बाज नहीं आ रही हैं जिहादी ताकतें, गजवा-ए-हिंद का सपना देखने वाले जिहादियों की भारत में भी कमी नहीं
दुनिया में इस्लामी राज कायम करने की सनक पालने वाले किसी न किसी आतंकी संगठन का सदस्य बनते हैं। कट्टरपंथी और जिहादी सोच वाले किस तरह गजवा-ए-हिंद की सनक से ग्रस्त हैं इसका पता कुछ समय पहले बिहार के फुलवारी शरीफ से पीएफआइ के आतंकियों की गिरफ्तारी से चला था।
राजीव सचान: पिछले कुछ समय में राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआइए करीब-करीब हर हफ्ते देश के किसी न किसी हिस्से में छापेमारी करके संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी कर रही है। वह कभी पीएफआइ के आतंकी गिरफ्तार करती है, कभी किसी इस्लामिक स्टेट यानी आइएस के माड्यूल का भंडाफोड़ करती है और कभी अलकायदा की भारतीय उपमहाद्वीप शाखा के गुर्गों को पकड़ती है। इसके अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश आधारित आतंकी संगठनों के सदस्य भी उसके हाथ लगते रहते हैं। एनआइए की ओर से ताजा गिरफ्तारी जबलपुर में की गई। यहां से छह संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया। इसके पहले भी एनआइए और मध्य प्रदेश के आतंकवाद निरोधक दस्ते यानी एटीएस ने भोपाल और छिंदवाड़ा में 11 संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया था।
इसी दिन एनआइए और तेलंगाना के आतंकवाद निरोधक दस्ते ने हैदराबाद से भी पांच संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया था। ये सभी 16 संदिग्ध विदेशी आतंकी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर से जुड़े हैं। इस आतंकी संगठन का नेटवर्क 50 से अधिक देशों में फैला हुआ है। हालांकि उस पर 16 देशों में प्रतिबंध लग चुका है, लेकिन दुनिया पर इस्लामी राज कायम करने के उसके मंसूबे कायम हैं। यह संगठन अन्य देशों की तरह भारत में भी लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के स्थान पर इस्लामिक शरिया लाना चाहता है। मध्य प्रदेश एटीएस की मानें तो इसके लिए हिज्ब-उत-तहरीर ने राज्य में गुपचुप तरीके से अपना कैडर तैयार करना प्रारंभ कर दिया था और उसने एक आतंकी शिविर भी कायम कर रखा था।
मध्य प्रदेश पहले से आतंकियों की गतिविधियों का केंद्र रहा है। किस्म-किस्म के आतंकी संगठन शायद इसलिए मध्य प्रदेश में आसानी से जड़ें जमा लेते हैं, क्योंकि यह एक अन्य आतंकी संगठन सिमी यानी स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया का गढ़ रहा है। इसके अलावा मध्य प्रदेश प्रतिबंधित आतंकी संगठन पीएफआइ की गतिविधियों का भी केंद्र रहा है। मध्य प्रदेश से जब-तब सिमी और पीएफआइ के आतंकी गिरफ्तार किए जाते रहे हैं। वास्तव में पीएफआइ की सक्रियता केवल मध्य प्रदेश में ही नहीं, सारे देश में है। वह दक्षिण भारत में भी उतना ही सक्रिय है, जितना उत्तर भारत में। उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन उसके गुर्गे आतंकी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश करते ही रहते हैं। इसी क्रम में वे गिरफ्तार भी होते रहते हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि उनके दुस्साहस में कोई कमी नहीं आ रही है।
