चमत्कृत करने वाली विजय: भारत ही नहीं दुनिया में भी दिखी टीम इंडिया की धमक
भारतीय क्रिकेट के तीनों दिग्गज एक वैश्विक खिताब के साथ शानदार विदाई ले रहे हैं। इसी विदाई में रवींद्र जडेजा ने भी भागीदार होकर सही कदम उठाया। अब जब टी-20 विश्व कप का विजेता बनकर भारत ने क्रिकेट जगत में फिर से अपनी धाक जमाई तब हमें इसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए कि हमारे खिलाड़ी अन्य प्रतिस्पर्धाओं में भी बेहतर प्रदर्शन कर देश-दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं।
भारत का टी-20 विश्वकप का विजेता बनना इसलिए कहीं अधिक बड़ी और हर भारतीय को उत्साहित करने वाली उपलब्धि है, क्योंकि यह 17 वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद हासिल हुई। भारत ने इसके पहले 2011 में एक दिवसीय विश्वकप का खिताब जीता था। इस बार भारत ने अजेय रहते हुए टी-20 का विश्वकप अपने नाम कर लिया और क्रिकेट प्रेमियों समेत अन्य लोगों को भी उत्साह-उमंग से भर दिया।
भारत यह खिताब इसलिए अपने नाम कर सका, क्योंकि कप्तान रोहित शर्मा के नेतृत्व वाली टीम जोश और आत्मविश्वास से तो भरी हुई थी, अंतिम क्षण तक हार न मानने के जज्बे से भी लैस थी। इसी कारण वे हार के जबड़े से जीत खींच लाए। इस चमत्कृत करने वाली कामयाबी के लिए पूरी टीम बधाई की पात्र है।
भारतीय टीम शानदार प्रदर्शन कर सकी तो इसीलिए कि उसने इस अवसर के लिए कहीं बेहतर तैयारी की थी इस तैयारी को बड़ा आधार प्रदान किया आइपीएल ने। आइपीएल के मुकाबलों ने न केवल युवा क्रिकेटरों की नई पौध तैयार की है, बल्कि उनमें कुछ कर गुजरने का जज्बा भी पैदा किया है। वास्तव में आइपीएल से केवल भारतीय क्रिकेट ही लाभान्वित नहीं हो रहा है, बल्कि दुनिया भर की टीमें अपने खेल कौशल को निखार रही हैं।
इस पर आश्चर्य नहीं कि टी-20 का विश्व विजेता बनते ही रोहित शर्मा और विराट कोहली ने क्रिकेट के इस प्रारूप से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। ऐसा करके उन्होंने न केवल एक उदाहरण स्थापित किया है, बल्कि नई प्रतिभाओं को आगे आने का अवसर भी दिया है। इस खिताब ने रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे सीनियर खिलाड़ियों की वर्षों की साध तो पूरी की ही, कोच राहुल द्रविड़ के गुरु ज्ञान को भी सार्थक कर दिया।
इससे बेहतर और कुछ नहीं कि भारतीय क्रिकेट के तीनों दिग्गज एक वैश्विक खिताब के साथ शानदार विदाई ले रहे हैं। इसी विदाई में रवींद्र जडेजा ने भी भागीदार होकर सही कदम उठाया। अब जब टी-20 विश्व कप का विजेता बनकर भारत ने क्रिकेट जगत में फिर से अपनी धाक जमाई तब हमें इसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए कि हमारे खिलाड़ी अन्य प्रतिस्पर्धाओं में भी बेहतर प्रदर्शन कर देश-दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं।
एथलेटिक्स, बैडमिंटन और कुश्ती जैसे खेलों में भारतीय खिलाड़ियों की सफलता देश के बढ़ते आत्मविश्वास का परिचायक है और इसका आधार पिछले कुछ दशकों में भारत के आर्थिक और सामाजिक जीवन में आया व्यापक बदलाव है। जब भी कोई देश आर्थिक रूप से सबल बनता है तो उसका सकारात्मक प्रभाव जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी दिखता है।
भारत को क्रिकेट और अन्य खेलों में अंतरराष्ट्रीय खिताब हासिल करने की अपनी ललक और बढ़ानी होगी। इस क्रम में देश के युवाओं को संयम, अनुशासन और कठिन परिश्रम की महत्ता को भी समझना होगा, क्योंकि टी-20 की यह ट्राफी हमारे क्रिकेटरों के इन्हीं गुणों से मिल सकी।