हास्य व्यंग्य : चंद्रयान ने बदल दिए कल्पनाओं के रंग
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर बहुत ठंड भी पड़ती है। तापक्रम शून्य डिग्री से भी नीचे पहुंच जाता है। इसलिए धरती के रजाई-गद्दे वहां काम नहीं आएंगे। उस दशा में हीटर ब्लोअर और नए किस्म के गरम हवा देने वाले एसी के कारोबार के लिए वहां असीम संभावनाएं हैं। देश के उद्योगपति वहां इनकी फैक्ट्री लगाने के बारे में सोच सकते हैं।
कमल किशोर सक्सेना : चांद पर अपना तिरंगा पहुंचने के साथ ही विकास के नए द्वार खुले हैं। साथ ही कुछ आशंकाएं और संभावनाएं भी पैदा हुई हैं। पहले आशंकाओं की बात कर लेते हैं। अब आंख बंद करके महबूबा या पत्नी के चेहरे की तुलना चांद से नहीं की जा सकेगी। मानहानि के दावे का खतरा है, क्योंकि महबूबा और पत्नी भी अब चांद की असली सूरत से वाकिफ हो चुकी हैं। वहां तो बड़े-बड़े गड्ढे हैं।
अब ऐसे सभी फिल्मी गीत, कविताएं और शेर-ओ-शायरी भी निरर्थक मानी जाएंगी, जिनमें चांद को हाजिर-नाजिर मानकर प्रेमिका की शान में कसीदे काढ़े गए हैं। उनकी जगह महंगे और स्वास्थ्य वर्धक टमाटर, चुकंदर आदि से उनकी खूबसूरती की तुलना की जा सकती है। अब शादी तय करते समय लड़की को चांद या उसका टुकड़ा बताने पर पाबंदी लगानी होगी। यदि बताना आवश्यक ही होगा तो यह भी बताना होगा कि वह चांद के किस हिस्से का टुकड़ा है...उत्तरी ध्रुव या दक्षिणी ध्रुव का। पूरी दुनिया में अकेले हमने ही अभी तक दक्षिणी ध्रुव पर विजय हासिल की है। इसलिए अंतरिक्ष कानून के मुताबिक, जो अभी बना नहीं है, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर हमारी मिल्कियत है। ऐसे में विवाह योग्य कन्या को किसी और ध्रुव का बताना, स्वतः खारिज हो जाएगा।
इसरो के चंद्रयान-3 की लैंडिंग ने चांद पर संभावनाओं के तमाम द्वार भी खोल दिए हैं। हमारा देश तो ऐसे कर्मठ लोगों की मातृभूमि है, जो आपदा में भी अवसर खोज लेते हैं। अफसरों की नाक के नीचे सरकारी जमीन पर कब्जा कर लेने वाले भू-माफिया के लिए चांद सोने का अंडा देने वाली मुर्गी साबित हो सकता है। वे चाहें तो पूरा ग्रह नाप लें...फिलहाल कौन है मना करने या नोटिस देने वाला। इसी तरह दस फीट की गली में बीस मंजिला अपार्टमेंट खड़ा कर देने में दक्ष बिल्डरों के लिए भी सुनहरा मौका है। अमेरिका, रूस और चीन वहां बस्ती बसाने के बारे में सोचें, उसके पहले ही वे प्लाटिंग कर अपना बोर्ड लगा सकते हैं। कालोनी बना सकते हैं, माल खड़ा कर सकते हैं। अभी न तो कोई उसे अवैध बताने वाला है और न बुलडोजर चलवाने वाला।
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर बहुत ठंड भी पड़ती है। तापक्रम शून्य डिग्री से भी नीचे पहुंच जाता है। इसलिए धरती के रजाई-गद्दे वहां काम नहीं आएंगे। उस दशा में हीटर, ब्लोअर और नए किस्म के गरम हवा देने वाले एसी के कारोबार के लिए वहां असीम संभावनाएं हैं। देश के उद्योगपति वहां इनकी फैक्ट्री लगाने के बारे में सोच सकते हैं। विज्ञानियों को उम्मीद है कि वहां शायद बर्फ के रूप में पानी हो। मिल जाता है तो सोने पर सुहागा। वहां व्यापारी भाइयों के लिए आरओ, मिनरल वाटर या चंद्र नीर नाम से बोतलबंद पानी का कारोबार शुरू करने की प्रचुर संभावनाएं हैं। चूंकि पीएम मोदी ने कह दिया है कि अब चंदा मामा दूर के नहीं, बल्कि “टूर” के तो ट्रैवल आपरेटर भी सक्रिय हो सकते हैं।
चांद पर अभी किसी आबादी का पता नहीं चला है। पूरा ग्रह पाकिस्तान के सरकारी खजाने की तरह वीरान पड़ा है। यानी अगर किसी का दस का नोट वहां गिर जाए तो कोई उठाने वाला नहीं है। इसलिए हमारे चंद्रयान में चोरी-चकारी का कोई खतरा नहीं है, लेकिन जरा कल्पना कीजिए कि किसी और ग्रह का यान अपने देश में लैंड कर जाता तो! पहले तो यातायात पुलिस उसे ‘नो पार्किंग’ में बताकर उठवा लेती। फिर 1,100 या 2,100 रुपये जुर्माने के बाद वह छूटता और रात में रुक जाता तो उसकी स्टेपनी वगैरह हिस्से चोरी हो जाते।
अगले दिन वह निश्चित ही कोई प्रयोग करने के बजाय, सिर पर पैर रखकर उलटे वापस लौट जाता। मान लीजिए इसके बाद भी वह बेशर्मी से अड़ा रहता कि मिशन पूरा करके ही मानेंगे तो जानते हैं क्या नजारा होता। उधर एलियंस अपने कंट्रोल रूम में बैठे कमांड दे रहे होते और इधर उनका यान चोर बाजार में पुर्जा-पुर्जा होकर बिक रहा होता। एल्यूमीनियम, लोहा, वायरिंग और बाकी कलपुर्जे किलो के भाव कबाड़ी तौल रहा होता। एलियंस भूल कर भी दोबारा इधर का रुख न करते।