छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ इलाके में 30 से अधिक नक्सलियों को मार गिराने में मिली सफलता इसका परिचायक है कि केंद्र और राज्य सरकार नक्सली संगठनों का सफाया करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस प्रतिबद्धता का परिचय इससे मिलता है कि छत्तीसगढ़ में इस वर्ष अब तक 180 से अधिक नक्सली मारे जा चुके हैं। यह संख्या इसलिए उल्लेखनीय है कि पिछले पांच वर्षों में दो सौ के करीब ही नक्सली मारे जा सके। इससे पता चलता है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार आने के बाद से नक्सलियों के खिलाफ कहीं अधिक सख्ती का परिचय दिया जा रहा है।

वैसे तो पिछली कांग्रेस सरकार भी नक्सलियों के खिलाफ सक्रिय थी, लेकिन वह अक्सर ढुलमुल नजर आती थी और वह भी तब, जब नक्सलियों ने कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को निशाना बनाया था। यदि नक्सलियों से निपटना है तो उनके प्रति सख्त रवैया अपनाना होगा और उन्हें यह संदेश भी देना होगा कि वे बंदूक के बल पर व्यवस्था परिवर्तन करने और संविधान एवं लोकतंत्र खत्म करने का मुगालता छोड़ दें। चूंकि नक्सली बार-बार के आग्रह के बाद भी हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने से इन्कार कर रहे हैं, इसलिए उनका दमन करने के अतिरिक्त और कोई उपाय नहीं। नक्सली नेता और उनके समर्थक भले ही यह झूठा प्रचार करें कि नक्सली संगठन गरीब आदिवासियों के हितों के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन सच यह है कि वे आतंक के बल पर उगाही करने वाले गिरोह में तब्दील हो गए हैं। तथ्य यह भी है कि वे जिन आदिवासियों के हितैषी होने का दिखावा करते हैं, उन्हें ही विकास और जनकल्याणकारी योजनाओं से वंचित करने का कुचक्र रचते हैं। वास्तव में वे निर्धन आदिवासियों के सबसे बड़े शोषक हैं।

मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से नक्सली संगठनों के खिलाफ जो सख्ती दिखाई गई है, उसके चलते एक बड़ी हद तक उनकी कमर टूटी है। इतना ही नहीं, उनके दायरे को सीमित करने में भी सफलता मिली है। उन्हें पूरी तरह निष्प्रभावी करने का अभियान चलते रहना चाहिए, क्योंकि अतीत में यह देखने में आ चुका है कि सुरक्षा बलों के दबाव के चलते वे कुछ समय के लिए निष्क्रिय होकर फिर से अपनी ताकत जुटा लेते हैं। अब उन्हें फिर से संगठित और ताकतवर होने का मौका नहीं दिया जाना चाहिए।

इसके लिए यह आवश्यक है कि छत्तीसगढ़ की तरह उसके पड़ोसी राज्य भी नक्सलियों का खात्मा करने के लिए कमर कसें और केंद्र सरकार के साथ पूरा सहयोग करें। ऐसा करके ही मार्च 2026 तक नक्सलियों का सफाया करने के लक्ष्य को पाया जा सकता है। अब जब नक्सलियों की ताकत घटती जा रही है, तब यह देखने की भी जरूरत है कि उन्हें आधुनिक हथियार कहां से मिल रहे हैं? इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि गत दिवस मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों के पास से एके-47 जैसे हथियार मिले हैं।