प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह कहकर कांग्रेस पर पलटवार ही नहीं किया, बल्कि उसकी बोलती बंद करने का भी काम किया कि उनकी औकात तो बस सेवा करने की है। उन्हें इसलिए ऐसा कहना पड़ा, क्योंकि कुछ दिन पहले कांग्रेस के नेता मधुसूदन मिस्त्री ने पार्टी का घोषणा पत्र जारी करते हुए यह कहा था कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को औकात दिखा देंगे। अभी यह कहना कठिन है कि मधुसूदन मिस्त्री की अवांछित-अपमानजनक टिप्पणी का गुजरात विधानसभा चुनावों में क्या प्रभाव पड़ेगा, लेकिन कांग्रेस को यह नहीं भूलना चाहिए कि इसके पहले जब मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री पर आक्षेप किया था तो उसके कैसे नतीजे सामने आए थे।

कांग्रेस को यह भी स्मरण होना चाहिए कि उसे तब भी भारी राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ा था, जब सोनिया गांधी ने नरेन्द्र मोदी को निशाने पर लेते हुए उन्हें मौत का सौदागर कह दिया था। मधुसूदन मिस्त्री की अवांछित टिप्पणी से यही प्रतीत होता है कि कांग्रेस के नेता अभी तक यह साधारण सी बात समझ नहीं सके हैं कि अपमानजनक टिप्पणियों के कैसे बुरे परिणाम होते हैं? प्रधानमंत्री को लेकर कांग्रेसी नेताओं की ओर से की जाने वाली ऐसी टिप्पणियां उनकी सामंती मानसिकता को ही बयान करती हैं। दुर्भाग्य यह है कि इस मानसिकता का परिचय रह-रहकर राहुल गांधी भी देते रहते हैं।

आखिर कौन भूल सकता है कि पिछले लोकसभा चुनाव के समय राहुल गांधी किस तरह प्रधानमंत्री को नीचा दिखाने के लिए न केवल खुद अभद्र टिप्पणियां करने में लगे हुए थे, बल्कि यह भी चाह रहे थे कि अन्य कांग्रेसी नेता भी उनकी जैसी भाषा का इस्तेमाल करें? 2014 के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को बुरी तरह पराजित होना पड़ा, लेकिन न तो राहुल गांधी ने कोई सबक सीखा और न ही अन्य कांग्रेसी नेताओं ने। विरोधी राजनीतिक दल होने के नाते कांग्रेस को भाजपा और प्रधानमंत्री की आलोचना करने का अधिकार है, लेकिन आखिर भाषा की एक मर्यादा होती है।

कांग्रेस विभिन्न मुद्दों पर प्रधानमंत्री को कठघरे में खड़ा कर सकती है, लेकिन वह इसकी अनदेखी नहीं कर सकती कि पिछले आठ वर्षों में मोदी सरकार ने कई उपलब्धियों को हासिल किया है। इन्हीं उपलब्धियों के कारण प्रधानमंत्री यह दावा करने में समर्थ हैं कि वह सेवा करना जानते हैं। उन्हें यह दावा करने का भी अधिकार है कि उन्होंने पहले मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री के रूप में गुजरात को बनाने का काम किया है।

आज यदि गुजरात विकास के विभिन्न पैमानों पर देश के अग्रणी राज्यों में है तो इसका श्रेय भाजपा को जाता है। कांग्रेस इस तथ्य की अनदेखी करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन उसे भाषा की मर्यादा का ध्यान रखना होगा। उसे यह भी समझना होगा कि प्रधानमंत्री को नीचा दिखाने वाली मानसिकता से बात बनने वाली नहीं।