यह सही है कि एनआइए किस्म-किस्म के आतंकी संगठनों पर निगाह रखे हुए है और अक्सर उनके सदस्यों को गिरफ्तार भी करती रहती है, लेकिन जिस तरह नए-नए आतंकी संगठन सिर उठाते रहते हैं, उससे यही लगता है कि भारत में सक्रिय जिहादी ताकतों पर देश में इस्लामी राज कायम करने का फितूर वैसे ही सवार है, जैसे पाकिस्तान के जिहादी तत्वों और आतंकी संगठनों पर। पाकिस्तान के जिहादी और कट्टरपंथी तत्वों की सनक के पीछे एक नितांत झूठी और फर्जी हदीस है, जो कथित रूप से गजवा-ए-हिंद की बात करती है। यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि पाकिस्तान की तरह भारत में भी गजवा-ए-हिंद का सपना देखने वाले जिहादी तत्वों की कमी नहीं।
आम तौर पर ऐसा सपना देखने या फिर सारी दुनिया में इस्लामी राज कायम करने की सनक पालने वाले ही किसी न किसी आतंकी संगठन का सदस्य बनते हैं। कट्टरपंथी और जिहादी सोच वाले किस तरह गजवा-ए-हिंद की सनक से ग्रस्त हैं, इसका पता कुछ समय पहले बिहार के फुलवारी शरीफ से पीएफआइ के आतंकियों की गिरफ्तारी से चला था। उनके पास से 2047 तक भारत को इस्लामी देश बनाने का दस्तावेज बरामद किया गया था। इसके अलावा गिरफ्तार आतंकी गजवा-ए-हिंद नामक एक वाट्सएप ग्रुप से जुड़े थे, जिसका एडमिन पाकिस्तान का फैजान नामक व्यक्ति था।
21वीं सदी के इस युग में कोई पागल और सनकी ही गजवा-ए-हिंद सरीखी वाहियात बात पर यकीन कर सकता है, लेकिन कट्टर मानसिकता कुछ भी करा सकती है। पीएफआइ, आइएस, अलकायदा जैसे आतंकी संगठन इसी सनक से ग्रस्त हैं कि सारी दुनिया में इस्लामी राज कायम करने की जरूरत है। इसी तरह की सनक वाला संगठन हिज्ब-उत-तहरीर है। ऐसे संगठन छल-कपट से मतांतरण कराने का भी काम कराते हैं-कुछ उसी तरह से जैसे फिल्म द केरल स्टोरी में चित्रित किया गया है। स्पष्ट है कि यह एक काल्पनिक फिल्म नहीं है, जैसा कि वे लोग दावा कर रहे हैं, जिन्हें यह फिल्म रास नहीं आ रही है।
पिछले दिनों भोपाल, छिंदवाड़ा और हैदराबाद से गिरफ्तार किए गए हिज्ब-उत-तहरीर के 16 सदस्यों में से आठ पहले हिंदू थे। इनमें एक भोपाल का सौरभ राजवैद्य है, जो सलीम बन गया। इसी तरह देवी प्रसाद अब्दुर्रहमान बन गया और हैदराबाद के वेणु कुमार ने खुद को अब्बास अली में तब्दील कर लिया। सौरभ ने अपनी पत्नी को भी इस्लाम कुबूल करा दिया था। यही काम देवीप्रसाद और वेणु कुमार ने भी किया। ये सभी पढ़े-लिखे हैं।
सौरभ तो प्रोफेसर था। उसके पिता बताते हैं कि वह दादी की फोटो से घृणा करने लगा था। उसे उनके भजन गाने से भी आपत्ति थी। उसने अपनी बहनों से राखी बंधवाने से इन्कार कर दिया था। यह क्या बताता है? यही कि मतांतरित व्यक्ति अपनी संस्कृति और सभ्यता का बैरी बन बैठता है। इस पर गौर करें कि द केरल स्टोरी की मतांतरित लड़कियों का आचरण भी सौरभ जैसा हो गया था। वास्तव में इसीलिए मतांतरण को राष्ट्रांतरण कहा जाता है। स्पष्ट है कि जिहादी ताकतें देश की सुरक्षा के साथ संस्कृति और सभ्यता के लिए भी खतरा हैं।
(लेखक दैनिक जागरण में एसोसिएट एडिटर हैं)