स्मृति इरानी। दिल्ली के वातानुकूलित कमरों में बैठकर जब स्वयंभू राजनीतिक पंडित राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की हार की पटकथा लिख रहे थे तब उन्हें कोई अंदाजा नहीं था कि मतदान बूथों पर इन प्रदेशों की महिलाएं, गरीब और मजदूर अपने मतों के प्रयोग से पूरी पटकथा का क्लाइमेक्स छाप रहे थे। क्लाइमेक्स था, जहां दूसरों से उम्मीद खत्म होती है, वहां से मोदी की गारंटी शुरू होती है।

प्रधानमंत्री के सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण के मंत्र पर जनता ने मुहर लगा दी। जिन राजनीतिक पंडितों को चुनाव से पहले यह बात समझ नहीं आ रही थी, वे भी नतीजों के बाद इसके विश्लेषण में लग गए। चुनाव नतीजों के यही निहितार्थ हैं कि तीनों राज्यों की महिलाओं ने पीएम मोदी की गारंटी पर पूरा विश्वास जताया है। यह जीत मोदी की गारंटी की जीत है।

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के नतीजों से यह बात साबित हुई कि जनता ने कांग्रेस की घोषणाओं के मुकाबले मोदी की गारंटी पर अधिक विश्वास जताया। चुनावों के दौरान बड़ी-बड़ी घोषणा करना और सरकार बनने के बाद धन का संकट बताकर वादों को टालना या उन्हें पूरा न करना बहुत आम बात है। इसीलिए घोषणा पत्र को लेकर मतदाताओं में असमंजस की स्थिति थी कि वादा करने वाली पार्टियां अपने वादे पूरे करेंगी या नहीं? मोदी की गारंटी ने मानो मतदाताओं की ऐसी सभी उलझनों को दूर कर दिया। पिछले नौ वर्षों में भारतीय राजनीति में मोदी नाम भरोसे और विश्वास की गारंटी बन गया है। किसी गारंटी के साथ मोदी का नाम जुड़ जाए तो जनता उस पर पूरा भरोसा करती है। यह विश्वास चुनाव परिणामों में दिख रहा है।

इन परिणामों में लोकसभा चुनाव के लिए दूरगामी संदेश निहित है, जिसे विपक्षी दल बखूबी समझ रहे हैं। इस कारण कांग्रेस के सहयोगी दलों में बेचैनी साफ दिख रही है। अब यह कोई प्रश्न ही नहीं बचा कि हिंदी पट्टी में सबसे लोकप्रिय पार्टी कौन है? जनादेश भाजपा को हौसला देने वाला और उसकी ताकत बढ़ाने वाला है। दूसरी ओर विपक्ष की निराशा और हताशा उसे बिखराव की तरफ ले जा रही हैं।

हिमाचल और कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भाजपा के लिए यह नैरेटिव बनाया गया कि प्रधानमंत्री मोदी का जादू सिर्फ लोकसभा चुनावों के दौरान ही चल सकता है, लेकिन इस झूठ की हवा भी निकल गई। लंबे समय तक सत्ता में रहने के बाद भाजपा ने मध्य प्रदेश में एक बार फिर धमाकेदार वापसी की। जबकि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस ने पांच साल में ही सत्ता गंवा दी। इन पांच सालों में भी वहां पार्टी के भीतर सत्ता की बंदरबांट को लेकर खींचतान की कहानियां किसी से छुपी नहीं रहीं। परिणामस्वरूप कांग्रेस को पांच साल में ही सत्ता गंवानी पड़ी। यह बातें दोनों दलों के शासन, माडल और मोदी की गारंटी पर जनता के विश्वास को स्पष्ट करती हैं।

