प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम को लेकर जो प्रसन्नता प्रकट की और भावुक होकर इस कार्यक्रम की उपलब्धियों को रेखांकित किया, वह स्वाभाविक ही है, क्योंकि आम जनता से संवाद के इस लोकप्रिय कार्यक्रम के दस वर्ष पूरे होने जा रहे हैं।

निश्चित रूप से यह एक अनूठी उपलब्धि है, क्योंकि इस कार्यक्रम के जरिये प्रधानमंत्री राजनीतिक मुद्दों से इतर विषयों पर चर्चा करते हैं और वह भी इस तरह कि लोग उससे प्रेरित होते हैं। इसकी मिसाल मिलनी कठिन है कि किसी शासनाध्यक्ष ने इतने लंबे समय तक रेडियो कार्यक्रम के जरिये आम जनता से संपर्क-संवाद का सिलसिला कायम रखा हो।

इस कार्यक्रम की व्यापकता और लोकप्रियता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि यह 22 भाषाओं और विभिन्न बोलियों में प्रसारित होता है। इसके अतिरिक्त इसे कई विदेशी भाषाओं में भी सुना जा सकता है। स्पष्ट है कि इस कार्यक्रम को देश के साथ विदेश में भी लोग सुनते हैं। इस कार्यक्रम के जरिये प्रधानमंत्री ने आम जनता को विभिन्न विषयों के प्रति जागरूक करने का काम किया है।

बात चाहे पर्यावरण सुरक्षा की हो अथवा बेटी बचाओ अभियान को लोकप्रिय बनाने की या फिर आम जनजीवन से जुड़े ऐसे ही अन्य अनेक मुद्दों की। यह कार्यक्रम इस बात का परिचायक है कि किस तरह आम जनता को उन विषयों के प्रति जोड़ा जा सकता है और उनमें उसकी भागीदारी बढ़ाई जा सकती है जो किसी न किसी रूप में उसके जीवन को प्रभावित करते हैं।

आज यदि स्वच्छ भारत अभियान एक बड़ी हद तक प्रभावी दिख रहा है तो इसके पीछे मन की बात कार्यक्रम की भी एक बड़ी भूमिका है, क्योंकि प्रधानमंत्री ने शायद सबसे अधिक बार इस अभियान की चर्चा की है।

भले ही विपक्षी दल इस कार्यक्रम को लेकर तंज कसते हों, लेकिन सच यही है कि प्रधानमंत्री इसमें केवल अपने मन की ही बात नहीं करते, बल्कि वह आम जनता के मन की बात देश के लोगों तक पहुंचाते हैं। इसके लिए वे लोगों के सुझाव आमंत्रित करते हैं, जो उन्हें चिट्ठियों और ऑडियो-वीडियो संदेशों के जरिये मिलते रहते हैं।

स्वच्छता और जल संरक्षण के मामले में इस तरह के अनेक कार्य देश के दूसरे हिस्सों में आम लोगों ने मिलकर किए हैं। ऐसे कार्य यही बताते हैं कि यदि आम जनता को सही नेतृत्व मिल सके और उन्हें प्रेरणा प्रदान की जा सके तो समाज और राष्ट्र के हित में ऐसे अनेक कार्य हो सकते हैं।

यह सही है कि सकारात्मक गतिविधियां प्रेरित करती हैं, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि आज की राजनीति में नकारात्मकता बढ़ती जा रही है। आम जनता को स्वयं इस नकारात्मकता को हतोत्साहित करना होगा।