जागरण संपादकीय: सहकारी क्षेत्र में नई जान फूंकते पैक्स, बेरोजगारी खत्म होने के साथ बढ़ेगी किसानों की आय
पैक्स ग्रामीण विकास की रीढ़ हैं। इसलिए इनके सुदृढ़ीकरण और पुनरुद्धार से बहुत जल्द ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा मिलेगा। पैक्स से जुड़ी गतिविधियों के बढ़ने से जहां मौसमी बेरोजगारी खत्म होने की उम्मीद की जा रही है वहीं इससे करीब एक लाख पैक्स से सीधे जुड़े 13 करोड़ किसानों को विशेषरूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आय सृजन में फायदा होगा।
शाजी के वी। दुनिया भर में ‘अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025’ के स्वागत की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। यह ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत का सहकारिता क्षेत्र मजबूत स्थिति में है और देशभर में नई, मजबूत एवं तेजी से उभरती हुई प्राथमिक कृषि ऋण समितियों यानी पैक्स का प्रसार हो रहा है।
आर्थिक और प्रशासनिक सुधारों से लैस ये पैक्स अब ग्रामीण और कृषि प्रधान भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के सपने को साकार करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। यद्यपि भारत में सहकारिता का गौरवशाली इतिहास रहा है, लेकिन कुप्रबंधन, संकट के समय पर्याप्त सरकारी समर्थन की कमी और आवश्यक सुधारों की अनुपस्थिति के कारण इसका विकास बाधित रहा है।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपने दूसरे कार्यकाल में सहकारिता मंत्रालय का गठन करने और गृहमंत्री अमित शाह को इसकी कमान सौंपने के तुरंत बाद सहकारिता क्षेत्र में बदलाव की बयार बहने लगी। सहकारिता की क्षमता को अब देश के भविष्य को आकार देने वाले क्षेत्र के रूप में देखा जा रहा है।
अमित शाह सहकारिता क्षेत्र के पुराने जानकार हैं। वह सहकारिता क्षेत्र के विकास में बाधा डालने वाले कारणों से अच्छी तरह परिचित हैं। इन बाधाओं में पैक्स के विविधीकरण की कमी थी, जिसने उन्हें लगभग अव्यवहार्य बना दिया था।
अमित शाह ने पैक्स के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण कार्य किया, वह उनके बायलाज यानी उप-नियमों में बदलाव लाना था। पैक्स की समस्याओं से छुटकारे के लिए माडल बायलाज लाकर उन्हें बहुद्देश्यीय बनाने पर जोर दिया जा रहा है। इससे पैक्स को अपने व्यवसाय को 25 से अधिक व्यावसायिक गतिविधियों से जोड़कर विविधता लाने में मदद मिली है।
अब वे कामन सर्विस सेंटर के रूप में काम कर रहे हैं, जो ग्रामीण भारत में 300 से अधिक ई-सेवाएं जैसे-बैंकिंग, बीमा, आधार नामांकन/अपडेशन, स्वास्थ्य सेवाएं, पैन कार्ड और आइआरसीटीसी/बस/हवाई टिकट आदि सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। अब तक 35,000 से अधिक पैक्स ने ग्रामीण नागरिकों को ये सेवाएं प्रदान करना शुरू कर दिया है।
इसके साथ ही अब उन्हें प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र, जल समितियों, एलपीजी वितरकों, खुदरा पेट्रोल/डीजल दुकानों, किसान उत्पादक संगठनों आदि के रूप में कार्य करने में भी सक्षम बनाया जा रहा है। पैक्स अब गांवों में सस्ती दरों पर गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाओं के वितरण के लिए प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के रूप में भी काम कर रहे हैं, जिससे ग्रामीण आबादी के लिए सस्ती दवाएं उपलब्ध कराते हुए आय का एक और स्रोत पैदा हो रहा है। ये सभी प्रयास पैक्स की आय बढ़ाने और उन्हें आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए किए जा रहे हैं।
