योग की महिमा, भारत की सांस्कृतिक शक्ति से परिचित हो रहा विश्व
योग जैसे-जैसे लोकप्रिय हो रहा है वैसे-वैसे भारत की सांस्कृतिक शक्ति से विश्व परिचित हो रहा है। सांस्कृतिक शक्ति के रूप में योग भारत के प्रति विश्व में एक सकारात्मक वातावरण निर्मित करने के साथ उसके बारे में अधिकाधिक जानने के लिए प्रेरित कर रहा है। यह प्रक्रिया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान को पुष्ट और प्रतिष्ठित करने का काम कर रही है।
न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के प्रांगण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में योगाभ्यास का कार्यक्रम आयोजित होना और उसमें करीब-करीब दुनिया भर के प्रतिनिधियों और अन्य लोगों का शामिल होना योग की महत्ता और उपयोगिता को सिद्ध करने वाला है। इस कार्यक्रम में इतने अधिक देशों के लोग शामिल हुए कि एक कीर्तिमान स्थापित होकर गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हुआ। यह उपलब्धि इसीलिए हासिल हो सकी, क्योंकि भारतीय प्रधानमंत्री अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
योग न जाने कब से दुनिया भर के लोगों को आकर्षित कर रहा है, लेकिन उसे लोकप्रिय बनाने और उसकी महिमा से परिचित कराने का श्रेय भारतीय प्रधानमंत्री को इसलिए जाता है, क्योंकि उन्होंने ही संयुक्त राष्ट्र के मंच से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का आग्रह किया था। यह योग की ही महिमा थी कि शीघ्र ही रिकार्ड संख्या में विभिन्न देशों ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के प्रस्ताव को सहमति प्रदान की। यह प्रस्ताव 2014 में पारित हुआ और उसके बाद से योग की लोकप्रियता दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढ़ी। वह दुनिया के कोने-कोने में पहुंच गया है और करोड़ों लोग उसका अभ्यास कर रहे हैं। ऐसा इसीलिए हो रहा है, क्योंकि लोग उससे लाभान्वित हो रहे हैं।
योग जैसे-जैसे लोकप्रिय हो रहा है, वैसे-वैसे भारत की सांस्कृतिक शक्ति से विश्व परिचित हो रहा है। सांस्कृतिक शक्ति के रूप में योग भारत के प्रति विश्व में एक सकारात्मक वातावरण निर्मित करने के साथ उसके बारे में अधिकाधिक जानने के लिए प्रेरित कर रहा है। यह प्रक्रिया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान को पुष्ट और प्रतिष्ठित करने का काम कर रही है।
योग विश्व को भारत की एक ऐसी देन है, जो किसी वरदान से कम नहीं। योग का प्रचार-प्रसार होने के साथ ही विश्व भारत और भारतीय संस्कृति से परिचित हो रहा है। दुनिया भर के लोग योग के साथ-साथ आसन, प्राणायम, ध्यान, शांति आदि शब्दों से अवगत हो रहे हैं। इससे भारतीय संस्कृति, संस्कारों और परंपराओं के प्रति जिज्ञासा बढ़ रही है। योग के साथ ही आयुर्वेद भी अपनी महत्ता रेखांकित कर रहा है।
चूंकि योग एक विज्ञानसम्मत विधा है, इसलिए उसकी स्वीकार्यता बढ़ रही है। विश्व इस निष्कर्ष पर पहुंच चुका है कि तन-मन को स्वस्थ रखने की यह विधा मानव जीवन के सर्वांगीण विकास में उपयोगी है। योग अपने नाम के अनुरूप विश्व को जोड़ने के साथ शांति एवं सद्भाव का संदेश देने का भी काम कर रहा है। इससे उत्तम और क्या होगा कि योग के माध्यम से एक खुशहाल विश्व का निर्माण हो और सर्वत्र यह भाव व्याप्त हो कि विश्व एक परिवार है। भारतीय संस्कृति का अभीष्ट भी यही है। चूंकि आज की भागदौड़ और तनाव भरी जिदंगी में योग मन-मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में सहायक है, इसलिए वह हर किसी की दिनचर्या का अंग बनना चाहिए।