जगत प्रकाश नड्डा : देश स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव वाले दौर से निकलकर अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कालजयी नेतृत्व में देश 2047 तक ‘विकसित भारत’ का संकल्प सिद्ध करने का लक्ष्य लेकर कर्तव्य पथ पर बढ़ चला है। गुलामी की मानसिकता को दरकिनार करते हुए आजादी की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है।

इस वर्ष के स्वतंत्रता दिवस की थीम भी यही रही कि ‘राष्ट्र पहले, हमेशा पहले।’ इसकी संपूर्ण झलक हमें एक दिन पहले स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी के लाल किले की प्राचीर से दिए गए संबोधन में मिली। प्रधानमंत्री का संबोधन 2047 के विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने का रोडमैप था। देश को परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टीकरण के नासूरों से मुक्त करने का एलान और ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के मूल मंत्र को साकार करने वाला संकल्प सूत्र था। यह संबोधन प्रेरणादायी होने के साथ ही देश के विश्वास एवं सामर्थ्य को प्रतिबिंबित करने वाला था।

स्वतंत्रता दिवस पर सीमावर्ती गांवों के ग्राम पंचायत प्रधानों को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। यह प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को सिद्ध करता है कि वह भारत के अंतिम गांव नहीं, बल्कि प्रथम गांव हैं। कार्यक्रम में किसान सम्मान निधि एवं कौशल विकास योजना के प्रतिभागी, किसान उत्पादक संगठनों के सदस्य, नई संसद भवन सहित सेंट्रल विस्टा परियोजना के श्रम योगी, अमृत सरोवर के लिए काम करने वाले श्रम योगी, खादी श्रमिक, सीमा सड़क निर्माण में काम करने वाले श्रमिक, प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक, नर्स और मछुआरे भी आमंत्रित थे। एक तरह से ये संपूर्ण भारत के नवनिर्माण में काम करने वाले हरेक श्रम योगी का सम्मान था जिन्हें पिछली सरकार पूछती तक नहीं थी।

सेवा और श्रम योगदान को विशेष रूप से मोदी सरकार द्वारा उचित सम्मान दिया गया है। संबोधन का एक बड़ा हिस्सा राष्ट्र की युवा शक्ति के नाम रहा। ये देश के युवा ही हैं जिन्होंने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने में मदद की है। ये देश के युवा ही हैं जिन्होंने प्रौद्योगिकी क्षेत्र में देश को सिरमौर बना दिया है। टीयर-2 और 3 शहरों में युवा विकास के केंद्र बन गए हैं। जब प्रधानमंत्री जी ने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि ‘सुनो चुनौती सीना तान, जग में बढ़ाओ देश का नाम’- तो यह दुनिया के सामने भारत के युवाओं के सामर्थ्य का एलान था। यह इस देश की क्षमता और सामर्थ्य को दर्शाता है। साथ ही, देश को आगे ले जाने के मोदी जी के संकल्प को भी प्रदर्शित करता है।

यह एक कटु सत्य है कि परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टीकरण गरीब, पिछड़े, आदिवासियों और दलितों का हक छीनते हैं। विकसित भारत के लक्ष्य के लिए हमें इन्हें जड़ से मिटाना ही होगा। हजार साल की गुलामी के बाद देश मोदी जी के नेतृत्व में संवर रहा है। आज हम जो भी कदम उठाएंगे, वे हजारों साल तक देश की दिशा निर्धारित करेंगे। आज देश की मातृशक्ति सफलता के नए आयाम गढ़ रही है। देश से आतंकवाद का सफाया हुआ है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कमी आई है और वहां विकास की कहानी शुरू हुई है। विकास को गांव-गांव, घर-घर तक पहुंचाने के कारण आए सकारात्मक बदलावों और रक्षा क्षेत्र में सुधारों के कारण सीमाएं अधिक सुरक्षित हुई हैं और देश की आंतरिक सुरक्षा मजबूत हुई है।

प्रधानमंत्री जी के लिए सारा देश ही उनका परिवार है। इसकी झलक भी हमें उनके संबोधन में दिखी जब उन्होंने बार-बार देशवासियों को परिवार-जन कहकर संबोधित किया। यही सेवा भाव, समर्पण भाव और परिवार भाव हमें औरों से अलग करता है। यह बात दीगर है कि इस देश में ऐसे राजनीतिक दल भी हैं जिसके नेता बार-बार जनता-जनार्दन का अपमान करने से भी नहीं चूकते। वे देश की जनता के लिए ‘राक्षस’ जैसे अपशब्दों का प्रयोग करते हैं।

रिफार्म, परफार्म और ट्रांसफार्म अब देश की कार्यसंस्कृति का हिस्सा बन गए हैं। इनके चलते नीतिगत स्थिरता, बेहतर समन्वय और ईज आफ डूइंग बिजनेस की स्थिति सुधरी है। इससे भारत एक आत्मविश्वासी राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित हुआ है। परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने ‘फ्रेजाइल फाइव’ से ‘टाप फाइव’ की यात्रा की है और अगले पांच वर्षों में हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति होंगे।

भ्रष्टाचार के प्रति मोदी सरकार की ‘जीरो टालरेंस’ नीति के कारण आज सरकार की हर योजना का लाभ सभी लाभार्थियों तक बिना किसी बिचौलिए के पहुंच रहा है जिससे लाभार्थियों का सशक्तीकरण हो रहा है। डीबीटी के तहत अब तक लगभग 27 लाख करोड़ रुपये लाभार्थियों के खातों में भेजे गए हैं। पीएम किसान सम्मान निधि, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, जन-धन, स्वच्छ भारत अभियान, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और पीएम आवास योजना जैसी योजनाएं जन-जन के जीवन में कल्याण लाने का माध्यम बनी हैं। यह बदलते भारत और आगे बढ़ते भारत की सुनहरी तस्वीर है।

आज भी कुछ स्वार्थी तत्वों की समझौतावादी एवं तुष्टीकरण की नीतियों की वजह से वोटबैंक के लालच में अंधे लोगों के कारण देश जूझ रहा है। हमें ऐसे स्वार्थी तत्वों से बचकर रहना होगा और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ऐसे विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करना है जहां परिवारवाद न हो, भ्रष्टाचार न हो, तुष्टीकरण न हो और सबके पास आगे बढ़ने के समान अवसर उपलब्ध हों।

प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन में ‘विश्व मित्र’ के रूप में राष्ट्र को संदर्भित किया गया है। अर्थात वैश्विक कल्याण में योगदान के कारण भारत आज सभी देशों के मित्र रूप में प्रस्थापित है। भारत ने वसुधैव कुटुंबकम् के सूत्र को चरितार्थ करते हुए ‘एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य’ का आह्वान किया है जिसे वैश्विक स्वीकृति और समर्थन मिला है। ‘राष्ट्र प्रथम’ मोदी सरकार का प्रमुख संकल्प बना हुआ है। देश का एक-एक पैसा अब देश की भलाई और कल्याण में निवेश किया जा रहा है।

(लेखक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं)