विश्व में पैठ बढ़ाएगी नई व्यापार नीति, निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने में सक्षम हो सकेगा भारत
नई विदेश व्यापार नीति के तहत सरकार ने निर्यात के दायरे को बढ़ाने के लिए जिला स्तर पर एक्सपोर्ट हब की स्थापना करने की घोषणा की है। वित्त वर्ष 2023-24 में 75 जिलों में एक्सपोर्ट हब बनाए जा सकते हैं। इससे निर्यात से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी दूर होगी।
डा. जयंतीलाल भंडारी : देश की नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) एक अप्रैल से लागू हो गई है। इसमें विदेश व्यापार रुपये में लेनदेन किए जाने संबंधी महत्वपूर्ण प्रविधान किए गए हैं। इससे पूरी दुनिया में भारतीय रुपये की अहमियत बढ़ेगी। रुपया दुनिया के मुद्रा बाजार में नई छलांग लगाएगा। देश का डालर संकट कम होगा। डालर के मुकाबले रुपये को मजबूती मिलेगी। यह कोई छोटी बात नहीं है कि दुनिया के 18 देशों के साथ रुपये में व्यापार की सहमति बन चुकी है और रूस, श्रीलंका एवं मारीशस के साथ रुपये में व्यापार शुरू भी हो गया है।
गौरतलब है कि पिछली विदेश व्यापार नीति 2015 में लागू की गई थी। इसके समाप्त होने का समय 2020 था, लेकिन कोरोना के कारण 2022 में इसे 31 मार्च, 2023 तक बढ़ा दिया गया। अब सरकार ने नई नीति को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नए नियमों के अनुरूप बनाया है। पहले विदेश व्यापार नीति पांच वर्षों के लिए होती थी, लेकिन अब नई नीति की कोई अंतिम तारीख नहीं है। लिहाजा इसमें समय-समय पर संशोधन किए जा सकेंगे।
नई विदेश व्यापार नीति के तहत सरकार ने निर्यात के दायरे को बढ़ाने के लिए जिला स्तर पर एक्सपोर्ट हब की स्थापना करने की घोषणा की है। वित्त वर्ष 2023-24 में 75 जिलों में एक्सपोर्ट हब बनाए जा सकते हैं। इससे निर्यात से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी दूर होगी। सरकार एक जिला-एक उत्पाद की पहचान का काम पहले ही पूरा कर चुकी है। जिला स्तर पर निर्यात सुविधा विकसित होने से उस जिले के उत्पाद को आसानी से निर्यात किया जा सकेगा। ऐसे प्रयास से सभी राज्यों को निर्यात में हिस्सेदार बनने का मौका मिलेगा। वहां रोजगार में भी बढ़ोतरी होगी।
सरकार ने टाउंस आफ एक्सपोर्ट एक्सीलेंस (टीईई) की सूची में चार नए शहर शामिल किए हैं। इसके पहले 39 शहरों को टीईई का दर्जा प्राप्त है। ई-कामर्स के माध्यम से होने वाले निर्यात के प्रोत्साहन के लिए अलग से ई-कामर्स जोन की स्थापना का भी एलान किया गया है। कूरियर सेवा के माध्यम से होने वाले निर्यात की मूल्य सीमा को पांच लाख रुपये से बढ़कर 10 लाख रुपये प्रति खेप कर दिया गया है। इससे ई-कामर्स निर्यात वर्ष 2030 तक 300 अरब डालर तक पहुंच सकता है। खास बात यह भी है कि नई एफटीपी के तहत आवेदनों का डिजिटलीकरण किया जाएगा तथा आवेदकों को स्वचालन प्रणाली के जरिये मंजूरी दी जाएगी। पहले निर्यात संबंधी विभिन्न मंजूरियों में तीन दिन से लेकर एक महीने का समय लगता था, अब यह मंजूरी एक दिन में मिलेगी। निर्यातक खुद ही वस्तुओं को सत्यापित कर सकेंगे। निर्यात लाइसेंस शुल्क में कटौती की गई है। अब निर्यातक उन वस्तुओं का निर्यात भी कर सकेंगे, जिनके निर्यात पर भारत में प्रतिबंध होगा।
नई विदेश व्यापार नीति ऐसे समय में लागू की गई है, जब वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच भी भारत का निर्यात बढ़ रहा है। उभरते हुए वैश्विक आर्थिक परिदृश्य भारत के निर्यात को बढ़ाने में मददगार साबित हुए हैं। वित्त वर्ष 2021-22 में करीब 676 अरब डालर मूल्य की वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात किया गया था, वह वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़कर 760 अरब डालर से भी अधिक हो गया। अकेले 56 अरब डालर से अधिक का कृषि निर्यात किया।
यह धारणा भी बदल रही है कि भारत प्राथमिक जिंसों का ही बड़ा निर्यातक है। अब भारत द्वारा अधिक से अधिक मूल्यवर्धित और उच्च गुणवत्ता वाले सामानों का निर्यात भी किया जा रहा है। पिछले दो साल में कुल आइटी सेवाओं के निर्यात में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि पिछले वर्ष देश से निर्यात बढ़ाने में भारत द्वारा यूएई और आस्ट्रेलिया के साथ किए गए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की प्रभावी भूमिका रही है। इसके अलावा चीन के प्रति वैश्विक नकारात्मकता और अमेरिका एवं कई अन्य देशों के साथ चीन के व्यापार संबंधों में कड़वाहट का भी भारत से निर्यात बढ़ाने में योगदान रहा है।
अब नई विदेश व्यापार नीति के तहत 2030 तक दो लाख करोड़ डालर मूल्य के वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पाने के लिए हमें कई बातों पर ध्यान देना होगा। देश से निर्यात बढ़ाने के लिए अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण की रफ्तार तेज करने, शोध और नवाचार तथा श्रमशक्ति को नई डिजिटल कौशल योग्यता से सुसज्जित करना होगा। देश के उद्योग-कारोबार जगत द्वारा उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआइ) का अधिकतम लाभ लेते हुए इसके कारगर क्रियान्वयन से चीन से व्यापार असंतुलन कम करने के लिए अधिकतम प्रयास करने होंगे।
भारत द्वारा यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा, खाड़ी सहयोग परिषद के छह देशों, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और इजरायल के साथ मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देना होगा। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल रुपये की जो प्रायोगिक शुरुआत की गई है, उसे अब शीघ्रता से विस्तारित करना होगा। विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा निर्यातकों को निर्यात लाभ का दावा रुपये में करने में सक्षम बनाए जाने संबंधी जो महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है, उसके कारगर क्रियान्वयन से भारत के निर्यात बढ़ते हुए दिखाई देंगे। देश की नई लाजिस्टिक नीति, 2022 और गति शक्ति योजना से भारत को आर्थिक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में तेजी से बढ़ाना होगा। इस वर्ष जी-20 की अध्यक्षता की कमान रखते हुए मेक इन इंडिया, मेक फार ग्लोबल और मैन्यूफैक्चरिंग हब की डगर पर आगे बढ़कर निर्यात को ऊंचाई देनी होगी। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में पहचान बनाते हुए दिखाई देगी।
(लेखक एक्रोपोलिस इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च, इंदौर के निदेशक हैं)