CAA, फिर NRC और अब NPR को लेकर अगर भ्रम में हैं युवा, तो पढ़ें पूरी खबर
CAA NPR and NRC न तो नागरिकता संशोधन कानून मुस्लिम विरोधी है न ही राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण ही ऐसा होगा।
[प्रो. रसाल सिंह]। CAA, NPR and NRC: देश भर में पिछले कई दिनों से एनआरसी यानी ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ और सीएए यानी ‘नागरिकता संशोधन कानून’ को लेकर असत्य, अफवाह और दुष्प्रचार के माध्यम से देश की विपक्षी पार्टियां प्रदर्शन, हिंसा और उपद्रव कर रहे हैं। इससे देश की आंतरिक शांति, एकता-अखंडता और सद्भाव को क्षति पहुंच रही है। कुछ देशवासी भ्रमित होकर उनकी राजनीतिक स्वार्थसिद्धि का माध्यम बनते जा रहे हैं।
विपक्ष का दुष्प्रचार-तंत्र इस मामले को भड़काने में बड़ी कुटिल भूमिका निभा रहा है। वह पूर्वोत्तर भारत में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के आधारस्वरूप वहां की भूमि, साधनों-संसाधनों, रोजगार- व्यापार में इस कानून के तहत नागरिकता हासिल करने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, ईसाइयों और पारसियों की भागीदारी का डर दिखाकर मूलवासियों को भड़का रहा है। इसके अलावा उनकी भाषा, संस्कृति, खान- पान, रीति-रिवाज, आदि की विशिष्टता की समाप्ति का डर भी दिखाया जा रहा है।
वहीं दूसरी ओर, शेष भारत में मुस्लिम समुदाय को भी इस कानून के दायरे में शामिल न करने को मुद्दा बनाकर इस कानून को सांप्रदायिक रंग देने की साजिश रची जा रही है। जबकि सच्चाई यह है कि पूर्वोत्तर भारत की उपरोक्त जो भी चिंताएं हैं, उनका सबसे बड़ा कारण मुस्लिम समुदाय ही रहा है। वह चाहे बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए हों, या फिर रोहिंग्या घुसपैठिए। पूर्वोत्तर की भूमि और संसाधनों पर कब्जा करने वालों में यही लोग ‘बहुसंख्यक’ हैं। इन्होंने जो घुसपैठ की है, वह भी किसी धार्मिक प्रताड़ना या भेदभाव या विवशता के कारण नहीं, बल्कि भारत देश में मौजूद अवसरों और संभावनाओं को हड़पने के लिए स्वेच्छा से की है। इस प्रकार विपक्ष के ये विरोधाभासी तर्क हैं जो वह एकसाथ दे रहा है और स्थान विशेष और समुदाय विशेष के अनुरूप रणनीतिक रूप से भ्रम फैलाकर राजनीतिक लाभ लेना चाह रहा है।
केंद्र सरकार देशवासियों के अधिकारों और संसाधनों की रक्षा करने तथा गैरकानूनी तरीके से भारत में मौजूद घुसपैठियों की पहचान करने के लिए इस ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ को अपडेट करना चाहती है। इसके बाद से ही समूचे देश में संसद से लेकर सड़क तक हंगामा बरपा हुआ है। इन प्रायोजित विरोधों को ध्यान में रखते हुए सरकार की ओर से लगातार यह स्पष्ट किया जा रहा है कि ‘राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण’ पूरी तरह निष्पक्ष होगा। जिन भारतीय नागरिकों का नाम इसमें सूचीबद्ध नहीं होगा, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उन्हें भारतीय नागरिकता साबित करने का अवसर पुन: दिया जाएगा।
मतदाता पहचान पत्र व आधार कार्ड बनाने के दौरान भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा था। किंतु अब इनसे बहुत अधिक लाभ हो रहा है। मतदाता पहचान पत्र की निष्पक्ष चुनाव में बड़ी भूमिका है। आधार कार्ड ने तमाम सरकारी योजनाओं के फर्जीवाड़े को रोका है। इसमें सरकारी नौकरियों में छद्म कर्मचारियों की उपस्थिति से लेकर छात्रवृत्ति, मनरेगा आदि के घोटाले व दुरुपयोग का पर्दाफाश शामिल है। विपक्षी पार्टियां अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए लगातार यह भ्रम फैला रही हैं कि सरकार इसमें मनमानी करेगी। साथ ही वे यह डर भी फैला रही हैं कि जिनके नाम इस रजिस्टर में सूचीबद्ध नहीं हैं, उनको बिना सुनवाई के तत्काल ‘देशनिकाला’ दे दिया जाएगा।
