संसद में शोरगुल के बीच मोबाइल फोन पर अनचाही काल से मुक्ति दिलाने समेत अन्य समस्याओं का निदान करने वाले टेलीकाम विधेयक का लोकसभा में पेश होना इसलिए उल्लेखनीय है, क्योंकि ऐसे किसी कानून की सख्त आवश्यकता थी, जो लोगों को इस समस्या से निजात दिला सके। ऐसे किसी कानून की आवश्यकता इसलिए और बढ़ गई थी, क्योंकि अभी तक अनचाही काल से छुटकारा पाने के लिए जो भी उपाय किए गए, वे निष्प्रभावी ही साबित हुए। सच तो यह है कि समय के साथ अनचाही काल आने का सिलसिला तेज हो गया था।

ऐसी काल करने वाली कंपनियों पर कोई लगाम इसलिए नहीं लग पा रही थी, क्योंकि दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण यानी ट्राई के पास ऐसी कंपनियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने का अधिकार नहीं था। यह प्राधिकरण इन कंपनियों पर कोई जुर्माना भी नहीं लगा सकता था। यदि टेलीकाम विधेयक कानून का रूप ले लेता है तो अनचाही काल करने वाली कंपनियों पर न केवल आर्थिक दंड लगाना संभव होगा, बल्कि उनकी सेवाएं भी बंद की जा सकती हैं। यह अच्छा है कि उक्त विधेयक में यह भी प्रविधान किया गया है कि उपभोक्ताओं की अनुमति के बिना प्रमोशनल काल के साथ-साथ ऐसे वीडियो और टेक्स्ट मैसेज भेजने पर भी पाबंदी होगी।

टेलीकाम विधेयक का एक महत्वपूर्ण प्रविधान यह भी है कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकने वाले उपकरणों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा सकेगी। टेलीकाम विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद सरकार को सबसे पहला काम यह करना चाहिए कि देश में कार्यरत दूरसंचार कंपनियां चीनी उपकरणों का इस्तेमाल न कर सकें। यह इसलिए जरूरी है, क्योंकि चीनी उपकरण जासूसी का एक बड़ा जरिया हैं। एक ऐसे समय जब संचार तकनीक की उपयोगिता बढ़ती जा रही है, तब इसका कोई औचित्य नहीं कि दूरसंचार कंपनियां चीन सरीखे उन देशों के उपकरणों का इस्तेमाल करें, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं। टेलीकाम विधेयक में संचार सेवाओं को भरोसेमंद बनाने के साथ ही साइबर सुरक्षा को सुदढ़ करने वाले भी उपाय किए गए हैं।

ऐसे उपाय समय की मांग हैं, क्योंकि साइबर अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कई मामलों में यह देखने में आया है कि साइबर अपराधियों को पकड़ना तो दूर रहा, उनकी पहचान तक करना कठिन हो जाता है। यह ठीक है कि विदेशी धरती से किए जाने वाले साइबर अपराधों पर लगाम लगाना कठिन है, लेकिन कम से कम यह तो होना ही चाहिए कि देश के भीतर सक्रिय जो तत्व साइबर अपराध करते हैं, उनकी पहचान करके उनके खिलाफ आसानी से कार्रवाई की जा सके। मोबाइल फोन के जरिये ठगी और एप के माध्यम से धोखाधड़ी के बढ़ते मामले कोई शुभ संकेत नहीं। सरकार को दूरसंचार कंपनियों को जवाबदेह बनाने के साथ ही इंटरनेट मीडिया कंपनियों की मनमानी पर भी लगाम लगाने के लिए वैसे उपाय करने चाहिए, जैसे कई अन्य देशों ने कर रखे हैं।