सहकारिता मंत्रालय का अगला महत्वपूर्ण कार्य इस क्षेत्र में लोगों का विश्वास जीतना है, जो दशकों से कुप्रबंधन से ग्रस्त था। इसमें पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए 63,000 पैक्स का कंप्यूटरीकरण किया जा रहा है। अब तक 23 हजार से अधिक पैक्स को एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग साफ्टवेयर के साथ एकीकृत किया भी जा चुका है। पैक्स के कंप्यूटरीकरण से उन्हें सीधे राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक यानी नाबार्ड से जोड़ा जा सकेगा। कामन अकाउंटिंग सिस्टम और मैनेजमेंट इन्फार्मेशन सिस्टम से संचालन में एकरूपता आएगी।
इससे पैक्स संचालन में जनता का विश्वास बढ़ेगा। सहकारिता क्षेत्र में हुई इन अनूठी पहलों से यह क्षेत्र अब नए आत्मविश्वास के साथ पूरे देश में संगठित रूप में काम कर रहा है, जो इसके लिए बहुत फायदेमंद है। सहकारिता मंत्री के रूप में अमित शाह ने अब सहकारी क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों से जिला सहकारी बैंकों में बैंक खाते खोलने का आह्वान किया है, ताकि उन्हें व्यवहार्य बनाया जा सके।
उनके अनुसार, सहकारी समितियों के बीच सहयोग एक मजबूत आर्थिक सिद्धांत है, जो मजबूत सहकारी क्षेत्र के निर्माण के लिए जरूरी है। वर्ष 2024 में सहकारिता मंत्रालय का दूसरी बार कार्यभार संभालते हुए अमित शाह ने जमीनी स्तर पर नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करके इस क्षेत्र को मजबूत करने का संकल्प लिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि उनके पिछले कार्यकाल में नीतिगत ढांचा बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था और वर्तमान कार्यकाल में उनकी प्राथमिकता इन नीतियों को जमीनी स्तर तक ले जाने की होगी।
सहकारिता मंत्रालय द्वारा की गई सबसे महत्वपूर्ण पहल में से एक सहकारी क्षेत्र में ‘विश्व का सबसे बड़ा विकेंद्रीकृत अनाज भंडारण कार्यक्रम’ है। इस योजना का उद्देश्य पैक्स स्तर पर अनाज भंडारण के लिए विकेंद्रीकृत गोदाम, कस्टम हायरिंग सेंटर, प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयां और अन्य कृषि अवसंरचनाएं बनाना है। इन गोदामों का उद्देश्य कृषि और इससे जुड़े कामों के लिए इस्तेमाल करना है।
कृषि अवसंरचना कोष, कृषि विपणन अवसंरचना, कृषि यंत्रीकरण पर उप-मिशन, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का औपचारिकीकरण आदि सरकार की विभिन्न कार्यक्रमों को मिलाकर इस योजना का उद्देश्य देश के लिए एक विशाल भंडारण क्षमता का निर्माण करना है। इससे खाद्यान्न की बर्बादी और परिवहन लागत में कमी आएगी, किसानों को उनकी उपज के बेहतर दाम मिलेंगे और विभिन्न कृषि जरूरतों को पैक्स स्तर पर ही पूरा किया जा सकेगा।
चूंकि पैक्स ग्रामीण विकास की रीढ़ हैं। इसलिए इनके सुदृढ़ीकरण और पुनरुद्धार से बहुत जल्द ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा मिलेगा। पैक्स से जुड़ी गतिविधियों के बढ़ने से जहां मौसमी बेरोजगारी खत्म होने की उम्मीद की जा रही है, वहीं इससे करीब एक लाख पैक्स से सीधे जुड़े 13 करोड़ किसानों को विशेषरूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आय सृजन में फायदा होगा।
(लेखक राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक-नाबार्ड-के अध्यक्ष हैं)