कहा जा रहा है कि वर्तमान सरकार देश में पहले से नागरिकता प्राप्त मुसलमानों को भी भारत से बाहर निकाल देगी। गरीबों, दलितों और अल्पसंख्यकों को सर्वाधिक डराया जा रहा है कि उनके पास दस्तावेजों का अभाव उन्हें ‘घुसपैठिया’ साबित कर देगा और उन्हें देश से विस्थापित कर दिया जाएगा। इन वर्गों को भ्रमित किया जा रहा है कि उन्हें राज्य प्रदत्त सुविधाओं और संवैधानिक अधिकारों से वंचित कर दिया जाएगा।
भारत की भूमि और संसाधनों पर इन घुसपैठियों को बसाने के कुकृत्य की जिम्मेदार गैर-भाजपा सरकारें रही हैं। ऐसा उन्होंने मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति और वोट बैंक की राजनीति के तहत लगातार किया है। अभी उनके द्वारा भड़काई जा रही हिंसा और अशांति का वास्तविक कारण भी यही है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश और असम की जनता की अपेक्षाओं-आकांक्षाओं और मांग को पूरा करने के लिए इस राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को अद्यतन किया जा रहा है। असम के बाद इसे पूरे देश में लागू करने के लिए भी भारत सरकार कृतसंकल्प है ताकि घुसपैठियों की समस्या से राष्ट्रीय स्तर पर भी निपटा जा सके।
सरकार ने नीति बनाई है कि लोगों को अपना दावा प्रस्तुत करने और आपत्तियों के निवारण के लिए न्यायालय और विदेशी न्यायाधिकरण के पास जाने का भी समुचित अवसर दिया जाएगा। उनके दावों और आपत्तियों के निस्तारण के बाद ही अंतिम रूप से एनआरसी को जारी किया जाएगा। किसी भी भारतीय नागरिक को नागरिकता से वंचित न होने देना भारत सरकार का संवैधानिक कर्तव्य है। इसमें किसी जाति, धर्म, क्षेत्र के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा। साथ ही, अवैध घुसपैठियों की पहचान करना और उनको राष्ट्रीय संसाधनों पर बोझ न बनने देना भी सरकार का कर्तव्य और जिम्मेदारी है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब तक की सरकारें अपने इस कर्तव्य के निर्वाह में विफल रही हैं। आज बड़ी भारी संख्या में देश में घुसपैठिए मौजूद हैं जो राष्ट्रीय संसाधनों का उपभोग कर रहे हैं और अनेक प्रकार की आपराधिक और गैर कानूनी गतिविधियों में भी संलग्न हैं।
कुछ राजनीतिक पार्टियां देश की युवा पीढ़ी को भारत की भूमि, संसाधनों, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और व्यापार से वंचित करना चाहती हैं। यही कारण है कि देश की युवा पीढ़ी को इन षड्यंत्रों को समझना होगा और ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ और ‘नागरिकता संशोधन कानून-2019’ जैसे अनिवार्य और भारत हितकारी कानूनों के संबंध में फैलाए जा रहे दुष्प्रचार और अफवाहों से दूर रहना होगा। विपक्षी दलों को देश को बिगाड़ने की बजाय देश बनाने पर ध्यान देना चाहिए।
[अध्यापक, जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय, जम्मू ]
यह भी पढ़ें:-
Citizenship Amendment Act 2019 : हिंसक विरोध के पीछे सुनियोजित साजिश
Citizenship Act पर छलका शरणार्थियों का दर्द, मोदी-शाह के समर्थन में लगाए नारे
CAA Protest: माहौल शांत करने को यूं निभाएं अपने जिम्मेदार नागरिक होने की जिम्मेदारी
यह खबर पढ़कर आपका भी हो जायेगा NRC और CAA को लेकर हर भ्रम दूर