अपना नवोदित पत्रकार एक किसान के पास भेजा, किसानों की समस्याओं को सुनने के लिए, क्योंकि टीवी चैनल के सीनियर पत्रकार रिया चक्रवर्ती के अफीम के खेतों की पड़ताल में बिजी थे। नवोदित पत्रकार उर्फ नपत्र ने काफी तैयारी कर किसान का इंटरव्यू लिया। इसकी एक झलक आप भी देखें।
नपत्र- किसान जननिधि योजना, किसान धननिधि योजना, किसान बीमा योजना, किसान सीमा योजना, इतनी स्कीमें चल रही हैं और किसान फिर भी अमीर न हो रहा है। क्या इस मुल्क का किसान बहुतै आलसी है। इतनी स्कीमों के बावजूद अमीर नहीं हो रहा है, क्यों। कभी आपने जाकर देखा अपने खेत से बाहर निकलकर कि स्कीम आ गई या नहीं?
स्कीम नहीं आती, लेकिन स्कीम के नाम पर नेता आ जाते हैं
किसान- जी स्कीम न आती, स्कीम के नाम और उनके नाम पर नेता आ जाते हैं। फिर ये नेता टीवी पर भी आते हैं और टीवी से आप जैसे पत्रकार आ जाते हैं। बस यही आना-जाना हो रहा है।
किसानों पर मदर इंडिया जैसी कई फिल्में बनीं, फिर भी किसानों की हालत नहीं सुधरी
नपत्र- इतना कुछ किया है आपके लिए देश ने-दो बीघा जमीन, लगान, नया दौर, पीपली लाइव, उपकार, मदर इंडिया कितनी फिल्में बनाई हैं किसानों पर और फिर भी आप किसानों की हालत सुधरती नहीं है, क्यों, क्यों बताओ क्यों?
लगान किसानों पर नहीं, क्रिकेट पर बनी फिल्म थी
किसान- जी लगान किसानों पर नहीं, क्रिकेट पर बनी फिल्म थी, पीपली लाइव किसानों पर नहीं टीवी मीडिया पर बनी फिल्म थी। हमारे नाम पर जाने क्या-क्या हो जाता है। हमें पता नहीं चल पाता। लगान वाले आमिर खान अमीर हो गए। हम किसानों तक न आमिर पहुंचे और न अमीरी।
पूरा देश आपके लिए जान दे रहा, फिर भी किसानों की हालत सुधर क्यों नहीं रही
नपत्र- पूरा देश आपके लिए जान दे रहा है, इतनी योजनाएं बना रहा है, इतनी फिल्में बना रहा है। फिर भी किसान सुधर क्यों नहीं रहा है। बताइये?
किसान की हालत नहीं सुधर पा रही है तो इसमें किसान का ही दोष है
किसान- किसान की हालत नहीं सुधर पा रही है तो इसमें किसान का ही दोष है, आप ठीक ही कहते हैं। मान लेते हैं किसान ही सुधरना नहीं चाहता।
हम टीवी वाले कितनी मेहनत करते हैं किसानों के लिए
नपत्र- सवाल यह है कि ऐसा क्यों है। हम टीवी वाले कितनी मेहनत करते हैं किसानों के लिए। हमारे सीनियर रिया चक्रवर्ती के अफीम के खेतों की तलाश में गए हैं। किसानों के लिए हम मरे जा रहे हैं और आप सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे हैं।
रिया चक्रवर्ती अगर किसान है, तो मैं भरतनाट्यम का डांसर हूं
किसान- अच्छा, रिया चक्रवर्ती अगर किसान है, तो मैं भरतनाट्यम का डांसर हूं।
आप बहुत संभलकर बात कर रहे हैं
नपत्र- आप इतनी उलटी-पुलटी बातें कर रहे हैं कि आप को तो टीवी एंकर बना दिया जाए, पर आप बहुत संभलकर बात कर रहे हैं।
संसद में पारित किसानों से जुड़े विधेयक पढ़े हैं क्या
किसान- मुझे किसान ही रहने दें और किसानी की हालत बेहतर करा दें। आपने संसद में पारित किसानों से जुड़े विधेयक पढ़े हैं क्या, बताइए क्या है उनमें।
मैं सारा टाइम पढ़ने में वेस्ट कर दूंगा तो टीवी रिपोर्टरी कब करूंगा
नपत्र- अरे मैं सारा टाइम पढ़ने में वेस्ट कर दूंगा तो टीवी रिपोर्टरी कब करूंगा?
क्या नौकरी की शर्तों में कुछ लिखना-पढ़ना नहीं होता
किसान- तो क्या नौकरी की शर्तों में कुछ लिखना-पढ़ना नहीं होता। आप कुछ पढ़ते हैं या नहीं?
फिल्मी पार्टियों के ड्रग डीलर जैसी किताबें पढ़ी हैं मैंने
नपत्र- हां, पढ़ता हूं न। भानगढ़ किले के भूतों के प्रकार, नशे के तौर-तरीके और फिल्मी पार्टियों के ड्रग डीलर, जैसी किताबें अभी पढ़ी हैं मैंने।
क्या आप ड्रग डीलर हैं
किसान- क्या आप ड्रग डीलर हैं, जो ड्रग पर इतनी किताबें पढ़ते हैं।
टीवी पर अभी ड्रग ही बिक रही है
नपत्र- टीवी पर अभी ड्रग ही बिक रही है। कुछ दे रहे हैं, कुछ ले रहे हैं। कुछ यह लेन-देन देख रहे हैं।
यह न कहना कि किसानों को आर्थिक हालत सुधारने के लिए ड्रग बेचना शुरू कर देना चाहिए
किसान- अब तुम यह न कहने लग जाना कि किसानों को आर्थिक हालत सुधारने के लिए ड्रग बेचने का काम शुरू कर देना चाहिए।
तुम एंकर बन सकते हो
नपत्र- मैं शुरू से कह रहा हूं कि तुम इतनी ऊल जुलूल बातें कर रहे हो कि तुम एंकर बन सकते हो।
रिजॉर्ट से ही किसानों का भला हो सकता है
किसान- मुझे लगता है कि अब किसानों के लिए किसान रिजॉर्ट योजना चलाई जानी चाहिए। हर किसान को एक-एक रिजॉर्ट देना चाहिए, जिसमें तमाम राज्यों की विधानसभाओं के विधायक सरकार की अलट-पलट के दौर में रहें, ऐसे किसान रिजॉर्ट से ही किसानों का भला हो सकता है।
किसानों की समस्या का हल सिर्फ किसान रिजॉर्ट योजना में ही है
नपत्र- ओके, समझ गया कि किसानों की समस्या का हल सिर्फ किसान रिजॉर्ट योजना में ही है।
[ लेखक हास्य-व्यंग्यकार हैं ]
[ लेखक के निजी विचार हैं ]