आतंक को जवाब, पाकिस्तान ने अपनी जमीन पर चल रहे आतंकी अड्डों को नहीं किया बंद; उन्हें चेताया जाना जरूरी
पाकिस्तान ने ब्रिटिश समाचार पत्र के दावे का उल्लेख करते हुए अपना रोना भी रोया है लेकिन उसकी कहीं कोई सुनवाई इसलिए नहीं हो रही है क्योंकि विश्व को यह अच्छी तरह पता है कि वह आतंकी संगठनों को संरक्षण देने का काम करता है। ऐसे में भारत के लिए यही उचित है कि वह पाकिस्तान पर दबाव बनाए रखे।
एक ऐसे समय जब पाकिस्तान भारत के लिए खतरा बने आतंकियों को पालने-पोसने में लगा हुआ है और जब-तब कश्मीर में उनकी घुसपैठ कराने की भी कोशिश करता रहता है, तब ऐसी किसी दो टूक बात की आवश्यकता थी कि आतंकियों को जवाब देने का कोई नियम नहीं हो सकता, क्योंकि वे भी किसी नियम को नहीं मानते। विदेश मंत्री जयशंकर ने यह बयान देते हुए इसका भी उल्लेख किया कि किस तरह मुंबई में भीषण आतंकी हमले के बाद तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर तमाम विचार-विमर्श के बाद भी इस नतीजे पर पहुंची थी कि उसके विरुद्ध कोई कदम न उठाना ही बेहतर है। इस नतीजे पर पहुंचकर मनमोहन सरकार ने न केवल भारत की कमजोरी उजागर की थी, बल्कि पाकिस्तान के दुस्साहस को बढ़ाने का भी काम किया था। इसके नतीजे अच्छे नहीं हुए और भारत को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले झेलने पड़े। पाकिस्तान के होश ठिकाने तब आए, जब पुलवामा में आतंकी हमले के जवाब में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर बालाकोट में एयर स्ट्राइक की। इसके पहले भारतीय सेना सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक भी कर चुकी थी। यह सही है कि मोदी सरकार की नीतियों के चलते पाकिस्तान के दुस्साहस का दमन हुआ है, लेकिन उसने अभी अपनी जमीन पर चल रहे आतंक के उन अड्डों को बंद नहीं किया है, जहां जिहादी तैयार होते हैं और जो भारतीय सीमा में घुसपैठ की करते रहते हैं। कश्मीर में अभी भी आतंकी जब-तब सिर उठाते रहते हैं। ऐसे में उसे समय-समय पर चेताया जाना आवश्यक है।
यह महत्वपूर्ण है कि विदेश मंत्री के पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी साफ शब्दों में यह कह चुके हैं कि यदि आतंकी भारत में कोई हमला करके सीमा पार चले जाते हैं तो वहां भी उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। पहले रक्षा मंत्री और अब विदेश मंत्री की इन खरी बातों का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है, क्योंकि हाल में एक ब्रिटिश समाचार पत्र ने यह दावा किया है कि भारत ने पाकिस्तान में करीब 20 आतंकियों को ठिकाने लगाया है। भारत आधिकारिक रूप से तो ऐसे किसी दावे की पुष्टि करने से रहा, लेकिन इससे बेहतर और कुछ नहीं कि पाकिस्तान यह समझने लगा है कि आतंकवाद के मामले में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाले भारत की नीति बदल चुकी है और यदि वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आता तो उसे उसकी कीमत चुकानी होगी। पाकिस्तान ने ब्रिटिश समाचार पत्र के दावे का उल्लेख करते हुए अपना रोना भी रोया है, लेकिन उसकी कहीं कोई सुनवाई इसलिए नहीं हो रही है, क्योंकि विश्व को यह अच्छी तरह पता है कि वह आतंकी संगठनों को संरक्षण देने का काम करता है। ऐसे में भारत के लिए यही उचित है कि वह पाकिस्तान पर दबाव बनाए रखे।