बिहार सरकार की सराहनीय पहल, योग से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होगा बेहतर
यह ध्यान देने वाली बात है कि गलत योग नुकसान भी पहुंचा सकता है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि संबंधित योग प्रशिक्षक एनसीईआरटी से मान्यता प्राप्त योग संस्था से प्रशिक्षित हों। शिक्षकों को कौशल विकास योजना के अंतर्गत सरकार योग का प्रशिक्षण दिला सकती है।
बिहार के सभी प्रारंभिक विद्यालयों में पहली कक्षा से ही अब बच्चे योग सीखेंगे। यह एक सराहनीय निर्णय है। इससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास बेहतर होगा। योग से बच्चों का शरीर सक्रिय और लचीला बनने के साथ प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है और वे बीमारियों से बच पाते हैं। प्रतिदिन योग करने से बच्चों के मस्तिष्क का विकास सही रूप में होता है। बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने में भी योग बहुत उपयोगी है। योगासन से बच्चे तनाव और अवसाद जैसी समस्याओं से बचते हैं।
दुनियाभर के स्कूल अब यह स्वीकार करने लगे हैं कि सकारात्मक सोच और बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए उनको नियमित योग करवाना चाहिए। बहुत पहले प्रदेश के स्कूलों में व्यायाम की कक्षा संचालित होती थी, जो अब लगभग बंद हो गई है। एक बार फिर इस व्यवस्था को लागू किया जा रहा है। इसके साथ यह भी देखा जाना चाहिए कि प्रदेश के कितने स्कूल ऐसे हैं, जहां खेल के मैदान नहीं हैं। वहां खेल का मैदान बनाकर बच्चों को न केवल योग बल्कि खेलकूद जैसी गतिविधियों से भी जोड़ना चाहिए, क्योंकि कोरोना काल में सर्वाधिक नुकसान बच्चों का ही हुआ है। ऐसे में राज्य के सभी विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा, खेल एवं योग को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय स्वागत योग्य है।
यह व्यवस्था दी गई है कि मूल्यांकन के आधार पर बोर्ड के नीचे की सभी कक्षाओं के छात्र छात्रओं के रिपोर्ट कार्ड में अंक दिए जाएंगे। सरकार का सोच है कि अगर पहली कक्षा से बच्चे योग करेंगे या खेल से जुड़ेंगे तो जीवन भर के लिए यह अभ्यास में शामिल हो जाएगा। योग के प्रशिक्षण में कई तरह की सावधानियां बरतनी जरूरी हैं। योग सिखाने की जिम्मेदारी स्कूल में व्यायाम शिक्षक की होती है।