एक नई यात्रा पर राहुल, लेकिन अभी तक एकजुट नहीं हुआ आइएनडीआइए
जब भी कोई नेता किसी यात्रा पर निकलता है तो वह उसे नाम कुछ भी दे उसका उद्देश्य राजनीतिक लाभ हासिल करना ही होता है। यात्राओं के जरिये राजनीतिक लाभ हासिल करने में कोई हर्ज नहीं लेकिन यदि भारत जोड़ो न्याय यात्रा कांग्रेस की है तो फिर उसका नेतृत्व सांसद राहुल गांधी के स्थान पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे क्यों नहीं कर रहे हैं?
मणिपुर से शुरू होने जा रही भारत जोड़ो न्याय यात्रा राहुल गांधी की पिछली यात्रा का विस्तार ही है। जैसे कन्याकुमारी से कश्मीर तक निकाली गई भारत जोड़ो यात्रा राहुल गांधी की यात्रा का पर्याय बन गई थी, वैसी ही यह नई यात्रा भी बनने जा रही है। इस यात्रा को जिस तरह राहुल गांधी की यात्रा के रूप में पेश किया जा रहा है, उससे इसकी पुष्टि होती है कि इसका मूल उद्देश्य उनके राजनीतिक कद को बढ़ाना है।
14 राज्यों से गुजरने वाली यह यात्रा 20 मार्च को मुंबई में समाप्त होगी। वैसे तो यात्रा की समाप्ति के बाद ही यह पता चलेगा कि कांग्रेस का जनाधार मजबूत होता है या नहीं, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि पिछली यात्रा से न तो राहुल गांधी का कोई भला हुआ और न ही कांग्रेस का। यह किसी से छिपा नहीं कि कांग्रेस हिंदी पट्टी के तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव जीतने में नाकाम रही।
जब भी कोई नेता किसी यात्रा पर निकलता है तो वह उसे नाम कुछ भी दे, उसका उद्देश्य राजनीतिक लाभ हासिल करना ही होता है। यात्राओं के जरिये राजनीतिक लाभ हासिल करने में कोई हर्ज नहीं, लेकिन यदि भारत जोड़ो न्याय यात्रा कांग्रेस की है तो फिर उसका नेतृत्व सांसद राहुल गांधी के स्थान पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे क्यों नहीं कर रहे हैं?
क्या इसलिए ताकि यह स्थापित किया जा सके कि भले ही कांग्रेस की कमान खरगे के हाथ में हो, लेकिन पार्टी में राहुल गांधी ही सब कुछ हैं? क्या यह एक तरह से परिवारवाद को नए सिरे से पोषण प्रदान करने के साथ इस बात को रेखांकित करने का प्रयास नहीं कि मल्लिकार्जुन खरगे बस नाम के अध्यक्ष हैं? वास्तव में कांग्रेस में वही होना है, जो राहुल गांधी चाहेंगे।
यह स्वाभाविक है कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा के माध्यम से राहुल गांधी कांग्रेस के पक्ष में चुनावी माहौल बनाने की कोशिश करेंगे। इसमें वह कितना कामयाब होते हैं, यह बहुत कुछ इस पर निर्भर करेगा कि उनकी ओर से किन मुद्दों को उभारा जाता है और उन पर क्या कहा जाता है? यह तो तय है कि राहुल गांधी भाजपा और विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाने पर रखेंगे, लेकिन ऐसा करते हुए वह यदि जनता का ध्यान आकर्षित करने के साथ कोई नया विमर्श खड़ा नहीं कर पाते तो बात बनने वाली नहीं है।
राहुल गांधी की समस्या यह है कि वह मोदी सरकार की आलोचना तो खूब करते हैं, लेकिन देश के समक्ष उपस्थित समस्याओं के समाधान का कोई प्रभावी तरीका नहीं बता पाते। राहुल गांधी एक ऐसे समय यात्रा पर निकल रहे हैं, जब आम चुनाव करीब आ गए हैं। यह विचित्र है कि इसके बाद भी आइएनडीआइए को एकजुट करने की वैसी कोशिश नहीं हो रही हैं, जैसी समय की मांग है।