मध्य प्रदेश को लेकर यह नैरेटिव बनाया गया कि कांग्रेस पूरे दमखम से चुनाव लड़ रही है और भाजपा पस्त है। ऐसा माहौल बना दिया गया कि कांग्रेस का आना तय है, लेकिन नतीजे कांग्रेस के लिए किसी झटके से कम नहीं थे। कांग्रेस को समझ ही नहीं आया कि इन राज्यों में आधी-आबादी मोदी की गारंटी पर पूरा भरोसा करने लगी है। इस अटल विश्वास के पीछे 2014 से महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं को लागू कर रहे प्रधानमंत्री मोदी की नीति थी। ऐसे में मोदी की गारंटी का रिटर्न गिफ्ट बनता था।

कांग्रेस ने राजस्थान में परिवार की महिला मुखिया को दस हजार रुपये सालाना और 400 रुपये में सिलेंडर का वादा किया था। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने महतारी न्याय योजना में सिलेंडर रीफिल पर 500 रुपये सब्सिडी महिला के खाते में पहुंचाने और सक्षम योजना के अंतर्गत कर्ज माफी की घोषणी की थी। ये वादे यकीनन लुभावने थे, पर उनके साथ मोदी की गारंटी नहीं थी। महिलाओं ने भाजपा को चुनकर संदेश दिया कि उन्हें चुनावी वादों के साथ मोदी की गारंटी चाहिए। बार-बार सनातनी विश्वास को ठेस पहुंचाने वाली कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों का यही रुख 2024 में भी रहा तो लोकसभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला करना उनके लिए बहुत मुश्किल होगा।

आज यदि भाजपा पर देश भर की महिलाएं अपना विश्वास जता रहीं हैं तो यह पार्टी की एक दिन की मेहनत का परिणाम नहीं, बल्कि नौ वर्षों से देश की बेहतरी के लिए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में किए गए निरंतर प्रयासों का प्रतिफल है। सरकार के कामकाज से महिलाओं के लिए उसका सोच स्पष्ट होता है। केंद्र सरकार की अधिकांश योजनाओं में लाभार्थी महिलाएं ही मिलेंगी। उज्ज्वला, प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएम मातृ वंदन योजना से लेकर महिलाओं के लिए शौचालय तक की चिंता की बात हो, सरकार हर मोर्चे पर मजबूती से महिलाओं के साथ खड़ी नजर आई। सिर्फ उज्ज्वला में ही नौ करोड़ से अधिक मुफ्त गैस सिलेंडर महिलाओं की सुविधा के लिए उनके घर तक पहुंचाया गया।

पीएम मातृ वंदना योजना में पहले बच्चे के जन्म पर महिला को 5,000 रुपये की आर्थिक सहायता मिलती है। मोदी सरकार ने इज्जतघर नाम देकर देश में करीब 11 करोड़ शौचालय बनवाए। प्रधानमंत्री आवास योजना में मालिकाना हक पाने वाली 80 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं। मुद्रा योजना में 27 करोड़ से अधिक महिलाओं को ऋण मिला, जिससे उनका सशक्तीकरण हुआ। इसी प्रकार 3.18 करोड़ महिलाओं के लिए सुकन्या समृद्धि योजना खाते खोले गए। दशकों से मुस्लिम परिवारों में चली आ रही तीन तलाक की कुप्रथा को मोदी सरकार ने ही खत्म किया। इसके बाद बड़ी संख्या में मुस्लिम परिवारों में भी महिलाएं मोदी सरकार की प्रशंसक और भाजपा की मतदाता बनी हैं।

हाल में सरकार ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम संसद में मंजूर कराया, जिससे महिलाओं के लिए संसद और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण का रास्ता साफ हुआ। जब देश में सबका साथ, सबका विकास का संकल्प लेकर चलने वाली एक सरकार हमारे पास है तो फिर कोई दूसरी सरकार क्यों चुने? आज का विमर्श यही बना है। इसके बाद लोकसभा चुनावों के लिए ‘अबकी बार 400 पार’ सिर्फ नारा नहीं रह गया। यह भारतीय जनमानस का विश्वास है। मोदी की गारंटी पर विश्वास।

(लेखिका केंद्रीय महिला एवं बाल विकास तथा अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री हैं)