डा. सुरजीत सिंह। पिछले दस वर्षों में मोदी सरकार द्वारा किए गए संरचनात्मक सुधारों के अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले सकारात्मक परिणामों का ब्योरा प्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट में 2047 तक देश को विकसित बनाने की एक दीर्घकालिक योजना का रोडमैप प्रस्तुत किया है। वैश्विक आार्थिक चुनौतियों, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और मुद्रास्फीति के दबावों जैसी तात्कालिक चुनौतियों के बीच भी वित्त मंत्री राजकोषीय घाटे को 5.8 प्रतिशत तक संतुलित करने, पूंजीगत व्यय को प्राथमिकता देने, हरित और समावेशी विकास पर बल देने में सफल रही हैं।

देश को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने गरीबों, महिलाओं, युवाओं और किसानों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात कही है। विकसित देश की तरफ कदम बढ़ाते हुए पूंजीगत व्यय पर फोकस किया है। पूंजीगत परिव्यय में लगभग 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि रखी गई है, जो जीडीपी का 3.4 प्रतिशत है। इसके अंतर्गत तीन प्रमुख आर्थिक रेलवे कारिडोर बनाए जाएंगे। यात्रियों की सुरक्षा, सुविधा और आराम बढ़ाने के लिए चालीस हजार सामान्य रेल बोगियों को वंदे भारत मानकों के अनुरूप परिवर्तित किया जाएगा। विमानन क्षेत्र एवं मेट्रो का विस्तार होगा।

देश के विकास में महिलाओं की बढ़ती भूमिका का असर भी अंतरिम बजट में दिखा। इसी दिशा में लखपति दीदी कार्यक्रम के लक्ष्य को दो करोड़ से बढ़ाकर तीन करोड़ करने का निर्णय लिया गया है। उल्लेखनीय है कि नौ करोड़ महिलाओं के साथ 83 लाख स्वयं सहायता समूह ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को बदल रहे हैं। वहीं सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए नौ से 14 वर्ष की आयु की लड़कियों के टीकाकरण की बात कही गई है।

सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण 2.0 के तहत मातृ एवं शिशु देखभाल के लिए विभिन्न योजनाओं को एक व्यापक कार्यक्रम के तहत लाने की बात कही गई है। निश्चित रूप से इससे बेहतर पोषण वितरण और प्रारंभिक बचपन देखभाल कार्यक्रम में तेजी आएगी। आयुष्मान भारत योजना के तहत अब स्वास्थ्य देखभाल कवर करने वाली सभी आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का सशक्तीकरण किया जाएगा।

कृषि क्षेत्र की तीव्र वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए निजी और सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा देने की बात भी अंतरिम बजट में कही गई है। विभिन्न फसलों पर नैनो डीएपी के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए व्यापक प्रयास किए जाएंगे। दुधारू पशुओं की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचा विकास निधि बनाई जाएगी।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत जलीय कृषि उत्पादकता को मौजूदा तीन से बढ़ाकर पांच टन प्रति हेक्टेयर तक किया जाएगा। हालांकि प्रत्यक्ष कर संग्रह के बढ़ने एवं रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में तेज बढ़ोतरी के बाद भी कर के स्लैब में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। बस मौजूदा घरेलू कंपनियों के लिए कारपोरेट टैक्स की दर 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत और कुछ नई विनिर्माण कंपनियों के लिए 15 प्रतिशत की गई है। साथ ही नवाचार को प्रोत्साहन देने के लिए पचास साल के लिए ब्याज मुक्त ऋण से एक लाख करोड़ रुपये का कोष स्थापित होगा।

वर्ष 2070 तक नेट-जीरो की प्रतिबद्धता पूर्ति की दिशा में भी कदम बढ़ाया गया है। इसके लिए पवन ऊर्जा क्षमता के दोहन के लिए सहायता प्रदान की जाएगी। परिवहन के लिए सीएनजी और घरेलू उद्देश्यों के लिए पीएनजी में बायोगैस का चरणबद्ध मिश्रण अनिवार्य किया गया है। घर की छतों पर सोलर ऊर्जा को प्रोत्साहन देने के लिए एक करोड़ परिवारों को हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं धार्मिक पर्यटन सहित पर्यटन में स्थानीय उद्यमिता के अवसरों का दोहन करने के लिए राज्यों को प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्रों का विकास करने, वैश्विक स्तर पर उनकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग करने के लिए प्रोत्साहित करने की बात कही गई है।

सुविधाओं और सेवाओं की गुणवत्ता के आधार पर केंद्रों की रेटिंग के लिए एक रूपरेखा स्थापित की जाएगी। इसके लिए राज्यों को दीर्घकालिक ब्याज मुक्त ऋण भी प्रदान किया जाएगा। घरेलू पर्यटन के उभरते क्षेत्रों में बंदरगाह कनेक्टिविटी, बुनियादी ढांचे के विकास और सुविधाएं बढ़ाने के लिए परियोजनाएं शुरू की जाएंगी। इससे रोजगार सृजन में भी मदद मिलेगी। यह भी सच है कि बिना राज्यों के सहयोग के भारत को 2047 तक विकसित बनाना मुश्किल होगा। इसके लिए राज्य सरकारों को पचास वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 75 हजार करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है।

राज्यों को पूंजीगत व्यय के लिए पचास वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण की योजना इस वर्ष भी जारी रहेगी, जिसका कुल परिव्यय 1.3 लाख करोड़ रुपये होगा। पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत अगले पांच वर्षों में दो करोड़ और घर बनाए जाएंगे। किराये के घरों, झुग्गियों, चालों और अनधिकृत कालोनियों में रहने वाले मध्यम वर्ग के योग्य लोगों को अपना घर खरीदने या बनाने में मदद करने की बात भी कही गई है। जनसंख्या वृद्धि और जनसांख्यिकीय परिवर्तनों से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए भी एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया जाएगा।

यद्यपि यह अंतरिम बजट बहुत विस्तार वाला नहीं है। इसके बावजूद यह लोकलुभावन योजनाओं से परहेज करने और विकास की महत्वाकांक्षाओं को अधिक मजबूत करने वाला है। कुल मिलाकर, मोदी सरकार अपनी प्रतिबद्धताओं के माध्यम से सबका साथ, सबका विकास और सबके विश्वास पर खरी उतरती दिख रही है।

(लेखक अर्थशास्त्री हैं)