पिछले कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर में आतंकी जिस तरह सक्रिय होते दिख रहे हैं, वह चिंताजनक है। उनकी बढ़ती हुई सक्रियता का अर्थ है कि न तो सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ पर लगाम लग पा रही है और न ही उनके दुस्साहस का दमन हो पा रहा है। यह ठीक है कि बीते दिनों कुलगाम में दो मुठभेड़ों में छह आतंकी मारे गए, लेकिन हम इसकी अनदेखी नहीं कर सकते कि इस दौरान हमारे दो जवान बलिदान हुए।

आतंकियों को मार गिराने के क्रम में सुरक्षा बलों के क्षति उठाने का सिलसिला बंद होना चाहिए। यह सिलसिला पाकिस्तान प्रायोजित छद्म युद्ध का ही परिचायक है। यह ठीक नहीं कि इसकी कीमत भारत तो चुका रहा है, लेकिन पाकिस्तान का कुछ नहीं बिगड़ रहा है। अच्छा यह होगा कि आतंकवाद के खिलाफ अभियान इस तरह चलाया जाए, जिससे सुरक्षा बलों को क्षति न उठानी पड़े।

इसके साथ ही इस पर भी गंभीरता से विचार करना होगा कि पाकिस्तान को आतंकियों की घुसपैठ कराने और उनकी सहायता करने से कैसे रोका जाए। इस पर विचार इसलिए आवश्यक है, क्योंकि पहले सर्जिकल स्ट्राइक और फिर एयर स्ट्राइक के जरिये पाकिस्तान को जो सबक सिखाया गया था, वह उसे भूल चुका है।

पाकिस्तान को नए सिरे से सबक सिखाना इसलिए जरूरी है, क्योंकि उसकी ओर से प्रायोजित आतंकवाद के चलते जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों के साथ-साथ सुरक्षा बल के जवान भी निशाना बन रहे हैं।

भारत सरकार को यह समझना ही होगा कि पाकिस्तान जब तक जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ कराने और उन्हें हथियार उपलब्ध कराने में समर्थ बना रहेगा, तब तक आतंकवाद पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता। यह पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद फैलाने का ही प्रतिफल है कि यहां सक्रिय आतंकियों के दुस्साहस पर लगाम नहीं लग पा रही है।

इसका प्रमाण यह है कि बीते दिनों आतंकियों ने पहले राजौरी में सेना के एक ठिकाने पर हमला किया, फिर कठुआ में। इन दोनों घटनाओं में भी सेना को क्षति उठानी पड़ी। इसके पहले भी जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी घटनाएं घट चुकी हैं, जिनमें नागरिकों के साथ सेना को भी क्षति उठानी पड़ी है।

चिंता की बात यह है कि इधर आतंकी जम्मू और कश्मीर, दोनों क्षेत्रों में अपनी गतिविधियां बढ़ाते हुए दिख रहे हैं। एक ऐसे समय जब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारी की जा रही है, तब आतंकियों को सिर उठाने का मौका बिल्कुल भी नहीं दिया जाना चाहिए।

इसमें सफलता तभी मिलेगी, जब एक ओर जहां जम्मू-कश्मीर में अलगाव और आतंक के खुले-छिपे समर्थकों के खिलाफ कड़ाई बरती जाएगी, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान को भी यह सीधा संदेश दिया जाएगा कि वह आतंकवाद को बढ़ावा देकर चैन से नहीं रह सकता। पाकिस्तान तब तक सीधे रास्ते पर नहीं आने वाला, जब तक उसे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद फैलाने की कीमत नहीं चुकानी पड़ती।